सरकार की तरफ से नहीं आया कोई संदेश, संयुक्त किसान मोर्चा की अगली रणनीति आंदोलन तेज करने की
संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से मोदी सरकार को दी गई दो दिनों की मोहलत सोमवार को ख़त्म हो गई, इसके साथ ही मोर्चे ने कहा है कि आंदोलन तेज़ करने की रणनीति बनाने के लिए एसकेएम की बैठक 7 दिसम्बर को होगी।
तीन कृषि क़ानूनों की वापसी के बाद एमएसपी समेत अन्य छह मुद्दों पर सरकार से बातचीत करने के लिए एसकेएम ने चार दिसम्बर को हुई बैठक में अपनी ओर से पांच मेम्बरी कमेटी का गठन किया था और उम्मीद थी कि सरकार इस कमेटी से बात करेगी।
लेकिन सरकार की ओर कोई संपर्क न होने की स्थिति में किसान संगठनों ने कहा है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी, देश भर में किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों को वापस लेने और शहीदों के पुनर्वास के लिए आंदोलन तेज करने की जरूरत है।
छह दिसम्बर को देश भर के किसान संगठनों ने डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस भारत के संविधान की रक्षा करने की शपथ ली। एसकेएम ने कहा कि बाबासाहेब के नेतृत्व में तैयार किए गए भारत के संविधान ने प्रत्येक नागरिक को सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार दिया है, जिसे सुनिश्चित करने के लिए एसकेएम लड़ रहा है।
एक बयान में एसकेएम ने कहा कि ऐसे समय में जब हरियाणा सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत चल रही है, हरियाणा के गृह मंत्री का बयान उनकी गैर-जिम्मेदार और किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। एसकेएम राजनीति में शामिल नहीं है और किसानों के हितों की रक्षा के लिए लड़ रहा है। इस बीच दुष्यंत चौटाला के खिलाफ विरोध की भी खबर मिली है।
उधर, कई भाजपा नेताओं ने बयान दिया है कि, तीन कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद, आगामी विधानसभा चुनावों में किसान आंदोलन प्रभावशाली नहीं होगा। एसकेएम ने कहा है कि यह पूरी तरह से निराधार है।
बयान के अनुसार, एमएसपी की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल की वापसी, वायु प्रदूषण बिल से किसानों के जुर्माने की धारा को हटाना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी, किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों की वापसी और शहीद परिवारों का पुनर्वास, और शहीद स्मारक आदि जैसे मुद्दे अनसुलझे हैं। ये मुद्दे मिशन यूपी और उत्तराखंड को प्रभावित करेंगे।
एसकेएम ने दिल्ली की सीमाओं के पास रहने वाले नागरिकों को धन्यवाद दिया जिन्होंने 26 नवंबर 2020 से लगातार किसान आंदोलन का समर्थन किया है। मोर्चों के पास रहने वाले नागरिकों को लगातार सत्ता पक्ष और मीडिया द्वारा किसानों के खिलाफ उकसाया गया था, लेकिन वे हमारे पक्ष में रहे और किसान आंदोलन की मदद की, जिसे किसान हमेशा याद रखेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि 5 सदस्यीय समिति को अभी तक केंद्र सरकार से 21 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में लिखे मुद्दों पर चर्चा के लिए कोई संदेश नहीं मिला है। ऐसे में एसकेएम द्वारा सिंघू मोर्चा में कल अपनी बैठक के माध्यम से आंदोलन तीव्र करने के लिए भविष्य के कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।
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