कृषि बिल के खिलाफ किसानों ने किया संसद मार्च का ऐलान, मई के पहले सप्ताह में संसद कूच

कृषि बिल के खिलाफ किसानों ने किया संसद मार्च का ऐलान, मई के पहले सप्ताह में संसद कूच

तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 4 महीने से ज्यादा समय से दिल्ली सहित देश भर में आंदोलनरत किसानों ने ऐलान किया है कि मई के पहले हफ्तें में किसान संसद तक मार्च करेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि “लंबे समय से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों ने ये फैसला लिया है कि वो अपनी मांगों को लेकर संसद की तरफ कूच करेंगे।”

इसके अलावा किसान मोर्चा ने यह भी बताया कि 10 अप्रैल को किसान 24 घंटे के लिये केएमपी एक्सप्रेसवे को ब्लॉक करेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चे के नेता डॉ. दर्शन पाल ने बताया कि मई के पहले सप्ताह में संसद कूच का कार्यक्रम होगा। इसमें महिला, मजदूर और किसान शामिल होंगे। बॉर्डर तक अपनी सवारी में आएंगे, आगे पैदल दिल्ली जाएंगे। कोई भी गड़बड़ी न हो इसके लिए टीम गठित की जाएगी।

किसान नेताओं ने यह भी कहा कि “300 से ज्यादा किसान अब तक शहीद हो चुके हैं लेकिन सरकार की तरफ से किसानों के मांगो पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। और जो भी व्यक्ति या संगठन आंदोलन कर रहे किसानों की मदद को आगे आ रहे सरकार उन्हें परेशान कर रही है। सरकार उनपर छापेमारी करा रही है। ”

किसान मोर्चा ने कहा कि “आंदोलनकारी किसान मई में संसद तक पैदल मार्च करेंगे, तारीख पर जल्द ही फैसला किया जाएगा।”

किसान मोर्चा के मुताबिक, इस संसद मार्च में किसानों और मज़दूरों के अलावा महिलाएं, दलित-आदिवासी-बहुजन, बेरोजगार युवा और समाज का हर वर्ग हिस्सा लेगा।

मालूम हो कि किसान संगठनों ने बीते 26 मार्च को कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के तहत भारत बंद बुलाया था और पहले के भारत बंद के मुकाबले इस बार इसका असरअधिक व्यापक देखा गया।

बीते 30 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चे की आम सभा का आयोजन किया गया था जिसमें कई निर्णय लिए गए।

  • पांचअप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा जिस दिन देशभर में FCI के दफ्तरों का घेराव किया जाएगा।
  • दस अप्रैल को 24 घण्टो के लिए केएमपी ब्लॉक किया जाएगा।
  • 13 अप्रैल को वैशाखी का त्यौहार दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा।
  • 14 अप्रैल को डॉ भीम राव अम्बेडकर की जयंती पर सविंधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा।
  •  एक मई मजदूर दिवस दिल्ली के बोर्डर्स पर मनाया जाएगा। इस दिन सभी कार्यक्रम मजदूर किसान एकता को समर्पित होगा।
  •  मई के पहले पखवाड़े में संसद कूच किया जाएगा। यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से शांतमयी होगा। अपने गावों शहरों से दिल्ली के बॉर्डर तक लोग अपने वाहनों से आएंगे। इसके बाद दिल्ली के अनेक बॉर्डर्स तक पैदल मार्च किया जाएगा। निश्चित तारीख की घोषणा आने वाले दिनों में कर दी जाएगी।

अभी तक किसान आंदोलन की अपडेट

त्रिवेन्द्रम में No Vote for BJP/NDA के बैनर लगा रहे किसान नेता बीजू व अन्य नेताओं पर भाजपा आरएसएस के कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया व उनको पीटा गया। हम इसकी कठोर शब्दो मे निंदा करते है व इस व्यवहार का विरोध करते है। किसान मोर्चा ने आह्वान किया है कि जनता भाजपा के खिलाफ वोट करें।

मिट्टी सत्याग्रह यात्रा के तहत यात्रियों को दांडी में किसानों द्वारा 100 गांव की मिट्टी तथा बारदोली में 50 गाँव से लाई गई मिट्टी सौंपी गई। उमराची में यात्रा का स्वागत किया गया। यात्रियों ने बताया कि मोदी सरकार किसानों की मिट्टी (जमीन) छीनकर पूँजीवादियों को सौंपना चाहती है। इसके खिलाफ यह यात्रा निकाली जा रही है। किसान आंदोलन के दौरान देश की मिट्टी को बचाने के लिए 320 से ज्यादा किसान शहीद हुए हैं। शहीद स्मारक बनाकर उन्हें याद करने के लिए यह यात्रा गांधी जी की प्रेरणा से निकाली जा रही है।
यात्रा को उमराची में गुजरात पुलिस ने रोक दिया। देश का किसान लोकतंत्र बचाने की लड़ाई को लड़ रहा है।

मिट्टी सत्याग्रह की दूसरी यात्रा नर्मदा बचाओ आंदोलन और जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में राजघाट से शुरू की गई। मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में शामिल नर्मदा घाटी के किसान, मजदूर, मछुआरों के प्रतिनिधि गांधी समाधि, राजघाट (कुकरा) बड़वानी से रतलाम, मंदसौर होकर राजस्थान के डूंगरपुर जाएंगे, जहां पर दोनों यात्राएं मिलेगी तथा दिल्ली बॉर्डर (शाहजहांपुर, टिकरी, गाजीपुर, सिंघू) की ओर बढ़ेंगी।

तमिलनाडु के कन्याकुमारी के नजदीक मनाकुडी में किसानों व मछुआरों की एक बड़ी महापंचायत आयोजित की गई। इस रैली में हज़ारों की संख्या में किसान, मजदूर व मछुआरे शामिल हुए। कई क्षेत्रीय मुद्दों समेत राष्ट्रीय मुद्दों पर हुई इस पंचायत में लोगों ने कहा कि वे चुनावो ने भाजपा व उसके सहयोगियों को सबक सिखायेंगे। इस कार्यक्रम में 300 से ज्यादा नावों ने समुद्र में काले झंडे दिखाकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताया।

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Abhinav Kumar

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