किसान आंदोलन के आज 6 महीने पूरे, देश भर में मोदी का पुतला जलाकर मना रहे काला दिवस
बुधवार को ऐतिहासिक किसान आंदोलन के छह महीने पूरे हो रहे हैं। इसी दिन नरेंद्र मोदी को सत्ता में आए सात साल पूरे हो जाएंगे। किसान संगठन पूरे देश में आज काला दिवस मना रहा है और मोदी की जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफॉ पुतले फूंके जाएंगे।
इसके साथ ही 26 मई को बुद्ध पूर्णिमा भी है और किसान मोर्चों पर सुबह से ही बुद्ध पूर्णिमा मनाया जा रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चे ने बयान जारी कर कहा है कि सत्य और अहिंसा के दम पर लड़े जा रहे इस आंदोलन को 6 महीने पूरे हो रहे हैं। मोर्चे ने अपील की है कि इसे लोग त्यौहार के रूप में मनाएं।
बयान के अनुसार, भाजपा द्वारा इस आंदोलन को हिंसक रंग देने का प्रयास किया जाता रहा है पर वह हमेशा फेल हुए हैं। किसानों ने सत्य के दम पर अपने आप को मजबूत रखा हुआ है। इसी सत्य व अहिंसा की ताकत के कारण किसान आंदोलन सफल होगा।
बयान में कहा गया है कि 26 मई 2014 से लेकर अब तक, जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, वह किसानों के खिलाफ तमाम फैसले लेती रही है। सिर्फ किसान के खिलाफ ही नहीं, मोदी सरकार जनता विरोधी फैसले लेते रही है। यह सरकार किसानों, मजदूरों, गरीबों, दलितों, महिलाओं, आदिवासियों, छात्रों, युवाओ, छोटे व्यापारियों एवं सभी नागरिकों पर लगातार दमन किया गया। मोदी सरकार के 26 मई 2021 को 7 साल होने जा रहे हैं जिसे संयुक्त किसान मोर्चा विरोध दिवस के रूप में मना रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने जनता से अपील की है कि इस दिन अपने घरों, वाहनों एवं तमाम जगहों पर काले झंडे लगाकर विरोध किया जाए। सभी लोग केंद्र की मोदी सरकार के पुतले जलाए एवं सरकार के प्रति अपना विरोध प्रकट करें। इस दौरान नागरिक ऑनलाइन माध्यम से भी सरकार का विरोध करें।
मोर्चा ने इस ऐतिहासिक दिन ‘ब्लैक डे’ पर किसानों, मजदूरों, युवाओं, छात्रों, कर्मचारियों, लेखकों, चित्रकारों, ट्रांसपोर्टरों, व्यापारियों और दुकानदारों सहित सभी वर्गों से अपना विरोध व्यक्त करने की अपील की है।
किसान नेताओं ने कहा कि पक्के मोर्चो में काली पगड़ी और काली चुन्नी पहनी जाए। चौक-चौराहों पर नारेबाजी व धरना-प्रदर्शन किया जाए। उन्होंने कहा कि घरों, दुकानों, कार्यालयों, ट्रैक्टरों, कारों, जीपों, स्कूटरों, मोटरसाइकिलों, बसों, ट्रकों पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर तीन कृषि कानूनों, बिजली संशोधन विधेयक 2020 और प्रदूषण अध्यादेश का कड़ा विरोध किया जाएगा।
आरएसएस के किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा प्रस्तावित विरोध दिवस पर आपत्ति जताई है। यह आपत्ति स्वाभाविक है क्योंकि इस आंदोलन के कारण खासतौर पर भारतीय किसान संघ की जमीन बिल्कुल खिसक चुकी है। भारतीय किसान संघ ने किसान मोर्चा पर बेबुनियाद आरोप लगाए है व किसानों को बदनाम करने की प्रयास किया यह है।
सयुंक्त किसान मोर्चा ने भारतीय किसान संघ के सभी आरोपों को खारिज किया है। भारतीय किसान संघ यह जानने को उत्सुक है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने विरोध दिवस के लिए 26 मई का दिन ही क्यों चुना तो उन्हें हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि इसी दिन किसान विरोधी नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी जिनके दबाव में भारतीय किसान संघ ने यह पत्र लिखा है।
किसान दिल्ली की सीमाओं पर लड़ रहे हैं और बीकेएस किसान मोर्चे पर गलत इल्जाम लगा रही है। मोर्चे ने भारतीय किसान संघ से आग्रह किया है कि वह सरकार से निवेदन करे कि तीनों कृषि कानून तुरंत रद्द किए जाएं और एमएसपी पर कानून बनाया जाए ताकि किसानों का यह आंदोलन खत्म हो और सभी किसान अपने अपने घर चले जाएं।
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