हरियाणा के कृषि मंत्री को लोग सबक सिखाएंगेः संयुक्त किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा के कृषि मंत्री के बयान को अमानवीय बताते हुए इसकी निंदा की और चेतावनी दी कि लोग उनके इस अहंकार के लिए एक उचित सबक सिखाएंगे।
साथ ही मोर्चे ने पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को किसानों का समर्थन करने के लिए बैंगलोर से गिरफ़्तार किए जाने की निंदा की और बिना शर्त तुरंत रिहाई की मांग की।
हरियाणा के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने शनिवार को भिवानी में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब में किसान आंदोलन और किसानों के बारे में शर्मनाक टिप्पणी करते हुए कहा था ‘कि जो किसान मरे वे घर पर रहकर भी मरते।’
इस टिप्पणी पर चौतरफ़ा लानत मलानत के बाद उन्होंने रात में ही इस पर माफ़ी मांग ली लेकिन किसानों के बीच उनके बयान पर काफ़ी रोष है और कहा जा रहा है कि जो नुकसान होना था उसकी भरपाई नहीं हो सकती।
संयुक्त मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा कि रविवार को करनाल के इंद्री में किसान महापंचायत में, भारत के शहीद जवानों और वर्तमान आंदोलन में शहीद किसानों के बलिदान को सम्मानपूर्वक याद किया गया। मोर्चा ने कहा कि भाजपा – आरएसएस के छद्म राष्ट्रवाद के विपरीत, इस देश के किसान वास्तव में देश की संप्रभुता, एकता और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए समर्पित हैं।
मोदी सरकार बेशर्मः मोर्चा
महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने चेतावनी दी कि भाजपा के दिन पूरे हो चुके हैं क्योंकि अधिक से अधिक किसान जागृत हो रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चे ने मोदी सरकार की निंदा करते हुए कहा कि बड़े शर्म की बात है कि सरकार संसद में बिना शर्म के स्वीकार कर रही है कि उनके पास उन किसानों का कोई डेटा नहीं है जिन्होंने चल रहे आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी थी।
मोर्चा का कहना है कि इन शहीद किसानों की जानकारी के बारे में एक ब्लॉग साइट चला रहा है। अगर सरकार को परवाह है तो वहां डेटा आसानी से उपलब्ध है।
मोर्चे के नेताओं ने कहा कि, “यह वही कठोरता है जिससे अब तक लोगों की जान चली गई है”
शहीदों की याद में पूरे देश में कैंडल मार्च
मोर्चा के बयान में कहा गया है कि ‘सरकार के विभाजनकारी प्रयासों के बावजूद अलग अलग राज्यों और धर्मों के किसानों ने एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया। प्रत्येक महापंचायत के साथ यह एकता मजबूत हो रही हैस ग्रामीण भारत और कृषि हमारे लिए मुख्य एजेंडा है।’
शहीद किसानों और पुलवामा के शहीद जवानों को याद करते हुए शनिवार की शाम 7 से 8 बजे के बीच पूरे देश के गांवों और कस्बों में मशाल जूलूस और कैंडल मार्च का आयोजन किया गया।
मोर्चे ने कहा कि, ‘आने वाले दिनों में अधिक से अधिक किसानों के धरना स्थलों में शामिल होने और आंदोलन को औपचारिक रूप से मजबूत बनाने की उम्मीद है। यह केवल समय की बात है कि सरकार को हमारी सभी मांगें माननी ही पड़ेगी।’
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