किसानों को भीड़ कहने पर संयुक्त मोर्चा ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की निंदा की
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संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर द्वारा किसानों को भीड़ कहे जाने की निंदा की है।
मोर्चा ने कहा कि ‘यह कहकर किसानों के संघर्ष का अपमान किया है कि भीड़ इक्कठी करके कानून वापस नहीं लिए जाते। हम श्री तोमर सहित पूरी सरकार को यह बताना चाहते है कि यह लोगों के मन मे सरकार के प्रति असंतोष है जो संघर्ष में बदल गया है।’
बयान में कहा गया है कि प्रदर्शन कर रहे लोग “भीड़” नहीं, “अन्नदाता” है जिसकी मेहनत का उगाया भोजन आप भी खाते है। इसी “भीड़” के वोट से आप सरकार चला रहे है, इस तरह जनता का अपमान निंदनीय है।
सरकार के लिए यह आंदोलन सिरदर्द बना हुआ है। समाज में भी जो इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं उन्हें निशाना बनाकर परेशान किया जा रहा है। दिशा रवि से लेकर अन्य सामाजिक कार्यकर्ता निशाने पर हैं।
हाल ही में रामपुर, उत्तराखंड के नेता फरहत जमाली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने गाजीपुर धरने पर पहुंचकर किसानों को समर्थन दिया था। मोर्चा ने कहा है कि ‘हम फरहत जमाली व अन्य सभी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा व विरोध करते हैं।’
किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए देशभर के किसान लामबंद हो रहे हैं। अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की मतकल, नारायणपेठ, तेलंगाना राज्य में 21 फरवरी को तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने व एमएसपी कानून बनवाने के लिए बड़ी रैली व जनसभा हुई।
महापंचायतों और रैलियों का दौर जारी है। 21 फ़रवरी को पंजाब के बरनाला में ऐतिहासिक किसान मजदूर महा रैली हुई जिसमें महिलाओं की बड़ी भागीदारी रही। 22 फ़रवरी को हरियाणा के खरखौदा में किसानों के समर्थन में सर्व जातीय महापंचायत आयोजित की गई।
तमिलनाडु पुलिस द्वारा 21 फरवरी की रात चेन्नई सेंट्रल में ट्रेन से नई दिल्ली की तरफ जाने वाले चार कार्यकर्ताओं को वापस उतार दिया गया। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि वे किसानों के प्रदर्शनों को समर्थन दे सकें। कार्यकर्ताओं को इसके बाद दिल्ली जाने के लिए अन्य वैकल्पिक साधन खोजने पड़े।
बयान के अनुसार, सयुंक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर खाप नेताओं को किसानों के आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बधाई देता है। वे केंद्रीय मंत्रियों से तब तक मिलने से इनकार करते रहे जब तक कि वे सरकार में अपने पदों से इस्तीफा न दे। कई गांवों से आई रिपोर्ट इंगित करती है कि श्री संजीव बालियन पश्चिमी उत्तर में खाप नेताओं से नहीं मिल सके।
अमेरिका के 87 कृषि संगठनों ने भी भारत में आन्दोलनरत किसानों को अपना समर्थन दिया । उन्होंने विशेष रूप से बताया कि किस तरह अमेरिकी सरकार की नीतियों (विशेष रूप से डब्ल्यूटीओ ) ने भारतीय किसानों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है।
इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भी एक रैली आयोजित की गई जिसे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओ ने ऑनलाइन संबोधित किया।
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