DBC कर्मी गए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर,आज करेंगे CM आवास के सामने प्रदर्शन
जुलाई के अंतिम सप्ताह में हुई भरी बारिश के बाद दिल्ली एनसीआर के यमुना से लगे इलाकों में बढ़ के हालात हो गए थे. अब जबकि यमुना का जल स्तर धीरे धीरे नीचे जा रहा, दिल्ली में डेंगू और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों के बढ़ने के मामले लगातार सामने आ रहे है.
इधर दिल्ली में डेंगू और मच्छर जनित बिमारियों के बढ़ते मामलों के बीच बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर तैनात शहर के कई नगर निगम कर्मी बीते सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं .
साथ ही हड़ताल पर बैठे डेंगू नियंत्रण कर्मचारी सेवाओं को नियमित करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के सामने प्रदर्शन करेंगे.
फ्रंटलाइन वर्कर्स के भी जान की कीमत है
कर्मचारी संगठनों का कहना है की “हमारे मुद्दों को गंभीरता से नहीं सुना जा रहा है इसलिए हम गुरुवार को सीएम हाउस के बाहर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं”.
मलेरिया विरोधी एकता कर्मचारी संघ के अध्यक्ष देवानंद शर्मा ने मंगलवार को कहा, “हम चाहते हैं कि अधिकारियों द्वारा हमारी मांग को पूरा किया जाए.
वही डीबीसी कर्मचारियों की जारी हड़ताल दिल्ली के लिए परेशानी का सबब बन सकती है क्योंकि मानसून की बारिश और यमुना के जल स्तर में वृद्धि के कारण दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में आई बाढ़ के कारण डेंगू और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों के मामलों में वृद्धि का खतरा है.
दिल्ली नगर निगम में 2,000 फील्ड वर्कर्स के अलावा लगभग 3,000 डेंगू ब्रीडिंग चेकिंग (डीबीसी) कर्मचारी हैं.
कर्मचारी संघ के अध्यक्ष देवानंद शर्मा ने बताया की ” यूनियन में लगभग 2,800 डीबीसी कार्यकर्ता हैं, साथ ही कई फील्ड वर्कर्स इसके सदस्य हैं. हमें 1996 में काम पर रखा गया था जब दिल्ली ने 10,200 से अधिक मामलों और 420 से अधिक मौतों के साथ बड़े पैमाने पर डेंगू के प्रकोप का सामना किया था, जो दिल्ली में अब तक का सबसे खराब प्रकोप था. और बाद में 2006 में हमें डीबीसी श्रमिकों का टैग दिया गया”.
शर्मा ने आगे जानकारी देते हुए कहा की ” महामारी जैसी परिस्थिति में हम फ्रंटलाइन वर्कर्स है, लोगों की जान बचाते है. खुद हमारे ऊपर भी हर समय बीमारी से पीड़ित होने का खतरा मंडराता है. ऐसे में क्या हम एक स्थाई नौकरी की भी आशा नहीं कर सकते. हमारी मांग है की हमारी नौकरियों को नियमित किया जाये लेकिन सरकार और एमसीडी अधिकारी मांगों को नहीं सुन रहे हैं. इसलिए हमे हड़ताल पर जाने का निर्णय लेना पड़ा”.
उन्होंने यह भी दावा किया कि एक डीबीसी कर्मी को महीने में केवल एक आकस्मिक अवकाश दिया जाता है और काम का भी बहुत अधिक बोझ होता हैं.
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के पास कोई स्वास्थ्य कवर नहीं है और यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो परिवार के सदस्यों को कोई सहायता प्रदान नहीं की जाती है.
अपनी मांगों को सामने रखते हुए उन्होंने बताया की “हम यह भी चाहते हैं कि अगर किसी डीबीसी कार्यकर्ता की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजनों को नौकरी दी जाए और हमें स्वास्थ्य कार्ड की भी जरूरत है”.
कई दूसरे DBC कर्मियों ने बताया की हम डेंगू और मलेरिया से निपटने में अपनी भूमिका को समझते हैं, लेकिन किसी को परवाह नहीं है कि हम कितना पीड़ित हैं.
भाजपा के कुशासन का नतीजा
वही डीबीसी कर्मचारियों की हड़ताल पर दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि “हम उनकी मांगों पर विचार कर रहे हैं. हमने कुछ सफाई कर्मचारियों को नियमित भी किया है.हम डीबीसी कर्मियों लगातार बात कर रहे है. लेकिन यह धरने पर बैठने का समय नहीं है, शहर में डेंगू के मामलें लगातार बढ़ रहे है”.
मेयर ने आरोप लगाया कि आज डीबीसी कर्मियों द्वारा उठाई जा रही समस्याएं लंबे समय से चली आ रही हैं और पिछले 15 वर्षों से एमसीडी में सत्ता में रहने के दौरान ‘भाजपा के कुशासन’ का परिणाम हैं.
दिल्ली नगर निगम की सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक सप्ताह में डेंगू के 56 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या 240 से अधिक हो गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक जनवरी से 28 जुलाई की अवधि में मलेरिया के 72 मामले दर्ज किए गए.
देवानंद शर्मा ने बताया की “मेयर ने हमारी मांगों पर हमें आश्वासन दिया है. लेकिन हम अपनी हड़ताल तब तक जारी रखेंगे जब तक हमें लिखित में कुछ नहीं दिया जाता “.
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