सरकारी क्रय केंद्रों पर तौल न होने पर बिफरे किसान, धांधली से गुस्साकर फूंक दिए धान

सरकारी क्रय केंद्रों पर तौल न होने पर बिफरे किसान, धांधली से गुस्साकर फूंक दिए धान

उत्तरप्रदेश में धान खरीद के नाम पर गरीब किसानों के साथ हो रही लूट से नाराजगी का माहौल है। इसकी वजह है, सभी जगह क्रय केंद्रों शुरू न हो पाना या फिर बारदाना यानी बोरे की कमी बताकर तौल करने से इनकार। इसी बात पर 29 अक्टूबर को बरेली के एक क्रय केंद्र पर हंगामा हो गया। तौल न होने से परेशान किसानों ने हंगामा प्रदर्शन कर धान आग के हवाले कर दिए।

जिले के क्योलडिय़ा ब्लॉक में पिछले तीन दिन से धान की तौल कराने को कुलुआ के राजकीय धान क्रय केंद्र पर किसान डेरा डाले हैं। लेकिन तौल नहीं हो रही और न ही कोई अफसर सुन रहा। आखिरकार आजिज आकर नाराज किसानों ने सेंटर पर बेचने को लाए धानों को आग में झोंक दिया और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया।

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बंटाई और ठेके पर खेती करने वाले सखावत धान बेहद कम दाम मिलने से परेशान हैं, उनका क्रय केंद्र पर खाता भी नहीं है और उपज के रखरखाव का बंदोबस्त भी नहीं है। एजेंट के मार्फत ही बेचने की मजबूरी है।

किसानों का पारा चढऩे पर केंद्र प्रभारी सेंटर छोडक़र भाग गया। दरअसल, मंगलवार और बुधवार को अधिकारी किसानों को तौल कराने का आश्वासन देते रहे। लेकिन गुरुवार को भी पूरे दिन किसान केंद्र प्रभारी की राह तकते रहे। पूरे दिन किसानों से बात करने और तौल कराने जब कोई अधिकारी नहीं पहुंचा तो ये नौबत आई।

किसानों ने बताया कि क्योलडिय़ा ब्लॉक में धान की तौल कराने को सात क्रय केंद्र खोले गए थे। लेकिन कुलुआ, ज्योतजागीरऔर खजुरिया श्री राम गांव में लगे क्रय केंद्र को छोडक़र किसी भी क्रय केंद्र पर धान की तौल नहीं हुई। कुलुआ गांव में सोमवार तक किसानों के धान की तौल हुई लेकिन उसके बाद केंद्र प्रभारी और किसानों के बीच हुई मामूली कहासुनी के बाद तौल बंद पड़ी है। पिछले तीन दिनों से किसान केंद्र पर ट्रैक्टर ट्राली में धान की तौल कराने को खड़े हैं।

किसान ललित पटेल, राममूर्ति लाल, नरेंद सिंह, पूरन लाल, सुखराम, राकेश, अरविंद आदि ने कहा कि वह केंद्र से तब तक घर नहीं जाएंगे, जब तक उनके धान की तौल नहीं हो जाती। उनका आरोप है कि किसानों पर केंद्र प्रभारी से मारपीट का गलत आरोप लगाकर जान बूझकर अधिकारी माफिया से मिलकर उनके धान की तौल नहीं कर रहे हैं। वह लगातार फोन कर तौल कराने की गुजारिश कर रहे हैं। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

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ashish saxena

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