डॉल्फिन मजदूर एक महीने से हड़ताल पर: ” प्रबंधन को सरकार का समर्थन, न्यूनतम वेतन और स्थायीकरण तक नहीं थमेगी लड़ाई”
मारुती सुजुकी के वाहनों के लिए सीट कवर बनाने वाली कंपनी डॉलफिन के मज़दूर बीते एक महीने से ज्यादा समय से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे है।
मज़दूरों का कहना है कि कंपनी बार- बार आश्वासन के बाद भी मज़दूरों की मांगों को लेकर वादाखिलाफी कर रही है।
आपको बताते चलें कि सिडकुल में इसी कंपनी के अलग-अलग नाम से पांच प्लांट हैं, जहाँ तक़रीबन साढ़े तीन हज़ार से चार हज़ार मज़दूर काम करते हैं।
मज़दूरों के इस आंदोलन को करीब से देख रहे सुरेंद्र बताते हैं, ‘ जनवरी, 2024 से पहले प्लांट के मज़दूरों को न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं दी जाती थी। जनवरी में सभी प्लांटों के मज़दूरों ने न्यूनतम मज़दूरी ,बोनस को लेकर हड़ताल किया था ,जिसे प्रशासन के सहयोग से प्रबंधन ने मैनेज कर न्यूनतम मज़दूरी की मांग तो पूरी कर ली लेकिन मज़दूरों की बाकि की मांगों को ठन्डे बस्ते में दाल दिया ‘।
‘ फ़रवरी के महीने में फिर से मज़दूरों ने अपनी बोनस की मांग को लेकर काम बंद किया लेकिन ये
उतना सफल नहीं हुआ ‘।
आगे जानकारी देते हुए वो बताते हैं, ‘ ये सारे ही मज़दूर प्लांट में कंपनी बेस पर काम करते थे। मज़दूरों के लगातार हड़ताल के बाद कंपनी ने सारे मज़दूरों से इस्तीफा लेना शुरू किया और कहा कि अब वो ठेकेदार के द्वारा पुनः बहाली करेगी,साथ ही मज़दूरों को इस्तीफा के लिए प्रोत्साहित करते हुए ठेका मज़दूर होने के फायदे भी बताने लगी। एक डेढ़ हज़ार वेतनवृद्धि भी कर दी गई जिसके बाद काफी संख्या में मज़दूरों ने इस्तीफा देकर ठेके पर दुबारा जॉइनिंग की’।
लेकिन अपनी स्थिति में सुधार होता न देख मज़दूरों ने डॉल्फिन मजदूर संगठन नमक अपना संगठन बनाया और जून माह से लगातार फैक्ट्री प्रबंधन पर अपनी मांगों को लेकर दबाव बना रहे हैं।
लेकिन इन दबावों का कोई नतीजा न निकलता देख मज़दूर बीते 1 माह से अधिक समय से हड़ताल पर बैठे हैं।
पिछले एक महीने से पारले जी चौक, सिडकुल पंतनगर में धरने पर बैठे डॉल्फिन मजदूर संगठन की उपाध्यक्ष सुनीता कहती हैं, ‘ जब तक लुकास और डॉल्फिन सहित सभी कंपनियों के मजदूरों की समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता और लिखित समझौता नहीं हो जाता। मजदूर इस संघर्ष के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और घर लौटने का कोई इरादा नहीं रखते’।
डॉल्फिन मजदूर नेता पिंकी गंगवार पूछती हैं, ‘ आखिर डॉल्फिन कम्पनी में बुनियादी श्रम कानूनों, भारत देश के संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के घोर उल्लंघन की छूट कम्पनी मालिक प्रिंस धवन को क्यों दे दी गईं है ? डॉल्फिन कम्पनी में परमानेंट मजदूरों को ठेकेदार के अधीन नियोजित करने, नोटिस /आरोप पत्र दिए बिना परमानेंट मजदूरों की गेटबंदी करने के अवैध गतिविधियों पर सरकार रोक क्यों नहीं लगा रही है और लुकास व डॉल्फिन सहित सभी कम्पनियों के पीड़ित मजदूरों की समस्याओं का समाधान सरकार क्यों नहीं कर रही है ?’
उन्होंने आगे कहा कि, ‘ हम अब आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। हमारा सवाल न सिर्फ फैक्ट्री प्रबंधन से है बल्कि उनका साथ दे रहे सत्ताधारी भाजपा के क्षेत्रीय विधायक, उत्तराखंड सरकार और जिला प्रशासन से भी है। हम अपना हक़ लिए बगैर वापस नहीं जाने वाले हैं। डॉल्फिन मजदूरों ने अपने मोहल्लों और परिवारों में पिछले चार दिनों से घेराव के लिए प्रचार किया है। अब इसे सिडकुल के मजदूरों और शहर की जनता के बीच भी फैलाया जाएगा’।
धरना पर बैठे कुछ मज़दूरों ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि, ‘ फैक्ट्री प्रबंधन पोषित गुंडे धरने में शामिल मज़दूरों को परेशान करते हैं। धरने में शामिल महिलाओं के साथ ये गुंडे छेड़छाड़ करते हैं और जब हमने इसकी शिकायत पुलिस से की तो पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करके कार्यवाही करने के स्थान पर गुंडों को खुला संरक्षण क्यों दिया जा रहा है’।
‘ हम ये समझते हैं कि ये सारी चीजें हमारे आंदोलन को कमजोर करने के लिए, हमारी हिम्मत तोड़ने के लिए की जा रही जिसमें प्रशासन भी उन्हीं के साथ खड़ी नज़र आ रही है। लेकिन हमारे डॉल्फिन मजदूर संगठन का यह संघर्ष केवल हमारे लिए ही नहीं, बल्कि सभी मज़दूरों के अधिकारों के लिए एक मिसाल बनेगा’।
वही 3 अक्टूबर से डॉल्फिन की महिला मज़दूरों ने ऐलान किया है कि वो रुद्रपुर स्थित कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर अनशन पर बैठेंगी।
क्या है मज़दूरों की मांगें
1. परमानेंट मजदूरों को ठेकेदारी के तहत नियोजित करने की अवैध कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाई जाये और ठेके के अवैध रूप से नियोजित ऐसे सभी हजारों स्थाई मज़दूरों की पुनः कम्पनी रोल पर स्थाई नियुक्ति की जाये। इसके साथ ही संविदा श्रम अधिनियम के इस उल्लंघन में लिप्त कंपनी मालिक प्रिंस धवन के विरुद्ध जिला कोर्ट में तत्काल मुकदमा दर्ज करते हुए ठेकेदारों के लाइसेंस को तत्काल निरस्त किया जाये।
2 . न्यूनतम वेतन भुगतान अधिनियम के उल्लंघन में लिप्त डॉल्फिन कंपनी मालिक प्रिंस धवन के विरुद्ध कानून के अनुसार तत्काल जिला कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया जाये और मजदूरों को इस मद में समस्त बकाया धनराशि की तत्काल वसूली करना सुनिश्चित कराई जाये।
3. बोनस भुगतान अधिनियम का उल्लंघन कर रहे डॉल्फिन कम्पनी मालिक प्रिंस धवन के विरुद्ध तत्काल जिला कोर्ट में वाद दायर किया जाये और मजदूरों को इस मद की समस्त बकाया धनराशि का भुगतान किया जाये।
4. नोटिस या आरोप पत्र दिए बिना जिन 50 स्थाई मज़दूरों की अवैध गेटबंदी की गई है उनकी तत्काल सवेतन कार्यबाहली कराई जाये।
5. मज़दूरों को नियमानुसार केंटीन सुविधा ना देने वाले कंपनी मालिक प्रिंस धवन के खिलाफ कारखाना अधिनियम के उक्त उल्लंघन पर तत्काल वाद दर्ज किया जाये।
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