बंगाल में बीजेपी की करारी हार से किसान मोर्चे में खुशी की लहर, कहा- जनता ने नकारा कृषि क़ानून
दो मई को जैसे ही पश्चिम बंगाल के चुनाव में बीजेपी की करारी हार साफ़ हो गई, दिल्ली बॉर्डर को बीते पांच महीनों से घेरे बैठे किसान मोर्चे में खुशी की लहर छा गई।
संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच विधानसभा चुनावों में सबसे अहम पश्चिम बंगाल में भाजपा के खिलाफ जनादेश को मोदी सरकार की नीतियों को खारिज करने वाला बताया है।
संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बयान जारी कर कहा कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में, यह स्पष्ट है कि जनता ने भाजपा की विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति को खारिज कर दिया है। ऐसे गंभीर संकट के समय में जब देश अपने स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढाँचे के मामले में आपदा का सामना कर रहा है, अनेक योजनाओं के अभाव के कारण बहुत से निर्दोष नागरिक इस सरकार की घोर उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं।
बयान के अनुसार, समय में जब लोगों को आजीविका के बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है, बीजेपी ने अपने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे को फैलाने की कोशिश की। चुनाव आयोग पर संस्थागत हमले व मिलीभगत कर भाजपा ने चुनाव जीतना चाहा।
किसान नेताओं ने कहा कि चुनाव आयोग से अनैतिक व गैरकानूनी सहायता और चुनाव अभियानों में भारी संसाधनों को खर्च करने के बावजूद इन राज्यों में भाजपा की हार होना यह दर्शाता है कि नागरिकों ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों के इस एजेंडे को ख़ारिज़ कर दिया है।
बयान में कहा गया है कि, “प्रदर्शनकारी किसान पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एजेंडा अस्वीकार्य है; यह नागरिकों का एक सांझा संघर्ष है, जो अपनी आजीविका की रक्षा करने के साथ साथ देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बचाने के लिए भी है। विभिन्न राज्यों के मतदाताओं ने भाजपा को दंडित करने के सयुंक्त किसान मोर्चा के अभियान को सफल बनाया है।”
“भाजपा का यह एजेंडा बिल्कुल फेल रहा है जिसमें उन्होंने नागरिकों की आजीविका के मुद्दों – किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों और मज़दूर-विरोधी श्रम कोड को चुनावी मुद्दा ना बनाने में प्रयास किये। हम बंगाल और अन्य राज्यों के नागरिकों को किसानों को समर्थन देने के लिए बधाई देते हैं।
“हम अब पूरे भारत के किसानों से अपील करते हैं कि वे अपने प्रतिरोध को मजबूत करें, और अधिक से अधिक संख्या में आंदोलन में शामिल हों। यह आंदोलन उन लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रसारित करना जारी रखेगा, जो हमारे संविधान की सुरक्षा करते है व उद्देश्यों को पूरा करते हैं। किसान अपनी मांगें पूरी होने तक खुद को और मजबूत करेंगे”.
“अब भाजपा की नैतिक जिम्मेदारी है कि परिणामों को स्वीकार करे व किसानों से बातचीत कर तीन कृषि कानून रद्द करें व MSP की कानूनी गांरटी दे। हम एक बार पुनः स्पष्ट कर रहे हैं कि किसानों का यह आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक मांगे नहीं मानी जाती। साथ ही भाजपा व सहयोगी दलों का बॉयकॉट भी जारी रहेगा। सरकार किसानों मजदूरो को अपना दुश्मन बनाने की बजाय कोरोना महामारी व अन्य आर्थिक संकट से लड़े।”
सयुंक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय कोर कमेटी ने युवा आन्दोलनकारी मोमिता बासु के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया है। पश्चिम बंगाल से किसानों के धरने में पहुंची मोमिता लगातार किसान मोर्चो पर डटी हुई थीं। उनका यह बलिदान किसानी संघर्ष में याद रखा जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कोरोना के नाम पर पंजाब सरकार द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंध और किसानों पर दर्ज पुलिस केसों की कड़ी निंदा की है।
नेताओं ने कहा नूरपुर-बेदी (रोपड़) में हुई किसान कांफ़्रेस में पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह रंधावा, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरदीप कौर कोटला, कीर्ति किसान मोर्चा के नेताओं बीर सिंह, जगमनदीप सिंह पढ़ी, रूपिंदर संदोया, मिस्त्री मजदूर यूनियन के नेता तरसेम सिंह जटपुर और गायक पम्मा डुमेवाल पर पंजाब पुलिस नूरपुरबेदी (रोपड़) द्वारा मामला दर्ज किया गया है।
कुछ दिन पहले मोगा पुलिस ने युवा किसान नेता सुखजिंदर महेश्री और विक्की महेश्री के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया था। पंजाब सरकार को लोगों के संघर्षों पर रोक लगाना तुरंत बंद करें और युवा किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज पर्चे को तुरंत रद्द करें अन्यथा इन कार्यों के खिलाफ संघर्ष किया जाएगा।
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