काले कानूनों को लागू करने के लिए बेकरार मोदी सरकार देश को गृह युद्ध में झोंक रही: एआईपीएफ़
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी ने कहा है कि मोदी सरकार अपनी हठधर्मिता से देश को गृहयुद्ध की ओर झोंकने की कोशिश कर रही है।
दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डॉ. बृज बिहारी ने कहा कि 30 जनवरी को गांव-गांव कार्यकताओं ने उपवास रखकर किसान आंदोलन को अपना समर्थन ज़ाहिर किया।
एआईपीएफ़ की ओर जारी बयान में कहा गया है कि आरएसएस-भाजपा सरकार द्वारा किसानों की हो रही घेराबंदी व किसान आंदोलन के दमन, हमले व दुष्प्रचार करने की कड़ी आलोचना करते हुए सरकार से तत्काल तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने व किसानों की उपज की खरीद व भुगतान और किसान आंदोलन के नेताओं पर लगाए सभी मुकदमे वापस लेने चाहिए।
बयान के अनुसार, देशी विदेशी कारपोरेट घरानों की गुलामी में लगी मोदी सरकार देश के किसानों और आम नागरिकों को तबाह करने वाले कृषि कानूनों को लागू करने के लिए इतनी बेकरार है कि वह देश में गृह युद्ध तक कराने पर आमादा है।
दारापुरी ने कहा कि दरअसल सरकार और आरएसएस की किसान आंदोलन को बदनाम करके उसका दमन करने की तमाम कोशिशों के बावजूद देशभर में किसान आंदोलन को व्यापक समर्थन मिल रहा है और लोग सरकारी हथकंडों के बारे में भी सचेत हो रहे है।
उनके अनुसार, यही कारण है कि सरकार के हर स्तर पर बौखलाहट है। लेकिन आरएसएस व सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद यह आंदोलन सफल होगा और लोकतांत्रिक, विकसित और आधुनिक भारत निर्माण की नई इबारत लिखेगा।
गौरतलब है कि 26 जनवरी को किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर निकाली गई किसान गणतंत्र दिवस परेड में कुछ छुटपुट घटनाओं के कारण दिल्ली पुलिस ने आंदोलनकारियों को दिल्ली में घुसने के सारे रास्ते ब्लॉक कर दिए हैं।
गाज़ीपुर, सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर दिल्ली बॉर्डर की सारी सीमाएं सील कर दी गई हैं। कंक्रीट के बैरिकेड ढाले जा रहे हैं और सड़कों पर मोटी सरिया की कीलें बनाकर सड़कों पर जड़े जा रहे हैं।
गाज़ीपुर बॉर्डर के फ्लाईओवर पर क़रीब दो सौ मीटर तक लोहे की बैरिकेडिंग और बीच में कंक्रीट की ढलाई की गई है। सिंघु पर एक आखिरी रास्ते को बंद करने को लेकर प्रदर्शनकारी धरने पर बैठ गए हैं।
किसान संयुक्त मोर्चे ने छह फ़रवरी को पूरे देश में राजमार्गों पर 12 से तीन बजे तक चक्का जाम का आह्वान किया है।
मोर्चे के नेता दर्शनपाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि पुलिसिया दमन, बजट में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी कम करने और तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांगों को लेकर चक्का जाम का आह्वान किया गया है।
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