बीजेपी की रैली जायज है और किसानों का मोर्चा नाजायज? धरना नहीं होगा ख़त्म- संयुक्त किसान मोर्चा
कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए किसान प्रदर्शन को ख़त्म करने के बढ़ते दबाव के बीच संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा है कि धरना ख़त्म नहीं होगा। सरकार को धरनास्थलों पर विशेष वैक्सीन सेंटर बनाना चाहिए।
एक बयान जारी कर मोर्चे ने कहा कि किसानों के बीच भय का माहौल बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की झूठी खबरें फैलाई जा रही है जिसमें किसानों के धरने जबर्दस्ती उठाये जाने की बातें हैं। दिल्ली की सीमाओं पर और देश के अन्य हिस्सों में डटे किसान पहले भी बातचीत के पक्ष में हैं।
मोर्च ने सवाल खड़ा किया है कि जब भाजपा किसी चुनावी रैली करती है तो उसे कोरोना का भय नहीं दिखता है वहीं जहां उनके विरोध में कोई कार्यक्रम होते हैं यो वहां बहुत सख्ती से निपटने के दावे किए जाते हैं। झूठी खबरें फैलाकर किसानों के अंदर डर का माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
मोर्च ने कहा है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि मानवता के आधार पर किसानों को धरना उठा लेना चाहिए, वहीं उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चैटाला ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। किसानों का यह आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ शुरू हुआ था। हरियाणा सरकार के नुमाइंदों ने मानवता को शर्मसार करते हुए लगातार किसानों पर लाठीचार्ज, वाटर केनन, आसूं गैस, गिरफ्तारी व बेरहम बयानबाजी की।
संयुक्त मोर्चे ने अपील की है कि किसान सयंम के साथ शांतमयी धरना जारी रखें, वहीं अन्य किसान कटाई का काम खत्म होते ही दिल्ली मोर्चों पर पहुंचें। किसानों ने हर मौसम व हर हालात में खुद को व आंदोलन को मजबूत रखा है।
मोर्चे ने कोरोना सम्बधी ज़रूरी निर्देशों का पालन करते हुए मास्क पहनने जैसी सावधानी बरतने का आह्वान किया है और साथ ही सरकार से अनुरोध किया है कि धरना स्थानों पर वैक्सीन सेंटर बनाकर व अन्य सुविधाएं प्रदान कर अपनी जिम्मेदारी निभाये।
दो दिन पहले सिंघु बॉर्डर पर असमाजिक तत्वों द्वारा टेंट जलाए जाने को लेकर मोर्चे ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मोर्चे ने कहा है कि ‘किसान नेताओं पर हमले की साजिश की खबरें आ रही हैं। सरकार तार्किक स्तर पर हर संवाद हार रही है इसलिए हिंसक गतिविधियों के सहारे किसान आंदोलन को खत्म कराने की कोशिश कर रही है।’
संयुक्त मोर्चे ने कहा है कि सरकार के साथ लगातार बातचीत में यह समझाया जा चुका है कि यह कानून किस प्रकार गलत है। सरकार ने गलती मानते हुए कई संशोधन करने का प्रस्ताव दिया था। किसानों की मांग रही है कि तीनों खेती कानून रद्द हो व MSP पर कानून बने। सरकार इन मांगों से हमेशा भाग रही है। हर मोड़ पर सरकार द्वारा मीडिया के सहयोग से नया मुद्दा खड़ा किया जाता रहा है।
किसानों मजदूरों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा गेहूं की खरीद पर जबर्दस्ती सीधी अदायगी थोप कर सयुंक्त संघर्ष को तोड़ने का काम किया है। वर्तमान हालात में जब कृषि से जुड़े व्यवसायों का सांझा संघर्ष सयुंक्त किसान मोर्चे की अगुवाई में लड़ा जा रहा है व बेजमीने किसान भूमि रिकॉर्ड जमा नहीं कर सकते, केन्द्र सरकार का यह कदम निंदनीय है।
बयान के अनुसार, हरियाणा में शहीद किसानों का लगातार अपमान किया गया। सिरसा में शहीद स्मारक तोड़ दिया गया। दो दिन पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भाजपा नेताओं का विरोध कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज किया गया व कई किसानों को हिरासत में लिया गया। जो नेता किसानों पर हमेशा तरह तरह के अमानवीय हमले करते रहे वे किसानों को अब मानवता सीखा रहे हैं, यह अपने आप मे हास्यास्पद प्रतीत होता है।
मोर्चे ने कहा है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री ने जिस बर्बरता के साथ किसान आंदोलन को बदनाम किया है, वे मानवीय आधार पर अपने पदों से तुरंत इस्तीफा दें।
कृषि कानूनों पर लोगों में जागृति पैदा करने के लिए जो अभियान मोर्चे ने प्रारम्भ किया वह तेजी से आगे बढ़ा है। उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में 9 अप्रैल को, हापुड़ में 13 को, प्रयागराज व अल्मोड़ा में 5 को, गाजियाबाद में 8 को, प्रतापगढ़, रामनगर व हल्द्वानी 6 को, सीतापुर में 14 को, विकासनगर व नानकमत्ता 7 को इसे संचालित किया गया।
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