किसान आंदोलन के ख़िलाफ़ हमलावर चिट्ठी लिखने वाले नरेंद्र तोमर ने फिर मारी पलटी, कहा किसानों से वार्ता के लिए तैयार
अभी एक हफ़्ते पहले ही किसान आंदोलन पर एक चिट्ठी लिख कर हमला बोलने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने फिर पलटी मारते हुए किसान नेताओं से बातचीत की पेशकश की है।
तोमर ने मंगलवार को कहा कि ‘दो दिन पहले कृषि मंत्रालय की तरफ किसान संगठन को पत्र भेजा गया था, सरकार खुले मन से किसान संगठन से बात करना चाहती है। अगर किसान बात करना चाहते हैं तो एक तारीख तय करके बताएं हम बातचीत के लिए तैयार हैं।’
बीते गुरुवार को नरेंद्र तोमर ने आठ पन्ने की एक चिट्ठी लिख कर कृषि क़ानूनों के विरोध को भ्रम करार दिया और किसान आंदोलन को राजनीतिक साजिश करार दी थी।
मोदी ने तोमर की इस चिट्ठी को विनम्र संवाद’ बताया और किसानों से उसे पढ़ने का आग्रह किया था।
तोमर ने प्रदर्शनकारी किसानों से आग्रह किया कि ‘वे ‘राजनीतिक स्वार्थ’ के लिए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाये जा रहे भ्रम से बचें। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और किसानों के बीच ‘झूठ की दीवार’ खड़ी करने की साजिश रची जा रही है।’
योगेंद्र यादव ने इस चिट्ठी को झूठ का पुलिंदा और किसान आंदोलन को बदनाम करने की मोदी सरकार की एक और साजिश कहा था और उसमें 20 झूठ निकाले थे।
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किसानों ने कहा वही ढाक के तीन पात
लेकिन इस चिट्ठी के एक हफ़्ते बाद ही तोमर के सुर बदल गए और उन्होंने कहा कि ‘सरकार बातचीत के लिए तैयार है और उसकी नीयत साफ है, हम पूरी दृढ़ता के साथ नए कानूनों का फायदा सबके सामने रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीद है किसान भाई हमारी मंशा को समझेंगे।’
पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तीनों नए कृषि सुधार से जुड़े कानूनों का एमएसपी के साथ कोई संबंध नहीं है, एमएसपी एक प्रशासनिक फैसला होता है।
उन्होंने कहा कि मैंने संसद में कहा था कि हम एमएसपी व्यवस्था जारी रखेंगे। प्रधानमंत्री ने भी कई बार कहा है कि एमएसपी जारी रहेगी। इसके बारे में कोई शंका नहीं होनी चाहिए।
बकौल नरेंद्र तोमर, सरकार ने एमएसपी डेढ़ गुना बढ़ाई है और साथ ही अनाज की खरीद को भी बढ़ाया है। अगर किसान संगठनों के इस बारे में कोई सुझाव है तो सरकार उनके साथ बातचीत के लिए तैयार है।
किसान नेताओं ने कृषि मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र को लेकर सोमवार को कहा था कि अगर सरकार ‘‘ठोस समाधान पेश करती है तो वे हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन दावा किया कि वार्ता के लिए अगले तारीख के संबंध में केंद्र के पत्र में कुछ भी नया नहीं है।”
भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि वह नए कृषि कानूनों में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर बात करना चाहती है।
टिकैत ने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर (सरकार के प्रस्ताव), हमने उनके साथ पहले बातचीत नहीं की थी। फिलहाल हम चर्चा कर रहे हैं कि सरकार के पत्र का किस तरह जवाब दिया जाए।”
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कृषि कानून को लेकर चर्चा तक नहीं करने दी
राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जब कृषि कानून को सदन में लाया गया तब इस विषय पर विपक्ष को चर्चा करने का भी मौका सरकार की तरफ से नहीं दिया गया।
सरकार ने आनन-फानन में यह किसान विरोधी कानून पास करवाया है। इसलिए किसानों का यह आंदोलन पूरी तरह से जायज है।
किसानों के हक का ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार ने यह कानून बनाया है। यह आंदोलन सिर्फ पंजाब या हरियाणा के किसानों का नहीं है बल्कि पूरे देश के किसानों का है।
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