किसान आंदोलन को बदनाम करने की नापाक कोशिश, जान बचाने के बावजूद अन्नदाताओं पर हत्या का आरोप

किसान आंदोलन को बदनाम करने की नापाक कोशिश, जान बचाने के बावजूद अन्नदाताओं पर हत्या का आरोप

पिछले 6 महीने से चल रहे किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए भाजपा सरकार कई कोशिशें कर चुकी है। लेकिन किसानों के हौसलों के आगे सरकारी साजिशें अब तक नाकाम ही साबित हुई हैं।

अब फिर एक बार किसान आंदोलन को तितर-बितर करने की कवायद शुरू हो चुकी है। दरअसल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी जान से आंदोलन को कमजोर करने में लगे हैं।  इसी सिलसिले में उन्होंने हाल में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर किसानों पर कार्रवाही का संकेत दिया है।

मनोहर लाल खट्टर अपने मंसूबों को यह कह कर सही बता रहे हैं कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चले तो इसमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन अनुचित घटनाएं बहुत चिंताजनक हैं। इन घटनाओं का स्थानीय स्तर पर भी विरोध हो रहा है। हरियाणा सरकार किसी भी हाल में कानून-व्यवस्था को बिगड़ने नहीं देगी।

गौरतलब है कि टिकरी बॉर्डर के नजदीक एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा आत्महत्या के मामले को बीजेपी/जेजेपी हरियाणा सरकार, उसके राजनैतिक एजेंट और उनकी ट्रोल आर्मी किसान आंदोलन को फंसाने के लिए कर रहे हैं।

पुलिस द्वारा दायर एफ आई आर (संख्या 196, दिनांक 17 जून, पुलिस थाना बहादुरगढ़ सेक्टर 6) के अनुसार 16 जून को मुकेश पुत्र जगदीश लाल निवासी गांव कसार, बहादुरगढ़ अपने गांव के नजदीक एचपी पैट्रोल पंप के पास जल गया। एफ आई आर में आरोपी के रूप में एक व्यक्ति कृष्ण का नाम है जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह स्थान टिकरी बॉर्डर पर किसानों के टेंट के एकदम नजदीक है।

इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ” कसार गांव के नजदीक एचपी पेट्रोल पंप के पास एक व्यक्ति को अकेले देखा गया। उसने अचानक अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली जैसे ही किसान मोर्चा के वॉलिंटियर ने यह देखा वह उसकी ओर दौड़े, आग बुझाई और उसकी जान बचाई। उस व्यक्ति ने बताया की उसने पारिवारिक समस्या से तंग आकर मरने का फैसला किया था। पेट्रोल पंप के कर्मचारी ने मुकेश की पहचान कर परिवार को सूचना दी, जो घटनास्थल पर पहुंचकर उसे अस्पताल ले गए। अफसोस की बात है की जहां किसानों ने एक अनजान व्यक्ति की जान बचाने की कोशिश की वहां उसी घटना में किसान आंदोलन पर हत्या का आरोप लगाया जा रहा है।”

साफ जाहिर होता है कि धीरे-धीरे किसान आंदोलन अहंकारी सरकारों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। जो इन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकने का हौसला और माद्दा दोनों रखता है।

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Amit Singh

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