यह ज़ुल्म के ख़िलाफ़ एक आवाज़ है- लिख एक प्रदर्शनकारी ने सिंघु बॉर्डर पर खुद को गोली मार ली

यह ज़ुल्म के ख़िलाफ़ एक आवाज़ है- लिख एक प्रदर्शनकारी ने सिंघु बॉर्डर पर खुद को गोली मार ली
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर इस कड़कड़ाती ठंड में किसानों के समर्थन में आए एक प्रदर्शनकारी संत ने मोदी सरकार के अड़ियल रवैये से दुखी होकर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली।
“यह जुल्म के खिलाफ एक आवाज़ है” – सुसाइड नोट में ये लिखा छोड़कर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में 65 वर्षीय संत बाबा राम सिंह ने खुदकुशी कर ली।
वे गुरुद्वारा साहिब नानकसर के संत थे। बाबा राम सिंह हरियाणा के करनाल के रहने वाले थे और हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रमुख सदस्यों में थे।
बीते 21 दिन के आंदोलन पर दर्जनों किसानों की मौत हुई है लेकिन आत्महत्या की ये घटना पहली है और इसे किसानों में बढ़ते आक्रोश का एक संकेत भर है।
बाबा राम सिंह ने आत्महत्या के पहले पंजाबी भाषा में एक सुसाइड नोट छोड़ा था। देर रात तक उनके शव का पोस्टमार्टम किया गया।
सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि “किसानों का दुख देखा, वो अपने हक लेने के लिए सड़कों पर हैं। बहुत दिल दुखा है। सरकार न्याय नहीं दे रही। जुल्म है, जुल्म करना पाप है,जुल्म सहना भी पाप है।”
बताया जाता है कि जिस समय बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारी उस समय उनके साथ उनके अनुयायी नहीं थे।

उन्होंने अपने अनुयायियों को सभा स्थल पर भेज दिया और खुद अपनी गाड़ी में जाकर गोली मार दी।
गोली की आवाज़ सुनकर आस पास के लोग उन्हें एम्बुलेंस से पानीपत के एक अस्पताल में भेज दिया जहां चिकित्सकों ने उन्हें अस्पताल पहुंचने पर मृत घोषित कर दिया।
एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार, बाबा राम सिंह ने एक दिन पहले ही टीवी चैनलों को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि मोदी सरकार को अपनी ज़िद छोड़कर इन किसानों की मांगों को मान लेना चाहिए।
उनके अनुयायी बताते हैं कि राम सिंह प्रदर्शनकारी किसानों के लिए सुविधाओं का इंतज़ाम कर रहे थे और मोदी सरकार के रवैये काफ़ी पीड़ित थे।
किसान नेता जगजीत सिंह ने कहा है कि “20 दिसम्बर को पूरे देश में इन सभी शहीद किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि,  “बड़े दुख से ये बात बताना पड़ रहा है कि जबसे हमने दिल्ली में आकर आंदोलन लड़ना शुरू किया, यहां तक आते-आते हमारे लगभग 13-14 किसान शहीद हो गए हैं। रोजाना औसतन एक किसान शहीद हो रहा है।”
एनडीटीवी के रिपोर्टर गज़ाली के मुताबिक, जबसे 26 नवंबर से आंदोलन शुरू हुआ है अबतक  20 से अधिक किसानों की मौत हो गई है, जिनमें वे किसान भी शामिल हैं, जो रास्ते में रोड एक्सिडेंट में मारे गए।

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Workers Unity Team

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