बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ दी चेतावनी, देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना

बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ दी चेतावनी, देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा चंडीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के बाद, यूटी पावरमेन यूनियन ने प्रशासन के खिलाफ अपने आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली है।

यूनियन के अनुसार, प्रशासन ने कर्मचारियों के सुझावों को नजरअंदाज करते हुए निजीकरण की दिशा में कदम उठाया है, जिसके विरोध में कर्मचारी अब व्यापक आंदोलन करेंगे।

यूनियन का कहना है कि आंदोलन के पहले चरण में, 11 नवंबर से सभी कार्यालयों में रैलियाँ और प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।

जल्द ही यूनियन की बैठक भी बुलाई जाएगी और कर्मचारियों द्वारा एक विशाल धरना दिया जाएगा, जिसकी तारीख एक-दो दिनों में घोषित की जाएगी।

इस धरने में विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों के इंजीनियर और अन्य संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

यूनियन के अध्यक्ष ध्यान सिंह और अन्य पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि, ‘ प्रशासन ने 2020 में हुई गलतियों को दोहराया है। प्रशासन ने बोली से पहले एक संतुलित स्थानांतरण नीति तैयार करने, कर्मचारियों की आपत्तियाँ सुनने और एक सर्वसम्मत बहुपक्षीय समझौता करने की जरूरतों को नजरअंदाज किया। इसके बजाय, निजीकरण के प्रस्ताव पर जल्दबाजी में कदम उठाए गए, जो कर्मचारियों के अधिकारों के खिलाफ है ‘।

देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाते हुए, नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने भी निर्णय लिया है कि 11 नवंबर को देश के अन्य राज्यों के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर भी अपने-अपने राज्यों में विरोध प्रदर्शन करेंगे।

इस व्यापक आंदोलन का उद्देश्य न केवल चंडीगढ़ में बल्कि देशभर में बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में एकजुटता दिखाना है।

कर्मचारियों का कहना है कि,’ निजीकरण से न केवल उनकी नौकरी पर असर पड़ेगा, बल्कि बिजली सेवाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है’।

उनका तर्क है कि निजीकरण से आम जनता पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, क्योंकि निजी कंपनियाँ मुनाफा कमाने पर जोर देंगी। कर्मचारी संगठनों का मानना है कि यह आंदोलन केवल उनकी मांगों को लेकर नहीं है, बल्कि आम जनता के हितों की सुरक्षा के लिए भी है।

यूनियन की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया कि, ‘ आगे की रणनीति के लिए यूनियन की नियमित बैठकें होंगी, जिसमें अन्य कर्मचारियों, इंजीनियरों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन को और अधिक व्यापक और संगठित किया जाएगा’।

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Abhinav Kumar

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