यूपी, उत्तराखंड, बिहार समेत पूरे देश में चक्का जाम अभूतपूर्व सफल रहाः किसान एकता मोर्चा
सयुंक्त किसान मोर्चे के चक्का जाम के आह्वान को देशभर में समर्थन मिला। शुक्रवार को ससंद में कृषि मंत्री द्वारा यह देशभर के किसानों के संघर्ष का अपमान किया गया कि केवल एक राज्य के किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
मोर्चे का कहना है कि शनिवार को देशव्यापी चक्का जाम ने एक बार फिर साबित किया कि देश भर के किसान इन कानूनों के खिलाफ एकजुट है। किसान पूरी तरह शांतमयी और अहिंसक रहे।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व बिहार में चक्का जाम का कार्यक्रम पूर्णतः सफल रहा। चंपारन, पूर्णिया, भोजपुर, कटिहार समेत सम्पूर्ण क्षेत्र में किसानों द्वारा चक्का जाम किया गया।
गौरतलब है कि राकेश टिकैत ने यूपी और उत्तराखंड में चक्का जाम को वापस ले लिया था। लेकिन ऐसी ख़बरें हैं कि बागपत समेत पश्चिमी यूपी के कुछ जगहों पर चक्का जाम फिर भी हुआ।
मध्यप्रदेश में 200 से ज्यादा जगहों पर किसान एकजुट हुए। महराष्ट्र में वर्धा, पुणे व नासिक समेत अनेक जगहों पर किसानों ने चक्का जाम का नेतृत्व किया।
चक्का जाम की सफलता आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल व तमिलनाडु में भी देखने को मिली। कर्नाटक में बैंगलोर व 25 जिलों में किसानों का यह कार्यक्रम सफल रहा। पंजाब व हरियाणा में किसान, मजदूर, छात्र संगठनों ने आगे आते हुए सैंकड़ो सड़के जाम की।
राजस्थान में पीलीबंगा, बींझबायला, उदयपुर समेत दर्जनों जगह किसानों ने सड़के जाम की। ओडिशा के भुबनेश्वर समेत कई जगह किसानों ने शांतमयी चक्का जाम किया।
मोर्चे ने अपने बयान में कहा है कि हम बागपत के 150 प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस द्वारा गए नोटिस की निंदा करते है।
सयुंक्त किसान मोर्चा की अब तक की जानकारी के अनुसार, 127 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है वहीं 25 व्यक्ति लापता हैं। अब तक संकलित जानकारी के अनुसार इस आंदोलन में 204 आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है परंतु सरकार अभी भी किसानों के दर्द को अनदेखा कर रही है।
बलविंदर सिंह जो कि पिछले दिनों ही किसान आंदोलन में शहीद हुए हैं, उनकी मां और भाई पर तिरंगे के अपमान संबधी पुलिस केस दर्ज किया गया है। सयुंक्त किसान मोर्चा तुरंत केस वापस करने की मांग करता है और किसान परिवार को हरसंभव सहायता देने की घोषणा करता है।
सरकार और असामाजिक तत्त्वों की तमाम साजिशों के बावजूद सयुंक्त किसान मोर्चा तीनों कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और MSP की कानूनी गारंटी की मांग पर कायम है।
मोर्चे ने एक बार फिर कहा है कि हम देश विदेश से किसान आंदोलन को मिल रहे समर्थन पर हम सभी का आभार व्यक्त करते है। किसान कई महीनों से ये आंदोलन कर रहे है, अनेक किसान शहीद हो गए है।
बयान में कहा गया है कि यह शर्म की बात है कि सरकार के इशारे पर कुछ लोग आंतरिक मामला बताकर इस आंदोलन को दबाना चाहते है परंतु यह समझना जरूरी ही कि लोकतंत्र में लोक बड़े होते है न कि तंत्र।
यूपी में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने पूरे प्रदेश में काले कृषि कानूनों को वापस करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने और किसान आंदोलन का दमन बंद करने व किसानों पर लगाए सभी मुकदमे वापस लेने की मांग पर प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा।
आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डॉ. बृज बिहारी ने ने बताया कि आगरा व सीतापुर में किसान नेताओं व किसानों को प्रशासन द्वारा दी गई लाखों रूपए की शांतिभंग में पाबंद करने की नोटिसों की दमनात्मक कार्यवाही की कड़ी निंदा की गई।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)