एमएसपी गारंटी सप्ताह के बाद एसकेएम का राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश भर के किसानों द्वारा 11 से 17 अप्रैल तक एमएसपी गारंटी सप्ताह मनाया गया। पूरे सप्ताह देश भर में सैकड़ों विरोध, प्रदर्शन, बैठकें, सम्मेलन, सेमिनार और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर देश भर के किसान एकजुट हुए।
रिपोर्टों के अनुसार, सभी राज्यों में एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग के समर्थन में कार्यक्रमों के साथ एमएसपी गारंटी सप्ताह मनाया गया। पंजाब में हर जिले में कार्यक्रम हुए और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया।
पंजाब के किसान संगठन 18 अप्रैल को भी एमएसपी गारंटी सप्ताह मनाएंगे। इसी तरह हरियाणा में भी एमएसपी गारंटी सप्ताह हर जिले में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया।
मध्य प्रदेश में आज त्योंथर में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसे एसकेएम के कई नेताओं ने संबोधित किया। 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी के लिए जल सत्याग्रह का आयोजन किया गया था, जो मंगवां, मऊगंज, देवतालाब, गुढ़, सिरमौर, जवा और त्योंथर से होकर गुजरा।
15 अप्रैल को देवास के खातेगांव में एक और किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। 12 अप्रैल को बड़वानी में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। सागर जिले में एमएसपी गारंटी सप्ताह के दौरान एमएसपी जागरूकता अभियान चलाया गया।
छिंदवाड़ा, सिवनी, सीहोर, हरदा और होशंगाबाद में भी कार्यक्रम हुए। छत्तीसगढ़ में एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर रायपुर, गरियाबंद, दुर्ग बालोद सहित अन्य जिलों में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
बिहार में सीवान, रोहतास, सीतामढ़ी और पटना समेत विभिन्न जिलों में कार्यक्रम हुए। 16 अप्रैल को बिहार के किसान संगठनों की बैठक पटना में हुई, जहां बिहार में किसान आंदोलन को व्यापक बनाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य स्थानीय मुद्दों को उठाने की योजना पर चर्चा हुई।
किसान संगठनों ने आगामी सप्ताहों में बिहार के सात प्रमंडलों/जिलों में किसान सम्मेलनों की योजना भी तैयार की। ओडिशा में क्योंझर, पुरी, सुंदरगढ़ सहित अन्य जिलों में कार्यक्रम हुए।
कर्नाटक में एमएसपी की मांग के लिए तुमकुर और मैसूर में सेमिनार आयोजित किए गए। तुमकुर और मैसूर की अनाज मंडियों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। तमिलनाडु में, चेन्नई, तूतुकोरिन, कोविलपट्टी, एट्टायपुरम सहित अन्य जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। आज चेन्नई में एमएसपी विषय पर एक सेमिनार भी आयोजित किया गया। अभी और रिपोर्ट आ रही हैं।
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, यानी व्यापक लागत (सी 2) का डेढ़ गुना, किसान आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक थी, और जिसकी चर्चा केंद्र सरकार द्वारा एसकेएम को दिनांक 9 दिसंबर, 2021 के अपने पत्र में में किए गए आश्वासनों में से एक थी।
एसकेएम द्वारा एमएसपी पर समिति के बारे में स्पष्टीकरण के लिए बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, इसकी संरचना, इसके अधिदेश, इसके कार्यकाल और इसके संदर्भ की शर्तों के बारे में, सरकार जवाब देने में विफल रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा कृषि मंत्री से आग्रह करता है कि वह जल्द से जल्द सरकार का स्पष्टीकरण भेजें ताकि मोर्चा तय कर सके कि इस समिति में भाग लेना है या नहीं।
एसकेएम ने पहले कहा था कि वह समिति और उसके एजेंडे के बारे में स्पष्टता के बिना समिति में शामिल नहीं होगा। एमएसपी गारंटी सप्ताह के समापन के साथ ही किसानों ने अब एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए लंबा आंदोलन शुरू करने का संकल्प ले लिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी हत्याकांड में गवाहों पर हो रहे हमले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। जहां किसानों को फंसाकर गिरफ्तार किया जा रहा है, और गवाहों पर हमले हो रहे हैं, वहीं अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।
मोर्चा ने मुख्य आरोपी आशीष टेनी (मोनू) की जमानत के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के कल आने वाले फैसले पर भरोसा जताया, और उम्मीद जताई कि इस मामले में किसानों को न्याय मिलेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की अपनी मांग दोहराई, और देश के किसानों से इस लड़ाई में एक साथ आने और एमएसपी के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी शुरू करने का आह्वान किया।
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