किसानों और मोदी सरकार के बीच वार्ता अंधे मोड़ पर, मंत्री ने कहा- इससे अच्छा प्रस्ताव हमारे पास नहीं
मोदी सरकार और किसान संगठनों के बीच चल रही वार्ता आखिरकार 11वें दौर के बाद अंधे मोड़ पर पहुंच गई।
मोदी सरकार ने साफ़ कर दिया है कि डेढ़ साल तक क़ानून को होल्ड पर रखने से अच्छा प्रस्ताव वो अब नहीं दे सकती। अगली मीटिंग की कोई तारीख़ भी नहीं तय हुई।
उधर, 26 जनवरी तक विज्ञान भवन बंद हो रहा है तो उससे पहले सरकार के साथ कोई और मीटिंग भी नहीं हो सकती।
शुक्रवार को 11वें दौर की बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के अड़ियल रवैये से किसान नेताओं में ख़ासी नाराज़गी दिखी।
दिल्ली के विज्ञान भवन में बुलाई गई वार्ता में शुक्रवार को बमुश्किल 15-20 मिनट बातचीत हुई और लंच से पहले नरेंद्र तोमर ये कहते हुए मीटिंग से गए कि कृषि क़ानून में कोई कमी नहीं है, किसान नेता इसपर विचार करें।’
साढ़े तीन घंटे के इंतज़ार के बाद जब तोमर लौटे तो फिर उन्होंने अपनी बात फिर से दुहराई और बिना अगली तारीख़ मुकर्रर किए वार्ता बेनतीजा समाप्त रही।
नरेंद्र सिंह तोमर का कहना था, “कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक लंबित रखने के प्रस्ताव पर किसान नेताओं को दोबारा सोचना चाहिए। सरकार ने किसानों के सम्मान में प्रस्ताव दिया था। इससे अच्छा प्रस्ताव सरकार नहीं दे सकती।”
राकेश टिकैत ने मीडिया से कहा, “आंदोलन अभी लंबा चलेगा। सरकार अपनी ज़िद पर अड़ी हुई है। न तो वो एमएसपी पर गारंटी देने को तैयार है न कृषि क़ानूनों को रद्द करने पर। 26 जनवरी को हम ट्रैक्टर परेड निकालेंगे।”
किसान नेता सरवण सिंह पंढेर ने कहा कि, “तोमर ने सरकार के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की बात कही। वो साढ़े तीन घंटे मीटिंग में नहीं आए। जब लौटे तो कहा कि मीटिंग खत्म। ये किसानों का अपमान है। हमने साढ़े तीन घंटे इंतजार किया उनका बातचीत के लिए और वो आकर इस तरह से मीटिंग खत्म करके चले जाते हैं। 26 जनवरी के लिए विज्ञान भवन बंद हो रहा है। ये इस देश के किसानों का अपमान है।”
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