मोदी सरकार में कैसे जुड़ा अडानी का किसानों से कनेक्शन?
किसानों आंदोलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खासमखास लोगों में शुमार उद्योगपति गौतम अडानी का नाम यूं ही नहीं उछल रहा है।
अडानी कंपनी खुद यह मानती है कि मोदी सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए भंडारण की जिम्मेदारी देकर उस पर खासा उपकार किया है।
अडानी एग्री लाॅजिस्टिक लिमिटिड (एएएलएल) अपनी वेबसाइट में इसकी तस्दीक करती है कि मोदी सरकार ने इसके लिए उसे सात सौ करोड की राशि जारी की। यह अब कोई छिपी खबर भी नहीं है।
एएएलएल ने इस राशि का इस्तेमाल भारतीय खाद्य निगम के लिए देश के छह राज्यों पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में 5.7 लाख मीट्रिक टन अनाज भंडारण में किया है।
इसके अलावा केवल मध्य प्रदेश में कंपनी ने एफसीआई के लिए तीन लाख मीट्रिक टन अनाज भंडारण किया। कंपनी अब अन्य राज्यों जैसे यूपी और बिहार के साथ ही पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में अपनी अनाज भंडारण क्षमता में चार लाख मीट्रिक टन का इजाफा करने जा रही है।
एएएलएल ने साल 2005 में भारतीय खाद्य निगम के साथ एक सेवा समझौता किया था। जिसके अनुसार, अडानी के सहयोग से पंजाब के मोगा और हरियाणा के कैथल में तैयार किए गए साइलो स्टोरेज में अनाज भंडारण शुरू किया गया था। इसकी जानकारी अडानी ग्रुप ने अपनी वेबसाइट पर भी दी है।
जिसमें कहा गया है कि साल 2007 में एफसीआई के लिए मोगा और कैथल में मॉर्डन साइलो स्टोरेज तैयार किए गए थे।
इन्हें बनाने का काम साल 2005 में शुरू हुआ था। मई 2014 में मोदी सरकार के शपथ लेने के साथ ही एएएलएल की पांच अन्य शहरों में कंपनिया रजिस्टर्ड हुई थीं। 2014 से 2018 के बीच एएएलएल की 21 कंपनियां गुजरात में रजिस्टर्ड की गईं।
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन में अपना नाम उछलने पर अडानी समूह सफाई भी दे चुका है। समूह ने कहा कि ‘हम किसानों से न तो अनाज खरीदते हैं और न ही अनाज की कीमत तय करते हैं।’
समूह ने कहा कि ‘हम केवल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए अनाज भंडारण कक्ष तैयार करते हैं और उसका संचालन करते हैं।’
अडानी समूह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जारी एक बयान में कहा, ‘कंपनी की भंडारण क्षमता निर्धारित करने में और अनाज का दाम तय करने में कोई भूमिका नहीं है। कंपनी एफसीआई के लिए केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता है।‘
एफसीआई किसानों से अनाज खरीदता है और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से बने भंडारण कक्षों में उन्हें स्टोर करता है। इस प्रक्रिया में शामिल निजी भागीदारों को खाद्यान्न भंडारण कक्ष (सिलोज) बनाने के लिए और अनाज स्टोर करने के लिए एक शुल्क का भुगतान किया जाता है।
वहीं कमोडिटी के स्वामित्व के साथ-साथ इसके विपणन और वितरण अधिकार, एफसीआई के पास रहते है। एफसीआई सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के लिए अनाज की खरीद और परिवहन को नियंत्रित करता है।
गौरतलब है कि तीन कृषि सुधान कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों ने आरोप लगाया कि ये कानून अंबानी और अडानी के फायदे के लिए लाए गए हैं।
कुछ किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह अनाज जमा करने और बाद में उसे ऊंची कीमत पर बेचने के लिए भंडारण कक्षों का निर्माण कर रहा है।04
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