दिल्ली बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाएं तत्काल बहाल की जाएंः किसान मोर्चा
सयुंक्त किसान मोर्चा ने सरकार की ओर से सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाओं पर लगे बैन को तत्काल बहाल करने की मांग की है।
मोर्चा ने कहा है कि असहमति की आवाज़ को दबाने के सरकार के प्रयास लगातार जारी है।
उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन के 72 दिन पूरे हो चुके हैं और 26 जनवरी के बाद से ही किसान प्रदर्शन पर तरह तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं। सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर कंक्रीट की बैरिकेडिंग ढाल दी गई है और सरिया की कीलें बनाकर बैरिकेड पर लगाई गई हैं।
मोर्चा ने बयान जारी कर कहा है कि आंदोलनकारी किसानों के साथ साथ मीडिया और स्थानीय लोगों भी बहुत दिक्कत हो रही है। विशेषकर छात्रों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनकी परीक्षाएं नजदीक हैं।
मोर्चे के नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है दूसरी तरफ देश की जनता को इंटरनेट से वंचित रखा जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की ओर से किसान आंदोलन को मिल रहे अभूतपूर्व समर्थन पर मोर्चे ने कहा है कि देश-दुनिया से किसान आंदोलन को लगातार समर्थन मिल रहा है। शर्म की बात है कि सरकार इसे अंदरूनी मामला बताकर दबाना चाहती है। जो लोग किसानों को समर्थन कर रहे है उन्हें ट्रोल किया जा रहा है जो कि निंदनीय है।
बयान में कहा गया है कि यह आंदोलन पूर्णतः किसानों का आंदोलन है व किसानों पर लग रहे सभी बेबुनियाद आरोपो को हम खारिज करते है। यह आंदोलन शुरू से ही पूर्ण रूप से अराजनैतिक रहा है व अराजनैतिक रहेगा। किसी भी राजनैतिक दल के नेता को सयुंक्त किसान मोर्चा का मंच नहीं दिया जाएगा।
मोर्चा ने साफ़ किया है कि राजनैतिक दलों एवं नेताओ का किसान आंदोलन को समर्थन स्वागतयोग्य है परंतु किसी भी स्थिति में सयुंक्त किसान मोर्चा के मंच पर जगह नहीं दी जाएगी।
सयुंक्त किसान मोर्चा के एक प्रतिनिधिमंडल ने 26 जनवरी की पुलिस कार्रवाई में मारे गए उत्तराखंड के किसान नवरीत सिंह की अंतिम अरदास में 4 फ़रवरी को शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
बयान में कहा गया है कि अब तक संकलित जानकारी के अनुसार 125 किसानो पर FIR दर्ज है व 21 किसान लापता हैं। किसान मोर्चा का कानूनी सहायता केंद्र हर बॉर्डर पर लगाया जा चुका है व इन सभी केसों से संबंधित लगातार कार्रवाई की जा रही है।
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