MSP वादे का भंडाफोड़: आधे मार्च तक ही चने की फसल में किसानों से 140 करोड़ रु. की लूट, किसान नेताओं का दावा
चने की ताज़ा फसल आने के बाद एमएसपी पर खरीद को लेकर किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एमएसपी के वादे पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
योगेंद्र यादव की अगुवाई में चल रहे जय किसान आंदोलन ने एक प्रेस बयान जारी कर मार्च महीने के पहले 15 दिन में ही चने की फसल में किसान की 140 करोड़ रुपए की लूट का आरोप लगाया है।
बयान में कहा गया है कि ये लूट सबसे अधिक गुजरात में हुई है और इस हिसाब से चने की बिक्री पूरी होने तक किसान की 870 करोड़ रुपए की लूट होने की आशंका है।
जय किसान आंदोलन ने दैनिक एमएसपी लूट केलकुलेटर शुरू किया है और कहा है कि एमएसपी को लेकर हो रही वादा खिलाफ़ी की वे रोज खुलासा करेंगे।
प्रधानमंत्री ने बार बार कहा है “एमएसपी थी, है और रहेगी”। लेकिन रबी फसल के खरीद के पहले 15 दिन में ही प्रधानमंत्री के दावे का भंडाफोड़ हो गया है। सरकारी वेबसाइट एगमार्क नेट द्वारा हर मंडी में प्रतिदिन हुई खरीद और उसके मूल्य के आंकड़ों के अनुसार केवल चने की फसल में ही 1 मार्च से 15 मार्च के बीच किसान को अपनी फसल एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से 140 करोड रुपए का घाटा हुआ।
इसे किसान की लूट बताते हुए जय किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव ने आशंका व्यक्त की कि अगर यही बाजार भाव चलता रहा और सरकार ने कोई दखल न दी तो केवल चने की फसल में इस साल किसान की 870 करोड रुपए की लूट होगी।
योगेंद्र यादव ने बताया की पिछले कुछ वर्षों में औसतन दो करोड़ क्विंटल चना बाजार में आता है। मार्च के पहले पखवाड़े में उसमें से 32 लाख क्विंटल यानी केवल 16% अभी तक बाजार में आया था। सरकार ने चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी ₹5100 निर्धारित की थी। लेकिन देश के सभी मंडियों में किसान को औसतन ₹4663 ही मिल पाए।
यानी किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण ₹437 का घाटा सहना पड़ा।
चना उत्पादन वाले मुख्य प्रदेशों में गुजरात की किसान की स्थिति सबसे बुरी थी क्योंकि उसे औसतन केवल ₹4462 ही मिल पाए यानी गुजरात के चना उत्पादक किसान को ₹638 प्रति क्विंटल की लूट सहनी पड़ी। इन 15 दिनों में गुजरात के चना उत्पादक किसान की कुल ₹46 करोड़ की लूट हुई जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान कि 38 करोड़ और ₹35 करोड़ की लूट हुई। (पूरी सूचना संलग्न तालिका में है)
उन्होंने बताया कि यह लूट कोई नई बात नहीं है। चने की फसल में पिछले वर्ष 2020-21 में किसानों की 884 करोड़ की लूट हुई थी चूंकि उन्हे औसतन एमएसपी से ₹800 कम दाम मिला था। उससे पिछले वर्ष 2019-20 में किसानों की 957 करोड़ रुपए की लूट हुई थी। यह सिलसिला हर वर्ष चलता रहता है जो कि सरकार ने चने की खरीद की कोई व्यवस्था नहीं की है।
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अवीक साहा ने “एमएसपी लूट केलकुलेटर” का परिचय देते हुए बताया कि इसमें इस्तेमाल किए जा रहे आंकड़े सरकार की अपनी वेबसाइट एगमार्क नेट से लिए गए हैं।
अब से प्रत्येक दिन जय किसान आंदोलन देश के किसी राज्य, किसी मंडी या किसी फसल में किसान की लूट के आंकड़े जारी करेगा। इसका उद्देश्य सरकार की इस झूठे प्रचार का भंडाफोड़ करना है कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी किसान को प्राप्त हो रहा है।
उन्होंने बताया कि जय किसान आंदोलन ने यह पहल दो वर्ष पहले की थी और देश भर में मंडियों में किसान की लूट की सूचना के आधार पर नीति आयोग को एक रपट भी पेश की थी।
जय किसान आंदोलन हरियाणा के महासचिव दीपक लांबा ने बताया कि पिछले 4 सालों की तरह इस साल भी उनका संगठन हरियाणा की मंडियों में घूम कर इसकी जांच करेगा कि किसान को फसल का ठीक मूल्य मिल रहा है या नहीं।
जय किसान आंदोलन के नेता और संयुक्त किसान मोर्चा के मीडिया कोऑर्डिनेटर परमजीत सिंह ने बताया कि यह कैलकुलेटर संयुक्त किसान मोर्चा के “एमएसपी दिलाओ” अभियान को मजबूत करेगा।
“एमएसपी लूट केलकुलेटर” की सूचना प्रतिदिन जय किसान आंदोलन और योगेंद्र यादव के फेसबुक पेज टि्वटर अकाउंट पर देखी जा सकती है। इसे सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए देशभर में प्रसारित किया जाएगा।
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