तीन कृषि क़ानूनों की होलिका दहन, पांच अप्रैल से एफ़सीआई के गोदाम घेरने की तैयारी
सयुंक्त किसान मोर्चा ने रविवार को तीन कृषि कानूनों की होलिका जलाई। दिल्ली के बॉर्डर्स पर लगे किसानों के धरणस्थलों पर किसानों ने कृषि कानूनों को किसान व जनता विरोधी करार देते हुए होली मनाई।
किसानों ने इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का चिन्ह मानते हुए कहा कि इन कानूनों को रद्द करना ही पड़ेगा व MSP पर कानून बनाना ही पड़ेगा।
मोर्चा ने बयान जारी कर कहा है कि बीते 18 मार्च को हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद एक ऐसा विधेयक पारित किया गया है जिसका उद्देश्य आंदोलन और आंदोलन करने वालों को दबाना है।
मोर्चा ने बयान जारी कर कहा है कि हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान संपत्ति क्षति वसूली विधायक 2021 बिल में ऐसे खतरनाक प्रावधान हैं जो निश्चित रूप से लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध होंगे। सयुंक्त किसान मोर्चा ने इस कानून की कड़ी निंदा की है।
मोर्चे के कहना है कि यह कानून इस किसान आंदोलन को खत्म करने और किसानों की जायज मांगों से भागने के लिए लाया गया है।
इसके तहत किसी भी आंदोलन के दौरान कहीं पर भी किसी भी द्वारा किए गए निजी या सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई आंदोलन करने वालों से की जाएगी। आंदोलन की योजना बनाने, उसको प्रोत्साहित करने वाले या किसी भी रूप में सहयोग करने वालों से नुकसान की वसूली की जा सकेगी।
कानून के अनुसार किसी भी अदालत को अपील सुनने का अधिकार नहीं होगा कथित नुकसान की वसूली आंदोलनकारियों की संपत्ति जब्त करके की जा सकेगी। ऐसा कानून उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा भी बनाया जा चुका है और इसका बड़े पैमाने में दुरुपयोग हुआ है ।
यह एक घोर तानाशाही का कदम है और वर्तमान शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के खिलाफ इसका दुरुपयोग किया जाना निश्चित है। हम इसका कड़ा विरोध करते है।
सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से MSP और PDS व्यवस्था खत्म करने के कई प्रयास किये जा रहे है। पिछले कई सालों से FCI के बजट में कटौती की जा रही है। हाल ही में FCI ने फसलों की खरीद प्रणाली के नियम भी बदले।
सयुंक्त किसान मोर्चा की आम सभा मे यह तय किया गया है कि आने वाली 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत देशभर में FCI के दफ्तरों का सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक घेराव किया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि, ‘हम किसानों व आम जनता से अपील करते है कि यह अन्न पैदा करने वालो और अन्न खाने वालों दोनों के भविष्य की बात है इसलिए इस दिन इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लें।’
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