26 नवंबर को देशभर में किसान करेंगे राजभवन मार्च : SKM का ऐलान
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने ऐतिहासिक किसान आंदोलन की दूसरी सालगिरह (26 नवंबर) पर पूरे देश में ‘राजभवन मार्च’ करने का ऐलान किया है।
इसी सम्बन्ध में SKM ने कल (17 नवंबर) को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजित कर 26 नवंबर 2022 को भारत के सभी किसानों से देश भर में “राजभवन मार्च” आयोजित करने और संबंधित राज्यपालों के माध्यम से “भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन” सौंपने का आह्वान किया।
SKM नेताओं ने कहा कि राष्ट्रव्यापी “राजभवन मार्च” किसानों के विरोध के अगले चरण की शुरुआत का प्रतीक है। इसलिए, SKM ने सभी किसानों से अपील की है कि वे “कर्ज मुक्ति – पूरा दाम” सहित सरकार द्वारा सभी मांगें पूरी होने तक निरंतर और प्रतिबद्ध देशव्यापी संघर्ष के लिए तैयार रहें।
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SKM के सदस्यों का आरोप है कि सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी और कर्ज मुक्ति वह प्रमुख मांगें हैं, जिनके लिए किसान नव-उदारवादी नीतियों, जिसने कृषि संकट और किसानों की आत्महत्याओं को बढ़ा दिया, के लागू होने के बाद से संघर्ष कर रहे हैं।
1995 से, भारत में 4 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है और लगभग 68% किसान परिवार कर्ज और वित्तीय संकट में हैं। इन मांगों के साथ-साथ तीन कॉर्पोरेट-समर्थक कृषि कानूनों और बिजली विधेयक 2020 को रद्द करने की मांगों के लिए 26-27 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर एक साल लंबा ऐतिहासिक किसान आंदोलन हुआ, जिसे भारत की मेहनतकश जनता के सभी वर्गों ने सक्रिय रूप से समर्थन दिया था।
सयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक डॉ. दर्शनपाल ने प्रेस मीट को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया को देखते हुए किसानों को और अपनी उचित मांगों के लिए आने वाले हफ्तों में विरोध प्रदर्शन तेज करने की कार्य योजना तय की गई है, जिसमें गांव स्तर से शुरू होकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध-सभाओं को आयोजित किया जाएगा।
मनाया जायेगा फ़तह दिवस
उन्होंने आगामी 19 नवंबर 2022 को पूरे देश में किसानों द्वारा फ़तह दिवस भी मनाया जायेगा की बात भी कही।
दरअसल, एक साल चले किसान आंदोलन के बाद 19 नवंबर 2021 को किसान को मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान की मांग को मन लिया था।
किसानों द्वारा निरंतर विरोध प्रदर्शन के बाद, सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को, एसकेएम से उचित प्रतिनिधित्व के साथ एमएसपी कानून पर एक समिति गठित करने, और अन्य मांगों पर एक लिखित आश्वासन भी दिया।
इसी आश्वासन के आधार पर किसान 11 दिसंबर 2021 को दिल्ली की सीमाओं पर अपने ऐतिहासिक आंदोलन, जिसमें 700 से अधिक किसान शहीद हुए, को स्थगित करते हुए घर लौटे थे। श्रमिकों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित किसानों के इस संघर्ष ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़ी और सबसे लंबी जन विरोध कार्रवाई को चिह्नित किया।
डॉ. दर्शनपाल ने आगामी योजनों का चर्चा करते हुए कहा कि आगामी 1 दिसंबर से 11 दिसंबर तक सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों और सभी राज्य विधानसभाओं के नेताओं और विधायकों के कार्यालयों तक मार्च निकाला भी शामिल है।
इस मार्च के माध्यम से उपरोक्त सभी को “कॉल-टू-एक्शन” पत्र प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मांग की जाएगी कि वे किसानों की मांगों के मुद्दे को संसद/विधानसभाओं में उठाएं और इन मुद्दों पर बहस और समाधान निकाल जाये।
SKM के नेताओं ने मोदी सरकार की निंदा करते हुए कहा कि पर्यावरण, प्रकृति और मनुष्यों और पशुओं के जीवन पर प्रभाव पर पर्याप्त वैज्ञानिक अनुसंधान के बिना, बीज एकाधिकार के माध्यम से कॉर्पोरेट मुनाफाखोरी का रास्ता खोलने के लिए, भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार की जीएम-सरसों के बीजों को मंजूरी के निर्णय की निंदा करता है।
बैठक के दौरान SKM ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों को किसान मोर्चा का समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया। SKM के सदस्यों का कहना है कि एसकेएम किसान आंदोलन को निरंतर समर्थन और एकजुटता के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा के प्रति आभार प्रकट करता है और 26 नवंबर को राजभवन मार्च सहित चल रहे संघर्षों के लिए आगे आने और समर्थन करने की अपील करता है।
एसकेएम की अगली बैठक 8 दिसंबर 2022 को करनाल में होनी है, जिसमें आंदोलन के अगले चरण का फैसला और घोषणा किया जाएगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को सयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक डॉ. दर्शनपाल, हन्नान मोल्ला, युधवीर सिंह, अविक साहा और अशोक ढवले ने संबोधित किया।
प्रमुख्य मांगें
किसान नेताओं ने SKM के सभी घातक संगठनों के साथ चर्चा के एक सयुक्त मांग पत्र तैयार किया है।
- सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत सीटू+50% न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)
- एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति
- बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लेना
- लखीमपुर खीरी में किसानों व पत्रकारों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना
- सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को प्रति माह 5,000 रुपये की किसान पेंशन
- किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लेना
- किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान शामिल है।
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गौरतलब है कि एसकेएम की राष्ट्रीय परिषद ने बीते 14 नवंबर को नई दिल्ली स्थित रकाबगंज गुरुद्वारा में एक बैठक की और मोदी सरकार द्वारा 9 दिसंबर 2021 को, लगभग एक वर्ष पहले, कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी, बिजली बिल की वापसी आदि के लिखित आश्वासनों को लागू नहीं कर किसानों को धोखा देने की कड़ी निंदा की। बैठक में सभी घटक संगठनों को देश भर में संघर्ष को और तेज करने के लिए तैयार रहने की सलाह देने का संकल्प लिया और और एक सयुक्त मांग पत्र तैयार किया था।
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