दिल्ली में मनरेगा मज़दूरों का 100 दिनों का धरना, मीडिया में आपको दिखी ख़बर?
मनरेगा मज़दूरों के लिए डिजिटल उपस्थिति वाले नए नियम के विरोध में दिल्ली के जंतर मंतर पर देशभर से आए सैकड़ों मज़दूर प्रदर्शन कर रहे हैं।
मज़दूरों का कहना है कि इस नए नियम में तकनीकी खराबी के कारण उनको अनुपस्थित चिह्नित किया जा रहा है और उनकी मजदूरी भी काट ली जा रही है।
संगठनों का कहना है कि यह प्रदर्शन अगले 100 दिनों तक चलेगा और हर हफ्ते देश के अलग अलग हिस्से से मज़दूर इकट्ठा होकर यहां रिले धरना दे रहे हैं।
दरअसल, नरेगा संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर मनेरगा मज़दूरों द्वारा जंतर मंतर पर बीते 12 दिनों से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और देश के दूसरे राज्यों के मजदूर ने भी हिस्सा लिया।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में मनरेगा में बेहद कम बजट आवंटन करने, काम मिलने और हाजिरी के लिए नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर। NMMS एप्लिकेशन नामक नया ऐप सिस्टम लागू किये गया है।
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NMMS वापसी की मांग
प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों की मांग है कि NMMS को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उनकी बुनियादी मांगों में से एक मांग यह भी है कि मज़दूरों को काम की गारंटी और भुगतान की गारंटी दी जाये।
दरअसल, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जिसे मनरेगा या नरेगा के रूप में जाना जाता है, कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत रोजगार प्रदान करके ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से एक प्रमुख योजना है।
डेक्कन हेराल्ड से मिली जानकारी के मुताबिक, नरेगा संघर्ष मोर्चा सदस्य और कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि ऐप का कोई उद्देश्य नहीं है क्योंकि योजना के तहत भुगतान कार्य के माप के अनुसार किया जाता है। वर्तमान प्रणाली यह जांचने में सक्षम नहीं होगी कि काम किया जा रहा है या नहीं।
उनका कहना है कि कहा, “यह मज़दूरों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इसके अलावा मस्टर रोल की हार्ड कॉपी को खत्म करने का फैसला किया गया है।”
इस मामले पर योगेंद्र यादव ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मजदूरी करवा लिया, लेकिन हाजिरी शो नहीं हुई, तो सरकार पैसे ही नहीं देगी। इतना बुरा काम तो ठेकेदार भी नहीं करते हैं। आखिर मोदी जी को मध्यवर्ग और गरीबों से दिक्कत क्या है? क्यों मोदी सरकार मनरेगा को खत्म करने पर तुली है?
मजदूरी करवाली लेकिन हाजिरी शो नहीं हुई तो सरकार पैसे ही नहीं देगी।
इतना बुरा काम तो ठेकेदार भी नहीं करते। आखिर मोदी जी को मध्यवर्ग और गरीब लोगों से दिक्कत क्या है?
क्यों मनरेगा को खत्म करने पर तुली है मोदी सरकार?
पूरा वीडियोः https://t.co/Mjg7tPHEbX pic.twitter.com/gv27hGhpUH— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) February 18, 2023
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गौरतलब है कि बीते 7 फरवरी को लोकसभा में एक लिखित जवाब में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा था कि ‘साथियों’ को एनएमएमएस ऐप के माध्यम से श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज करने की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और मंत्रालय प्रदान कर रहा है।
उन्होंने यह भी कहा था कि ऐप को सुचारु रूप से परिवर्तित करने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।
जहां एक तरफ मोदी सरकार ने बीते 9 सालों में हर बार मनरेगा के लिए आवंटित बजट को काम किया है वहीं ग्रामीण सत्र पर डिजिटल अटेंडेंस की योजना मज़दूरों के ऊपर अतिरिक्त दबाव डालने वाली है।
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