28 मार्च को कृषि क़ानूनों की होलिका, 5 अप्रैल को FCI के गोदामों का घेराव
संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा है कि 26 मार्च को भारत बंद के बाद 5 अप्रैल को देश भर में एफ़सीआई के गोदामों का घेराव किया जाएगा।
गौरतलब है कि खाद्य, उपभोक्ता मामले व जन वितरण की स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को लागू करे। संयुक्त किसान मोर्चे ने इस इस कदम की संख्त निंदा की है।
सरकार की ओर लगातार उठाए जा रहे कड़े कदमों के मद्देनजर शनिवार को सिेघु बार्डर पर किसान मोर्चे की बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया है कि 5 अप्रैल को FCI के देशभर में दफ्तरों पर सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक घेराव किया जाएगा।
इसके अलावा 22 मार्च को देशभर में जिला स्तर पर जन संगठनों की बैठक की जाएगी जिसमें 26 मार्च के पूर्ण भारत बंद को सफल बनाने की तैयारिया की जाएगी।
फैसले के अनसार, 23 मार्च को शहीद दिवस पर देशभर से दिल्ली बॉर्डर्स पर आ रहे नौजवानों का स्वागत किया जाएगा।
फैसले के मुताबिक, 26 मार्च को पूर्ण रूप से भारत बंद किया जाएगा। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाएं बंद रखी जायेगी। सड़क व रेल परिवहन बन्द होगा। भारत का प्रभाव दिल्ली के अंदर भी होगा।
इसके साथ ही 28 मार्च को होलिका दहन में तीन कृषि कानूनो की प्रतियां जलाई जाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बयान जारी कर कहा है कि सरकार के साथ बातचीत में व अन्य प्लेटफॉर्म पर यह बार बार समझाया जा चुका है कि ये तीनों कानून ही गलत है व किसानों और आम नागरिकों का शोषण करने वाले हैं।
यह कानून पूरी तरह से गरीब विरोधी है क्योंकि यह भोजन, जो मानव के अस्तित्व के लिए सबसे आवश्यक है, उसे आवश्यक वस्तु की सूची से हटाता है। यह असीमित निजी जमाखोरी और कालाबाजारी की अनुमति देता है।
किसान मोर्चे ने बताया कि पीडीएस सुविधाओं और इस तरह की अन्य संरचनाओं का इस कानून की वजह से खात्मा हो जायेगा।
और खाद्यान्नों की सरकारी खरीद को नुकसान पहुंचेगा। यह खाद्य आवश्यकताओं के लिए 75 करोड़ लाभार्थियों को खुले बाजार में धकेलेगा।इससे खाद्य बाजारों में कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा।
किसान मोर्चा ने कहा कि पूरी तरह से अपमानजनक है कि कई राजनैतिक दल जो 3 कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए किसानों के आंदोलन को समर्थन देने का दावा कर रहे हैं, उन्होंने ECAA के कार्यान्वयन के लिए मतदान किया है।
मोर्चा के नेताओं ने कहा कि कई राजनीतिक दल किसानों आंदोलन को समर्थन देने का दावा करते है और जनविरोधी कानूनों के पक्ष में मतदान भी कर रहें हैं। उनका यह कदम दलों के बीच व्यापक सहमति को दर्शाता है।
उधर किसानों के भारी विरोध के बाद गेंहू की खरीद से सम्बधी नए नियमो को सरकार ने वापस ले लिया है। अब गेहूं की खरीद पर वहीं पुरानी प्रणाली (जो 2020-21 में थी) चलती रहेगी।
सयुंक्त किसान मोर्चा ने इसे किसानो की जीत मानते हुए सभी आन्दोलनकारियों को बधाई दी है।
किसान मोर्चा द्वारा घोषित 26 मार्च को भारत बंद को सफल बनाने के लिए कई संगठनों का समर्थन मिल रहा है। राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के बाद अब राज्यवार संगठनों ने भी इस बंद को सफल बनाने के लिए जोर-शोर से तैयारी शुरु कर दी है।
सयुंक्त किसान मोर्चा ने देश की जनता से अपील की है कि भारत बंद का समर्थन करते हुए अपने अन्नदाता का सम्मान करें।
बयान के अनुसार, भाजपा के वैचारिक अभिभावक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि कृषि कानूनों से संबंधित आन्दोलन में मोदी सरकार व किसानों के बीच “राष्ट्रविरोधी और असामाजिक ताकतों” ने गतिरोध पैदा किया हुआ है।
किसान मोर्चा ने आरएसएस के इस व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि किसान आंदोलन पहले से ही शांतिपूर्ण रहा है व सरकार के साथ हर बातचीत में भाग लिया है। किसानों के प्रति इस तरह की सोच रखना किसानों का अपमान है।
मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि सरकार के घमंडी व्यवहार व भाजपा का विरोध करने के कारण किसानों का अपमान किया जा रहा है। सरकार तीनों कृषि कानूनो को तुरंत रद्द करें व एमएसपी पर कानून बनाये।
अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के नेतृत्व में तेलंगाना राज्य के निर्मल जिले में खानपुर क्षेत्र में आयोजित किसानों व आदिवासियों की रैली व जनसभा हुई।
इसमें तीन खेती के कानूनों को रद्द कराने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी का कानूनी अधिकार देने, आदिवासियों व किसानों को खेती की पोडू जमीन से विस्थापित ना करने तथा खेती करने के पट्टे वन अधिकार कानून 2006 के अनुसार देने की मांग उठाई गई।
बिहार में सासाराम जिले के नौहट्टा ब्लॉक मे मुजारा लहर आंदोलन की वर्षगांठ के अवसर पर 19मार्च को अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के नेतृत्व में किसानों का प्रदर्शन।
इसमें मांग की गई कि खेती के तीन काले कानून वापस हो, एमएसपी का कानून बने और बटाईदार किसानों को सभी अधिकार दिए जाए।
तीनों कृषि काूननों को रद्द करने, बिहार विधानसभा से उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली और भूमिहीन व बटाईदार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ प्रदान करने सहित अन्य मांगों पर पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में अखिल भारतीय किसान महासभा व खेग्रामस के संयुक्त बैनर से आयोजित किसान-मजदूरों की महापंचायत में हजारों किसान-मजदूरों ने भागीदारी निभाई।
शनिवार को रायबरेली में किसान महापंचायत आयोजित की गई जिसमें किसान नेताओ ने आत्महत्या कर चुके किसानों का मुद्दा उठाया व इन परिवारों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराने की मांग की।
22 मार्च को एक विशाल महापंचायत उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित की जाएगी जिसमें हज़ारो की संख्या में किसानों के पहुंचने की तैयारियां है।
उतराखण्ड से चली किसान मजदूर जागृति यात्रा गुरुद्वारा बनका फार्म से चलकर हरगांव, मोहाली होते हुए मैगलगंज पहुंची। जिसमें रास्ते भर में जगह जगह अपार समूह ने जागृति मार्च का अभिवादन व स्वागत किया।
रास्ते भर में गांव देहातों कस्बों में मंच से मजदूरों, मझले व्यापारियों तथा किसानों को तीन काले कानूनों से अवगत करवाया गया।
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा विकेन्द्रित रूप में 12 मार्च से 28 मार्च तक देश के कई राज्यों में जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, आसाम और पंजाब में जन संवाद अभियान चला रही है।
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 30 मार्च को दांडी से शुरू होकर गुजरात के अन्य जिलों से होकर, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के कई जिलों से होकर 5 अप्रैल की सुबह 9 बजे शाहजहाँपुर बॉर्डर पहुँचेंगी।
यात्रा के आखिरी दौर में पूरे देश की विकेन्द्रित यात्राएँ किसान बॉर्डर पर अपने राज्य के मिट्टी कलश के साथ यात्रा में शामिल होंगे। शाहजहाँपुर बॉर्डर से ये किसान टिकरी बॉर्डर जाएँगे।
अप्रैल 6 की सुबह 9 बजे सिंघु बॉर्डर और शाम 4 बजे गाजीपुर बॉर्डर पहुँचेंगे।
बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के सभी वरिष्ठ किसान साथी इस मिट्टी सत्याग्रह यात्रा का हिस्सा रहेंगे। पूरे भारत से आई मिट्टी किसान आंदोलन के शहीदों को समर्पित की जाएगी। बॉर्डर पर शहीद स्मारक बनाए जाएंगे। स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों की पुनर्स्थापित करने के विचार को आगे बढ़ाने के लिए किसान संकल्पित हैं।
संयुक्त होरता (कर्नाटक भर में कई किसान संगठनों का एक समन्वय), कर्नाटक राज्यसभा संघ (केआरआरएस) और हसीरू सेने के सयुंक्त आयोजन में शिवमोग्गा जिले में शनिवार को एक महापंचायत हुई।
इस महापंचायत में न सिर्फ किसान, बल्कि वे सब भी जो किसानो को समर्थन कर रहे है, भाग लेंगे।
इसके द्वारा कर्नाटक भर में महापंचायतें आयोजित की जाएंगी। एसकेएम के वरिष्ठ नेताओं के साथ कर्नाटक के किसान 22 मार्च को बैंगलोर में विधानसभा मार्च करेंगे।
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