चौथे दौर की वार्ता भी विफल, किसानों का दिल्ली मार्च आज फिर से शुरू
किसान संगठन बुधवार से अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिर शुरू कर रहे हैं.किसान हरियाणा पंजाब की सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर से आगे बढ़ने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं.
इससे पहले मीडिया से बात करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा है कि ‘हम अशांति पैदा नहीं करना चाहते. किसान दिन रात मेहनत करते हैं, अगर उन्हें रोकने के लिए बड़े-बड़े बैरिकेड लगाए जा रहे हैं तो ये सही नहीं है’.
डल्लेवाल ने कहा, “हमारी मंशा किसी भी तरह अशांति पैदा करने की नहीं है और ना ही हमारे लिए ये सम्मान की बात है कि हमें तो ऐसा करना ही है. लेकिन बात ये है कि हमने दिल्ली जाने का प्रोग्राम बनाया और ये आज नहीं बनाया. सात नवंबर को हमने आह्वान किया था कि हम दिल्ली जाएंगे, तो आज अगर सरकार कह रही है कि हमारे पास समय कम है तो मुझे लगता है कि ये सरकार की टाल-मटोल की नीति है.”
“सरकार को देश के किसान-मजदूर के पक्ष में फ़ैसला लेना चाहिए. देश के किसान ने देश को आत्मनिर्भर बनाया है, रात-दिन मेहनत की है. देश में सात लाख किसान ख़ुदकुशी कर चुके हैं. लेकिन अगर ऐसे हालात में किसान से बात करने के बजाय उन्हें रोकने के लिए इतने बड़े-बड़े बैरिकेड लगाए तो ये सही नहीं है..
खबर है कि केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच चार दौर की बात के बाद भी सहमति नहीं बनी. इसके बाद किसानों ने अपना मार्च जारी रखने का एलान किया है.
किसान संगठनों और मोदी सरकार के बीच चार दौर की बैठक के बाद भी सहमति नहीं बनी. इसके बाद किसानों ने अपना मार्च जारी रखने का एलान किया है.
किसानों की मुख्य मांगें हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को क़ानूनी गारंटी बनाया जाय. किसानों के कर्ज़ माफ़ किए जाएं और साल 2020-21 में किसानों के प्रदर्शन के दौरान किसानों पर किए गए केस वापस लिए जाएं.
21 फ़रवरी को दिल्ली चलो मार्च फिर शुरू होने से पहले किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि ‘किसान-मज़दूरों पर अर्धसैनिक बल के ज़रिए सरकार ज़ुल्म करा रही है. देश का पीएम होने के नाते नरेंद्र मोदी को संविधान की रक्षा करनी चाहिए और हमें शांतिपूर्ण तरीक़े से दिल्ली जाने देना चाहिए, ये हमारा अधिकार है’.
पंढेर ने कहा, “मज़दूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा -ग़ैर राजनीतिक अपने प्रदर्शन के नौवें दिन में प्रवेश कर चुका है. हमने प्रधानमंत्री जी को अपील की थी और कहा था कि ये सरकार मज़दूर-किसानों के ख़ून की प्यासी ना बने, मुझे नहीं लगता कि हम अपनी बात उन तक पहुँचाने में सफल हुए हैं. सरकार से हम कहते हैं, अगर मारना है तो हमें मार दीजिए लेकिन किसान मज़दूरों पर ज़ुल्म ना करें. हम आज भी प्रधानमंत्री महोदय से आग्रह करेंगे कि आगे आइए और इस मोर्चे का शांतिपूर्ण हल कीजिए.”
“आप एमएसपी को क़ानूनी गारंटी बनाने की बात करिए फिर इस मोर्च को शांतिपूर्ण रखा जा सकता है, लोगों की भावनाओं को काबू किया जा सकता है. “देश-दुनिया जान रही है कि पिछले दिनों जिस तरह का अत्याचार केंद्रीय अर्धसैनिक बलों मे किया है, देश कभी इस तरह की सरकार को माफ़ नहीं करेगा.”
“हरियाणा के गावों में चप्पे-चप्पे पर पैरामिलिट्री फोर्स लगी हुई है. हमने कौन सा ज़ुल्म किया है, हम इस देश के नागरिक हैं. हमने एक नागरिक होने के नाते आपकी पार्टी को वोट किया होगा, आपको प्रधानमंत्री बनाया होगा. हमने कभी कल्पना नहीं की थी कि हमारे ऊपर आप अर्धसैनिक बल चढ़ा कर इस तरह ज़ुल्म करेंगे.”
“अगर आपको मांग मानने से परेशानी है तोआप देश के संविधान की रक्षा कीजिए. हमें ढंग से शांति के साथ दिल्ली जाने दीजिए. ये हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है.”
(बीबीसी की खबर से साभार)
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