बीच सड़क पर धरे गए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, किसानों ने सुनाई खरी खोटी
तीन कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों के साथ सरकारी वार्ता की अगुवाई करने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को मंगलवार को मध्यप्रदेश में तीखे विरोध का सामना करना पड़ा।
मध्य प्रदेश में स्थानीय किसानों ने मंगलवार को दोपहर केंद्रीय कृषि मंत्री के काफिले को श्योपुर में सड़क पर ही रोक लिया गया और किसानों ने उनसे सड़क पर ही बात करने के मजबूर कर दिया। समुद्र तटीय इलाकों में आए चक्रवाती तूफ़ान ताउते के कारण दिन भर बारिश होती रही।
लेकिन किसानों ने बारिश के बीच शहर से निकल रहे तोमर के काफ़िले को बीच में ही रोक लिया। किसानों ने उनसे कहा कि एसडीएम और प्रशासन से मिलने का समय मांगा गया था लेकिन नहीं दिया गया इसलिए मजबूरी में किसानों ने उनसे सड़क पर ही मिलने का फैसला किया।
किसानों ने तोमर से कृषि क़ानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर क़ानून बनाए जाने की मांग रखी। किसानों ने सरकार की ओर से आंदोलन को बदनाम किए जाने की कोशिशों की निंदा की और मोदी सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाए।
हालांकि पुलिस और सुरक्षा बलों ने किसी तरह किसानों के घेराव के बीच से तोमर की गाड़ी को सुरक्षित निकाला और किसानों पर बल प्रयोग कर उन्हें रोकने की कोशिश की।
इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार कर हिरासत में लिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चे ने पुलिसिया दमन की निंदा करते हुए सरकार से तीनों क़ानून वापस लेने की मांग की है।
मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा उर्वरकों के दाम में वृद्धि का विरोध करते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।
बयान के अनुसार, तीन कृषि कानूनों के माध्यम से सरकार ने MSP पर एक बड़ा हमला किया है और आने वाले समय मे MSP को आधिकारिक तौर पर भी खत्म करने की योजना थी।
वर्तमान किसान आंदोलन के दबाव में सरकार प्रत्यक्ष रूप से MSP खत्म नहीं कर सकी परन्तु अप्रत्यक्ष रूप से उसकी कोशिशें जारी हैं।
बयान में कहा गया है कि खेती के लिए अति महत्वपूर्ण रासायनिक खाद डाई अमोनियम फास्फेट या DAP काफी महंगी हो गई है। सहकारी क्षेत्र के इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोओपरेटिव (IFFCO) ने 50 किलो वाले डीएपी खाद की कीमत में 58.33 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है।
पिछले महीने तक जो खाद की बोरी 1,200 रुपये में मिलती थी, उसकी कीमत अब 1,900 रुपये कर दी गई है। बाजार में अब इस दाम की बोरी आने भी लग गयी है।
मुख्य रूप से DAP व डीजल के बढ़ते भाव के कारण MSP सिर्फ नाम की रह गई है। कृषि में लागत बढ़ रही है व किसान को उसकी फसल का भाव नहीं मिल रहा। किसानों को घाटे में रखकर उन्हें बेदखल करने की नीति अब साफ़ होती जा रही है। मोर्चा ने मांग की है कि बढ़ाये गए रेट तुरंत वापस लिया जाए।
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