पुलिस पर ऑक्सीजन टैंकरों को किसान धरने की ओर भटकाने काआरोप, जीटी करनाल रोड का एक हिस्सा खोलने पर बनी सहमति

पुलिस पर ऑक्सीजन टैंकरों को किसान धरने की ओर भटकाने काआरोप, जीटी करनाल रोड का एक हिस्सा खोलने पर बनी सहमति

बीते कुछ दिनों से ऑक्सीजन टैंकरों के दिल्ली में प्रवेश करने की राह में किसान मोर्चा के धरने को दोषी ठहराया जा रहा है लेकिन मोर्चा ने कहा है कि लिस ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले ट्रकों को कम से कम और सही मार्ग की ओर इशारा करने की बजाय किसानों के धरना स्थलों की ओर गलत तरीके से रोक रही है।

संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बयान जारी कर कहा है कि जहां भाजपा और केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों पर दिल्ली शहर में ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा डालने का आरोप लगाया है, वो सरासर झूठ है।

बयान के अनुसार, सरकार ने खुद ही सड़कों पर बैरिकेडिंग की है और हर मुमकिन खुले रास्ते को बंद कर दिया गया है। किसान संख्या में ज्यादा ज़रूर हैं परंतु वे दूर दूर बैठे हैं और ज़रूरी सेवाओं के लिए रास्ता खुला है। सभी विरोध स्थलों पर, किसानों ने पहले से ही आपातकालीन सेवाओं की आवाजाही के लिए रास्ते खुला रखा है।

ऑक्सीजन टैंकरों को दिल्ली में समय से पहुंचाने के लिए हरियाणा प्रशासन और किसान मोर्चा के नेताओं के बीच बातची हुई है और सहमति बनी है कि ऑक्सीजन, एम्बुलेंस व अन्य जरूरी सेवाओं के लिए जीटी करनाल रोड का एक हिस्सा खोला दिया जाएगा जिसपर दिल्ली पुलिस ने भारी बैरिकेड लगाया हुआ है।

सोनीपत के एसपी, सीएमओ समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हुई इस बैठक में सिंघु बॉर्डर से सयुंक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि वे कोरोना के खिलाफ जंग में हरसंभव मदद करेंगे।

जल्द ही मुख्य सड़क का एक हिस्सा इमरजेंसी सेवाओं के लिए खोल दिया जाएगा। सयुंक्त किसान मोर्चा व सभी संघर्षशील किसान इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि उनके कारण किसी आम नागरिक को कोई समस्या न हो व कोरोना के ख़िलाफ जल्द से जल्द जंग जीती जाए।

tikari border farmers gathering

ऑपरेशन क्लीन के मुकाबले ऑपरेशन शक्ति

उधर, फसल की कटाई के बाद किसान बड़ी संख्या में विरोध स्थलों पर वापस आने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों का मोर्चे की ओर लौटने का क्रम फिर शुरू हो गया है।

मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि सरकार के ऑपरेशन क्लीन का मुकाबला करने के लिए 23 अप्रैल को ऑपरेशन शक्ति के तहत ट्रैक्टर ट्रॉलियों में प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा काफिला सोनीपत जिले के बरवासनी से सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना होगा। ये किसान किसान मजदूर संघर्ष समिति से जुड़े हैं।

किसान मोर्चे ने एक बार फिर फंसे हुए प्रवासी मज़दूरों को अपने धरना स्थलों पर आने का न्योता दिया है। बयान में कहा गया है कि ‘किसी को भी इस गलतफहमी में न रहने दें कि यह दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या को बढ़ावा देना है। गेहूं की कटाई के लिए गए किसान हजारों की तादाद में वापस आ रहे हैं। प्रवासी मजदूर परेशान हैं और उन्हें मदद करने की बजाय सरकार बदनाम करने की चाल चल रही है। हम उनके दुःख दर्द को समझते हुए उन्हें धरनास्थलों पर आमंत्रित कर रहे हैं ताकि उन्हें इस संकट की घड़ी में यात्रा व खाने-रहने की समस्या न हो।’

बयान के अनुसार, प्रवासी कामगारों को निमंत्रण इसलिए है क्योंकि देश के अन्नदाता के रूप में किसान, इन श्रमिकों के संकट को समझते हैं। किसान इन मज़दूरों को यह बताना चाहते हैं कि हम सबका भविष्य असंवेदनशील सरकार की नीतियों के कारण अब व्यर्थ होने जा रहा है, और उन्हें गांवों में वापस रोजगार मिलने की संभावना नहीं है। यहां, विरोध स्थलों पर, किसान अस्थायी रूप से प्रवासी श्रमिकों की देखभाल करना चाहते हैं।

किसानों द्वारा आश्रय और भोजन प्रदान करने में खुशी होगी। यहां जरूरी नियमों का पालन किया जा रहा है इसलिए संक्रमण का कोई डर नहीं है। एक बार सामान्य स्थिति का एक हिस्सा बहाल हो जाने के बाद, प्रवासी श्रमिक अपने रोजगार स्थलों पर वापस जा सकते हैं, और इससे अनावश्यक यात्रा लागत पर बचत कर सकते हैं। संयोग से, श्रमिकों के साथ किसानों की एकता को मजबूत किया जाएगा।

बुधवार को जेनेवा प्रेस क्लब के माध्यम से आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में, संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बताया कि वर्तमान गतिरोध का एकमात्र समाधान भारत सरकार के लिए औपचारिक बातचीत को फिर से शुरू करने और 3 केंद्रीय कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी पर कानून लाने में है। भारतीय कृषि के भविष्य में सुधार लाने के संबंध में कोई अन्य विचार-विमर्श और इसके बाद हो सकता है।

farmers leader Darshanpal @ritkJawla

दुनिया में किसान आंदोलन की धमक

नेताओं ने कहा कि भारत सरकार ने किसानों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा का उल्लंघन किया है, जिसके लिए भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है। एक स्विस सांसद, निकोलस वाल्डर ने चल रहे शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की और कहा कि अगर एग्री बिजनेस कॉरपोरेट के नेतृत्व में इस तरह का समाधान किया जाएगा तो किसानों के लिए कभी कोई समाधान नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान सिर्फ भारतीयों को ही नहीं प्रेरणादायक है, बल्कि दुनिया भर के किसानों के भविष्य के बारे में प्रेरणास्रोत है।

पंजाब में, गेहूं की खरीद प्रक्रिया को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए, किसानों को बारदाने (पैकेट) के लिए विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। बरनाला जैसी जगहों पर किसानों को इसके लिए विरोध में धरना देना पड़ा।

हरियाणा सरकार किसानों के खिलाफ अपनी अन्यायपूर्ण लड़ाई जारी रखे हुए है – गुरुवार को, पुलिस की एक बड़ी तैनाती किसानों को असौन्दा टोल प्लाजा पर बेदखल करना चाहती थी। हालांकि, किसानों ने पुलिस के साथ गतिरोध के बाद टोल प्लाजा पर कब्जा कर लिया।

भाजपा नेताओं को विभिन्न स्थानों पर किसानों के संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। गुरुवार को पटियाला में भाजपा पंजाब के नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल को किसानों ने घेरा। किसानों द्वारा भाजपा की बैठक के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा होने के बाद भाजपा नेताओं को पुलिस द्वारा बाहर निकालना पड़ा।

कनाडा में, भारतीय किसानों के संघर्ष का समर्थन जारी है। वैंकूवर नगर परिषद ने प्रदर्शनकारी भारतीय किसानों के साथ एकजुटता में एक प्रस्ताव पारित किया था, और वैंकूवर के मेयर ने कनाडा सरकार से भारत सरकार से ‘ कनाडा का भारत के किसानों के लिए समर्थन’ के संबंध में संपर्क करने की अपील की।

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Workers Unity Team

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