सरकार ने लगभग सभी मांगें मानी, किसान प्रदर्शन खत्म करने पर फैसला कल
मोदी सरकार ने आखिरकार एक साल बाद संयुक्त किसान मोर्चे की सभी मांगें मान ली हैं। इसके साथ ही ऐसा लगता है कि संयुक्त किसान मोर्चा जल्द अपना प्रदर्शन ख़त्म कर सकता है। इस मामले पर अंतिम फैसला 8 दिसम्बर को एसकेएम की मीटिंग में तय होगा।
किसान नेता बलबीर सिंह रजोवाल ने प्रेस कांफ्रेस में बताया कि मंगलवार की दोपहर गृह मंत्रालय से एक चिट्ठी आई जिसमें एसकेएम की 21 नवंबर की चिट्ठी के संदर्भ में प्रस्ताव थे और जिस पर संयुक्त मोर्चे की बैठक में चर्चा हुई।
रजोवाल ने कहा कि गृह मंत्रालय का कहना है कि हरियाणा और यूपी समेत केंद्र सारे मुकदमे उठाने पर राजी है बशर्ते किसान अपना धरना पहले उठाएं। इस चिट्ठी में एमएसपी पर कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। प्रदूषण क़ानून से किसानों को अलग किए जाने की भी मांग मान ली गई है।
केंद्र की ओर से आए प्रस्ताव में आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवज़ा देने पर सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की गई है, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चे का कहना है कि शहीद हुए किसानों के पुनर्वास के मामले पंजाब मॉडल अपनाया जाए जिसने शहीद हुए किसानों के परिजनों को पांच लाख रुपए और घर में एक सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है।
किसान मोर्चे ने मुकदमे हटाने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई शर्त पर असहमति व्यक्त की है। साथ ही एमएसपी पर कमेटी के बारे में एसकेएम के सुझाव हैं।
केंद्र की ओर से आए प्रस्तावों पर जो असहमतियां हैं, एसकेएम की पांच मेंबरी कमेटी उससे सरकार को अवगत कराएगी और बुधवार को दोपहर दो बजे इस पर पुनः चर्चा की जाएगी।
ऐसा स्पष्ट लगता है कि कल संयुक्त किसान मोर्चे अपने ऐतिहासिक धरने को यहीं ख़त्म करने का ऐलान कर सकता है और दिल्ली बॉर्डरों से किसान अपने घरों को चले जाएंगे।
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