किसान संसद के दूसरे दिन ”कृषि मंत्री” ने दिया इस्तीफा, नए कानूनों पर हुए निरुत्तर
संसद में जारी मॉनसून सत्र के साथ-साथ जंतर-मंतर पर आयोजित किसान संसद लगातार दूसरे दिन जारी रही।
किसानों ने किसान संसद का आयोजन सदन अध्यक्ष हरदेव अर्शी, उपाध्यक्ष जगतार सिंह बाजवा और कृषि मंत्री के साथ किया।
किसानों ने जैसे ही दोगुनी आय, न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी कानूनों पर सवाल उठाए, कृषि मंत्री को इसका जवाब नहीं देते बन रहा था। पूरे सत्र में वह किसानों के सवालों से घिरे रहे।
इससे नाराजगी जाहिर करते हुए किसानों ने नारेबाजी की। पहला सत्र इसी माहौल में चलता रहा।
लंच ब्रेक के बाद करीब 2:30 बजे शुरू हुए दूसरे सत्र में भी हालात नहीं बदले। किसान प्रतिनिधि अपने सवालों का माकूल जवाब न मिलने की बात करते हुए हंगामा करते दिखे।
मंत्री ने संसद को बताया कि कैसे पैर फैलाती कोवि़ड वैश्विक महामारी के बीच, किसानों को उनके घरों को लौटने और उनसे टीका लगवाने का अनुरोध किया गया था। हर बार जब मंत्री संतोषजनक जवाब देने में विफल रहते, सदन के सदस्य उन्हें शर्मिंदा करते, अपने हाथ उठाते और उनके जवाबों पर आपत्ति जताते।
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बार-बार समझाने के बाद भी शोरगुल नहीं थमा। इस सबके बीच सवालों से घिरे मंत्री जवाब नहीं दे सके और पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कहा कि वह किसानों के सामने निरुत्तर हैं। इसके बाद सभी सदस्यों ने तालियां बजाते हुए अपनी जीत पर खुशियां जताई। इसके बाद ही किसानों की संसद की कार्यवाही हो सकी।
बाजवा ने बाद में मीडिया से कहा,”कृषि मंत्री सवालों के जवाब देने में नाकाम रहे,जिसके चलते संसद के सदस्यों ने मंत्री को शर्मिंदा किया,जिससे बाधा हुई।”
उन्होंने कहा,”प्रश्न पूछा गया कि जब प्रधानमंत्री ने स्वयं इस तथ्य पर जोर दिया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य था, यह वर्तमान में भी है और यह रहेगा तो फिर इसे कानून बनाने में क्या समस्या है। अगर सभी तीनों कृषि कानून किसानों के लिए बनाए गए हैं तो उन्हें रद्द करके और किसानों से विचार विमर्श करके दोबारा बनाया जाए।”
दिन के आखिरी और तीसरे सत्र में भी मंडी कानून पर चर्चा हुई। आखिर में करीब 5 बजे किसान संसद का सत्र सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
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