दिल्ली: निर्माण मजदूरों का रोजगार छीन कर 5 हजार रुपये की वन टाइम आर्थिक मदद!
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का बहाना बना कर सभी तरह के निर्माण कार्यों पर पाबन्दी लगा दी गयी है जिस कारण निर्माण मजदूरों के सामने जीवनयापन और रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। यह पाबंदी उस वक्त लगाई गई है जब महंगाई अपने चरम पर है और जीवन की बुनियादी जरूरतों की वस्तुएं गरीब की पहुंच से दूर होती जा रही है।
ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने रजिस्टर्ड सभी मजदूरों को 5 हजार रुपये की वन टाइम आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है।
Construction activities have been stopped across Delhi in view of pollution. I have directed Labour Minister, Sh Manish Sisodia, to give Rs 5000 pm as financial support to each construction worker during this period, when construction activities are not permitted
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 2, 2022
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस पांच हजार की एक मदद से मजदूर अपना गुजारा कर पाएंगे? पाएंगे तो कितने दिनों तक? दूसरा बड़ा सवाल है कि क्या दिल्ली के सभी श्रमिक राज्य सरकार के साथ पंजीकृत हैं ?
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दिल्ली देश की राजधानी है और यहां देश भर से रोज लाखों लोग रोजगार की तलाश में आते हैं। ऐसे में जो मजदूर रजिस्टर्ड नहीं हैं उनका क्या होगा? दिल्ली सरकार द्वारा पांच हजार की यह मदद ‘ऊँट के मुह में जीरा’ भी नहीं है। राजनेता कभी मजदूर बस्तियों में नहीं जाते और उन्हें मजदूरों के हालात का अंदाजा भी नहीं है।
केजरीवाल सरकार के अनुसार, इस फैसले से 10 लाख से ज्यादा कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को फायदा होगा और वित्तीय सहायता के तौर पर उन पर 500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया जाएगा।
दिल्ली में न्यूनतम वेतन 16,792 रुपए है। ऐसे में महज 5000 रूपये की एक मदद महज एक राजनीतिक कदम है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार प्रचार और विज्ञापन में करोड़ों रूपये खर्च करती है, लेकिन मजदूरों के लिए सिर्फ 5 हजार रूपये की एक मदद क्यों ?
इस मसले पर निर्माण मजदूरों के लिए राष्ट्रीय अभियान समिति (NCC-CL) के दिल्ली समन्वयक सुभाष भटनागर कहते हैं:
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के नाम पर सभी निर्माण कार्यों पर पाबंदी लगाने का नाटक और 5000 रुपए के मुआवजे की घोषणा करना पिछले दो सालों में हुई बोर्ड की पूरी कमाई को खा जाने की साज़िश है। यह सर्वोच्च न्यायालय के 24 नवंबर 2021के आदेश की अवमानना है कि केवल प्रदूषण फैलाने वाले काम पर पाबंदी लगाई जाए और प्रदूषण नहीं फैलाने वाले काम पर पाबंदी नहीं लगाई जाए।
सुभाष भटनागर कहते हैं कि, आधे से ज्यादा निर्माण कार्यों से प्रदूषण नहीं होता है। साथ ही 2021 और 2022 में पंजीकृत 12.65 लाख में से आठ लाख मज़दूर गैर निर्माण मजदूर हैं।
पहले सोशल आडिट करके 1996 के कानून के अंदर दी गई कार्यवाही करके गैर-निर्माण मजदूरों की छुट्टी की जाए, तब ही दिल्ली निर्माण मजदूरों के कोष का दुरुपयोग रोका जा सकता है।
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सुभाष भटनागर कहते हैं कि निर्माण मजदूरों की राष्ट्रीय अभियान समिति दिल्ली के उप राज्यपाल से अनुरोध करती है कि वे तुरंत दिल्ली सरकार के इस कोष के दुरुपयोग करने पर रोक लगाए।
यदि ऐसा नहीं किया गया तो जल्दी ही जिन निर्माण मजदूरों को पेंशन मिल रही है उनकी पेंशने बंद हो जाएंगी। जिनके बच्चों को शिक्षा मिल रहीं हैं वो बंद हो जाएंगी, मातृत्व, विवाह सहायता इत्यादि सब बंद करने की साजिश है यह।
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