पहले क़ानून वापिस हो तब किसी समिति बनाने का कोई मतलब- सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर किसान नेता बोले

पहले क़ानून वापिस हो तब किसी समिति बनाने का कोई मतलब- सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर किसान नेता बोले

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समिति बनाने का सुझाव तभी लाभप्रद होगा जब क़ानून वापस लिया जाए।

समिति का कहना है कि ‘आन्दोलन 3 कृषि कानून व बिजली बिल 2020 की वापसी तक जारी रहेगा। किसान हमेशा अपनी राय रखते रहे हैं। विस्तृत राय सुप्रीम कोर्ट आदेश पढ़ने के बाद दी जाएगी।’

अपने रोज़ाना प्रेस ब्रीफ़िंग में एआईकेएससीसी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से झूठ बोल रहे हैं कि इन कानूनों से किसानों की जमीन नहीं छिनेगी, एमएसपी जारी रहेगी। असल में विपक्ष द्वारा गुमराह किए जाने का बारबार दावा असल मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए कर रहे हैं।’

बयान में कहा गया है कि ‘खेती के साथ ठीक वही होगा जो दूध उत्पादन के साथ हुआ था। दूध के उत्पादन को सहकारी सरकारी समितियों ने बढ़ावा दिया, निजी कम्पनियों ने बरबाद किया।’

एक अन्य बड़ा फैसला करते हुए एआईकेएससीसी ने कहा है कि  20 दिसम्बर को 30 किसान शहीदों को देश भर में श्रद्धांजलि दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

इसके साथ ही पूरे देश में विशाल किसान सभाओं की शृंखला में कोलकाता में एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।

मध्यप्रदेश के किसानों को समर्थन

एआईकेएससीसी ने मध्य प्रदेश के किसानों और बारवानी आदिवासियों को समर्थन देने का ऐलान किया है। साथ ही पीएमओ द्वारा आईआरसीटीसी डाटा का दुरुपयोग करने और आन्दोलन को बांटने की निन्दा की है।

एआईकेएससीसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा है कि कोर्ट द्वारा सरकार को सुझाव किसानों की नैतिक जीत है। किसान हमेशा ही अपनी राय रखने के लिए तैयार रहे हैं पर अगर कोई कमेटी बनती भी है तक भी दिल्ली का आन्दोलन 3 कानून व बिजली बिल वापस होने तक जारी रहेगा।

कमेटी का बनना तब उपयोगी होगा अगर पहले ये कानून वापस लिए जाएं और कमेटी में राष्ट्रीय व क्षेत्रीय किसान संगठनों के प्रतिनिधि प्रभावी रूप में शामिल किए जाएं तथा कमेटी कानून वापसी के बाद बने।

एआईकेएससीसी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों के विपक्ष द्वारा गुमराह किए जाने के पुराने राग को अलाप रहे हैं जबकि सच यह है कि वे खुद देश को गुमराह कर रहे हैं।

उन्होंने अपने पुराने स्पष्टीकरण को दोहराया है कि किसान की जमीन नहीं जाएगी, एमएसपी सरकारी खरीद जारी रहेंगे, कानून किसानों के लिए अवसर पैदा कर रहे हैं, जबकि उनके सारे कदम इसे गलत साबित करते हैं।

मोदी का झूठ

किसान आंदोलन से बीजेपी और आरएसएस क्यों सकते में? कुछ सवाल…- किसान आंदोलन-5

कल प्रधानमंत्री ने यह गलत दावा किया कि दूध उत्पादन को गैर सरकारी निजी क्षेत्र ने बढ़ावा दिया, जबकि सरकार समर्थित सहकारी समितियों से दूध क्षेत्र बढ़ा और बाद में निजी क्षेत्र के घुसने से दूध के दाम घट गये।

दो दिन पहले उन्होंने उद्योगपतियों से खेती में निवेश करने के लिए कहा था। उनके मंत्री कहते हैं कि निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया है।

मोदी का दस्तावेज ‘पुटिंग फामर्स फ़र्स्ट’ कहता है कि इन कानूनों से एग्री बिजनेस के लिए अवसर खुलेंगे। इन कानूनों से मोदी सरकार किसानों को नहीं विदेशी कम्पनियों और कारपोरेट को लाभ पहुंचा रही है।

एआईकेएससीसी की वर्किंग ग्रुप ने आगामी 20 दिसम्बर को सुबह 11 बजे से 1 बजे तक हर गांव में इस आन्दोलन में शहीद हुए पंजाब और हरियाणा के 30 लड़ाकुओं के लिए श्रद्धांजलि दिवस मनाने का निर्णय लिया है।

जहां सिघु व टिकरी, शाहजहांपुर व पलवल में भागीदारी बढ़ रही है, कल गाजीपुर में भारी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है। एकता परिषद, महाराष्ट्र के 1000 लोग आज पलवल पहुंचेंगे व गुजरात के 100 लोग शाहजहांपुर पहुंचेंगे।

एआईकेएससीसी ने मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा किसान आन्दोलन के नेताओं के प्रति अपशब्द के इस्तेमाल की कड़ी निन्दा की।

आंदोलन जारी रहेगा…

सरकार ने सतना में एक खास कम्पनी का बीज खरीदने का दबाव भी किसानों पर बनाया है जिसके बिना उनकी धान की खरीद नहीं होनी थी। कल इसके विरोध के रूप में जगह-जगह प्रदेश में मंत्री के पुतले फूंके गये और सरकार को पीछे हटना पड़ा।

एआईकेएससीसी ने बारवानी के आदिवासियों द्वारा 3 कृषि कानूनों व बिजली बिल 2020 के विरोध में लगातार संचालित संघर्ष का स्वागत किया है।

एआईकेएससीसी ने सरकार द्वारा आईआरसीटीसी डाटा का दुरुपयोग कर केवल सिखों के ई-मेल निकालकर मोदी के लिए सहानुभूति अर्जित करने वाले उन्हें पत्र भेजने की कड़ी निन्दा की है और कहा है कि यह किसान आन्दोलन को धर्म के आधार पर बांटने के लिए है। प्रधानमंत्री के तौर पर यह अनैतिक कृत्य है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.