मोदी शाह को समझा चुका हूं कि वे ग़लत रास्ते पर हैं, किसानों के साथ नहीं हो रहा इंसाफः सत्यपाल मलिक
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर कहा है कि केंद्र सरकार किसानों के साथ ग़लत व्यवहार कर रही है और उसे किसानों को दिल्ली के खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए।
सांगवान खाप के प्रधान सोमवार सांगवान को चिट्ठी लिखकर सत्यपाल मलिक ने किसानों का साथ कभी न छोड़ने का वादा किया और कहा कि मई के पहले सप्ताह में वो दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को इस मुद्दे पर समझाने की कोशिश करेंगे।
सत्यपाल मलिक ने चिट्ठी में लिखा है कि ‘देश के किसानों ने एक शानदार एवं शांतिपूर्ण तरीके के साथ लंबी लड़ाई लड़ी है और इस संघर्ष में अपने लगभग 300 किसान साथियों को खोया है। अफसोस की बात ये है कि इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी केंद्र सरकार ने एक बार भी अफसोस का इजहार नहीं किया। इस सरकार का रवैया बहुत ही निर्दयतापूर्ण और निंदनीय है।’
चिट्ठी में आगे लिखा है कि ‘किसानों से कोई संवाद न करते हुए उनके आंदोलन को तोड़ने और बदनाम करने का सरकार द्वारा प्रयास किया गया है। मैं सभी किसानों को शाबासी देना चाहता हूं कि वे सरकार के छलावे में फंसने का प्रयास न करे और अपनी एकता को कायम रखें। आपका और आपके खाप पंचायत को जो मुझसे अपेक्षा है उस सिलसिले में मैं अपने स्तर पर काफी प्रयास कर चुका हूं। मैं माननीय गृहमंत्री से इस किसान आंदोलन के मुद्दे पर मुलाकात की है ञऔर उन्हें सुझाव दिया है कि वो किसानों के साथ न्याय करें और उनकी जायज मांगों को मान लें।’
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने लिखा है कि ‘मैने मीटिंग में भी स्पष्ट किया है कि किसानों के आंदोलन को दबहाया नहीं जा सकता। केंद्र सरकार इसका हल निकालते हुए उनकी मांग को मान लेना चाहिए। आगे भी इस प्रकार का प्रयास करता रहूंगा। इसके लिए जो भई हो सकेगा वह मैं करूंगा।’
‘मैने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को यह भी बताने का प्रयास किया है कि वे गलत रास्ते पर हैं और किसानों को दबाने, डराने और धमकाने का प्रयास न केरं। मैंने यह भी कहा है कि किसानों को दिल्ली से खाली हाथ न लौटाएं।
मैं आपको और आपके खाप पंयायत के लोगं को यह भरोसा देना चाहता हू्ं कि मैं कभी भी आपका साथ नहीं छोड़ूंगा।’
‘मैं आगामी मई महीने के पहले हफ्ते में दिल्ली आ रहा हूं और इसे संबंधित सभी नेताओं से संपर्क करके किसानों के पक्ष में उनकी सहमति कराने का प्रयास करूंगा।’
गौरतलब है कि सत्यपाल मलिक पहले भी मोदी सरकार की किसान नीति को लेकर उनकी आलोचना कर चुके हैं और किसानों के साथ न्याय की गुहार लगा चुके हैं।
उधर देश के जाने माने अर्थशास्त्री, वकील, बुद्धिजीवी व अन्य जनवादी हस्तियों ने केंद्र सरकार व सयुंक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर फिर से बातचीत शुरू करने करने की अपील की है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा है कि किसानों के मोर्चो पर सेनिटेशन व साफ सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाएगा। किसानों को मास्क आदि वितरित किये जायेंगे। प्रशासन ने धरने के आसपास वैक्सीनेशन सेंटर बनाये हैं वहां किसान जाकर वैक्सीन लगवा सकते हैं।
लक्षण दिखने पर जांच करवाई जाएगी। मोर्चो पर किसान पहले ही दूर दूर खुले में रह रहे हैं। सयुंक्त किसान मोर्चा इस कृषि कानूनों के खिलाफ होने के साथ साथ कोरोना के खिलाफ भी लड़ रहा है।
बयान में कहा गया है कि कोरोना लॉकडाउन में जब सब लोग घरों में कैद थे तब “आपदा में अवसर” खोजते हुए सरकार ने किसान विरोधी व जन विरोधी कृषि कानून देश पर थोपे।
इसमें आरोप लगाया गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देने की बजाय कॉरपोरेट घरानों को खुश रखने के सभी प्रयास सरकार ने किए। आज भी भाजपा के लिए चुनाव महत्वपूर्ण है न कि देश की जनता। भाजपा के पास यह विकल्प है कि वे चुनावी रैली करें या न पर किसानों के पास विरोध करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। किसानों अपना विरोध वापस ले लेंगे अगर सरकार खेती कानून वापस ले व MSP पर कानून बना दे।
सरकार कोरोना से लड़ने में असफल रही है। किसानों के धरनों से कितने लोगों को कोरोना हुआ है यह सरकार को सिद्ध करना चाहिए बजाय इसके कि किसानों के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाएं। कोरोना महामारी का पिछली बार भी किसानों के खिलाफ प्रयोग किया गया था व अब भी हो रहा है।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)