पीएम मोदी को किसान नेताओं की चिट्ठी, सरकार को 25 मई तक का अल्टीमेटम
शुक्रवार को सयुंक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखते हुए बातचीत शुरू करने को कहा है। इसमें ग्रामीणों व सामान्य नागरिकों के लिए कोरोना महामारी से बचाव के लिए कदम उठाने का भी आह्वान किया है।
किसान नेताओं ने कहा है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए व किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए। वे कानून जो किसानों द्वारा ठुकराए जा चुके हैं उन्हें जबरदस्ती लागू करना देश की लोकतांत्रिक व मानवता के मूल्यों के खिलाफ है।
चिट्ठी में किसान नेताओं ने लिखा है कि अगर 25 मई तक मोदी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो किसान आंदोलन के अगले चरण की घोषणा की जाएगी और आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा।
चिट्ठी की प्रमुख बातें
ऐसे समय में हम बहुत दुख और पीड़ा के साथ आपको चिट्ठी लिख रहे हैं, जब देश के लाखों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। हम भारत के किसान जो संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले रात दिन जाड़ा, गर्मी, बरसात को झेलते हुए लगातार आंदोलित हैं और 26 मई को इस आंदोलन के छह महीने पूरे हो रहे हैं, उससे पहले आपको ये ख़त लिख रहे हैं।
इसी दिन देश के सबसे किसान विरोधी आपकी सरकार के कार्यकाल के भी सात साल पूरे हो रहे हैं। किसान संगठनों और सामाजिक संगठनों ने पूरे देश में इसे काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा भी है।
आंदोलन के पहले दो महीने में आपकी सरकार के साथ 11 दौर की बात चली, जिसमें सरकार किसानों की न्यूनतम मांग को भी मानने को तैयार नहीं हुई। 22 जनवरी 2021 के बाद से सरकार ने किसानों के साथ कोई बातचीत नहीं की है।
इस दौरान 470 किसानों की मौत हो चुकी है। बावजूद देश के किसान आज़ादी के बाद सबसे शांतिपूर्ण, अनोखा, सबसे लंबा और सबसे विशाल प्रदर्शन को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री मोहदय, इस चिट्ठी के मार्फ़त हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि किसानों के साथ संजीदा और गंभीर बातचीत करने की ज़िम्मेदारी आप पर है।
ये पत्र इस बात को याद दिलाने के लिए है कि हम अपनी मुख्य मांगों के साथ मजबूती से खड़े हैं- तीनों जन विरोधी कृषि क़ानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी पर क़ानून बनाया जाए जोकि C2+50% के फार्मूले पर आधारित हो।
कोविड-19 की दूसरी लहर में सरकार को अपनी पूरी ऊर्जा और संसाधन को लगाना चाहिए, क्योंकि महामारी गांवों में फैल गई है। इस पर तभी काबू पाया जा सकता है जब सभी कोरोना मरीज़ों के मुफ़्त इलाज़ को सुनिश्चित किया जाए, मुफ़्त राशन दिया जाए और सभी ज़रूरतमंद नागरिकों की आजीविका के लिए मदद दी जाए। इसके साथ ही छह महीने के अंदर सभी को मुफ़्त वैक्सीन दी जाए।
हम मानते हैं कि अगर राजनीतिक इच्छा शक्ति हो तो ये सब किया जा सकता है।
ऐसे गंभीर समय में हम सरकार का ध्यान हटाना नहीं चाहते हैं, बावजूद इसके कि दिनों दिन बढ़ती मुश्किलों का हम सामना कर रहे हैं। यही कारण है कि हमने बड़े धैर्य पूर्वक चार महीने से ज़्यादा समय तक इंतज़ार किया। लेकिन अगर आपकी सरकार की ओर से 25 मई तक रचनात्मक और सकारात्मक जवाब नहीं आता है तो हमें अपने आंदोलन के अगले चरण में संघर्ष को तेज़ करने के लिए घोषणा करनी पड़ेगी।
26 मई को पूरे देश में काला दिवस मनाया जा रहा है और इस मौके पर हम अपनी आगे की रणनीति की घोषणा करेंगे।
बुद्ध पूर्णिमा के असर पर आपको सद्बुद्धि मिले, यही कामना है।
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