किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे, महापंचायतों के सहारे फैल रहा आंदोलन
दुनिया के सबसे बड़े शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू हुए 100 दिन हो चुके हैं, जब किसानों ने सयुंक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में दिल्ली के बोर्डर्स पर धरना शुरू किया था। सौ दिनों के पूरा होने पर, कल (6 मार्च) को केएमपी एक्सप्रेसवे की 5 घंटे की नाकाबंदी के साथ साथ काला दिवस के रूप में चिह्नित किया जाएगा।
मध्यप्रदेश के छतरपुर में 87 दिनों से किसानों का धरना चल रहा है। पुलिस व प्रशासन ने अब तक न टेंट लगाने की अनुमति दी व न हीं कोई अन्य सहायता प्रदान की। यहां 3 व 4 मार्च को महापंचायत आयोजित की गई जिसके बाद टेंट लगाने की अनुमति दे दी गयी है। आने वाले समय मे मध्यप्रदेश में ओर महापंचायत करने की योजना है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता कीर्ति किसान यूनियन और (दिवंगत) कॉमरेड दातार सिंह के परिवार के दुख में शामिल हुए। सभी ने दिवंगत दातार सिंह को अनेक जनाधिकार संगठनों और चल रहे आंदोलन में उनके समृद्ध योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी।
कीर्ति किसान यूनियन के अध्यक्ष कामरेड दातार सिंह का अमृतसर में एक सार्वजनिक बैठक के बीच दिल का दौरा पड़ने पर 21 फरवरी 2021 को निधन हो गया।
अमृतसर में आयोजित एक बड़ी शोक सभा में, SKM नेतृत्व ने सम्मानपूर्वक इस और अन्य आंदोलनों में उनके योगदान को के महत्व का सम्मान किया और आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
दिल्ली पुलिस की ज्यादतियों का फिर से सामना किया गया। मंजीत कौर डोबका के नेतृत्व में महिलाओं का एक समूह बुधवार की रात को सिंघू से रकाबगंज गुरुद्वारा जाने के लिए वहां रात बिताने के लिए गया था।
सिर्फ इसलिए कि उनकी गाड़ी पर किसान यूनियन और श्री निशान साहिब का झंडा लगा था, उनके वाहन को दिल्ली पुलिस के बाहरी रिंग रोड चेक पोस्ट के पास रोक दिया गया था। उन्हें गाड़ी से झंडे हटाने के लिए कहा गया।
जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया, तो उन्हें तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया। इस समूह में बरनाला से 2 साल की उम्र की एक बच्ची भी शामिल है, जिसका नाम यशमी कौर है।
कानून के अनुसार 7 वर्ष से कम उम्र के किसी बच्चे को पुलिस स्टेशन में हिरासत में नहीं लिया जा सकता; दूसरी बात यह है कि सूर्यास्त के बाद किसी भी महिला को पुलिस स्टेशन में नहीं रखा जाएगा।
स्पष्ट रूप से, दिल्ली पुलिस की कार्रवाई अवैध है और सयुंक्त किसान मोर्चा उसकी निंदा करता है।
(संयुक्त किसान मोर्चा का बयान)
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)