अम्बाला में खट्टर को दिखाए काले झंडे, सिंघु बॉर्डर पर दुष्यंत चौटाला के गुमशुदगी वाले पोस्टर
जैसे जैसे किसान आंदोलन का समय बीत रहा है और हरियाणा के किसानों की इसमें भागीदारी बढ़ रही है, राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को अपनी पार्टी के अंदर और बाहर दोनों तरफ़ से विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए सारे जतन करके थक चुके हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को अम्बाला में उस समय ख़ासी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी जब स्थानीय निकाल के चुनाव प्रचार में वो शहर में दाखिल हुए।
मंगलवार को खट्टर, अंबाला में आगामी निकाय चुनावों में महापौर और पार्षद के प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभाओं को संबोधित करने आए थे।
लेकिन उनकी गाड़ी को कुछ किसान आंदोलन के समर्थकों ने काले झंडे दिखाए और इस दौरान खट्टर का काफ़िला कुछ देर के लिए आंदोलनकारियों से घिर गया।
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के एक समूह ने खट्टर सरकार मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।
हरियाणा की बीजेपी शासित सरकार कहती रही है कि केवल कुछ किसान ही कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ हैं। हालांकि दिल्ली से लगती सीमा पर किसानों का जमावड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और उसमें पंजाब और हरियाणा से आने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है।
उधर सिंघु बॉर्डर पर जेजेपी के नेता और हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की गुमशुदगी वाले पोस्टर लगाए गए हैं। जेजेपी के अंदर से भी किसान आंदोलन को लेकर चौटाला पर भारी दबाव है। उसके कई विधायक किसान आंदोलन को समर्थन दे चुके हैं।
सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलनकारियों के समर्थन में आए वक्ता लगातार जेजेपी को बीजेपी से नाता तोड़ कर सरकार गिरा देने की अपील कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट रुख़ चौटाला ने नहीं लिया है।
काफ़ी दबावों के बावजूद चौटाला ने इतना ही कहा है कि वो एमएसपी ख़त्म नहीं होने देंगे, लेकिन इसके क्या करेंगे, इसका उन्होंने कोई खुलासा नहीं किया है।
राज्य में मज़दूरों के साथ हो रहे बर्ताव को लेकर भी दुष्यंत चौटाला मज़दूरों के निशाने पर रहे हैं और होंडा आंदोलन के दौरान मज़दूर उनके बिल्कुल खिलाफ़ हो गए क्योंकि चार महीने तक चले आंदोलन में बार बार बुलाए जाने के बावजूद एक बार भी नहीं गए।
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