प्रधानमंत्री मोदी पर किसान नेता राकेश टिकैत का तंज, कहा- अब गुजरात से चुनाव लड़ें तो हार जाएंगे
संयुक्त किसान मोर्चा ने बीते दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक ऐतिहासिक किसान महापंचायत का आयोजन किया। किसान नेताओं ने मंच से आने वाले चुनावों में राज्य से और देश में कहीं और से भी उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया। महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत छाए रहे। घर के पास हो रहे आयोजन के बाद भी वह महापंचायत खत्म होने के तुरंत बाद उन्होंने अपने गृह जिले में न रुककर गाजीपुर आंदोलन में शामिल होने के लिए चले गए।
किसान नेता राकेश टिकैत ने महापंचायत को सफल बताते हुए उसे ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा, ”इस देश की संसद बहरी हो गई है। स्वाभाविक रूप से, नागरिकों को सड़कों पर उतरना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे (केंद्र) हमारी मांगों को सुनें।” टिकैत ने कृषि क्षेत्र में ताकत दिखाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हम सरकार को या तो उनके पक्ष में मतदान करके या अपने वोट बैंक को कम करके हमारी मांगों को सुनने के लिए कहा सकते हैं। यह सरकार किसानों की नहीं सुन रही है, इसलिए हम उनकी चुनावी संभावनाओं पर सेंध लगाएंगे।
महापंचायत के साथ ही एसकेएम ने मिशन यूपी को भी लॉन्च कर दिया और बीजेपी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने का ऐलान किया। महापंचायत में अपने संबोधन के दौरान, बीकेयू नेता ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूपी से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, बल्कि गुजरात से अपनी चुनावी किस्मत आजमानी चाहिए। इस तरह के बयान के पीछे तर्क और जरूरत के बारे में पूछे जाने पर, टिकैत ने जवाब दिया, “प्रधानमंत्री अगर गुजरात से चुनाव लड़ते हैं तो वे चुनाव हार जाएंगे। उन्होंने गुजरात को नष्ट कर दिया था। उन्होंने इसे पुलिस राज्य में बदल दिया है।”
बता दें कि एसकेएम की मुजफ्फरनगर महापंचायत का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण चुनाव से पहले बीजेपी पर दबाव बनाना था। पश्चिम यूपी किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है और किसी भी राजनीतिक संगठन के लिए या उसके खिलाफ उनका सामूहिक आंदोलन विधानसभा चुनावों के मूड को प्रभावित कर सकता है। वहीं, यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र सरकार या उसकी ओर से कोई आधिकारिक या अनौपचारिक चैनलों के जरिए से किसान मोर्चा तक कोई संदेश पहुंचा है? इस पर टिकैत का जवाब नकारात्मक था। उन्होंने कहा, ”अभी तो बहुत जल्दी है. कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई बात नहीं हुई है।”
(साभार-इंडियाटुडे)
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