विश्वासघात दिवस पर किसानों ने जलाए मोदी के पुतले, क्या फिर से शुरू होग किसान आंदोलन?

विश्वासघात दिवस पर किसानों ने जलाए मोदी के पुतले, क्या फिर से शुरू होग किसान आंदोलन?

संयुक्त किसान मोर्चे से किए गए वादे को अगर मोदी सरकार पूरा नहीं करती है तो किसान आंदोलन फिर से शुरू हो सकता है।

मोदी सरकार द्वारा किए गए वादे के पूरे न होने पर संयुक्त किसान मोर्चे ने 31 जनवरी को पूरे देश में विश्वासघात दिवस मनाया और चेतावनी दी कि अगर भारत सरकार दिसंबर 2021 में विरोध कर रहे किसानों से किए गए वादों से मुकरती है, तो किसानों के पास आंदोलन फिर से शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर मंगलवार को देश भर में हजारों स्थानों पर किसानों ने “विश्वासघात दिवस” का आयोजन किया। ज़िलों और तहसीलों में विरोध प्रदर्शन हुए, और जिला कलेक्टरों, एसडीएम और एडीएम के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। पंजाब में नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए गए।

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राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि देश के मुखिया होने के नाते, देश के सबसे बड़े वर्ग अन्नदाता किसानों के हितों की रक्षा करना, और सरकार को किसानों के साथ यह धोखाधड़ी करने के खिलाफ चेतावनी देना, राष्ट्रपति का संवैधानिक दायित्व है।

ज्ञापन में याद दिलाया गया है कि किसानों की मेहनत से देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हुआ है, “किसानों के अथक प्रयासों से, तालाबंदी और आर्थिक मंदी के बावजूद, देश के कृषि उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है। किसानों के साथ छल करना विनाशकारी हो सकता है।”

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संयुक्त किसान मोर्चे ने बयान जारी कर कहा है कि भारत सरकार द्वारा 2020-21 के ऐतिहासिक किसान आंदोलन में किसानों से किए गए वादों से मुकर जाने को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, त्रिपुरा सहित अन्य राज्यों में प्रदर्शनों, मार्चों और पुतला जलाने के साथ “विश्वासघात दिवस” ​​के रूप में चिह्नित किया गया ।

उल्लेखनीय है कि बीते नौ दिसंबर, 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे पत्र में भारत सरकार ने वादे किए थे। मोर्चा का कहना है कि लिखित आश्वासन में से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है। मोर्चा किसानों के धैर्य को चुनौती देने के खिलाफ भाजपा सरकार को चेतावनी देता है, और घोषणा करता है कि यदि वादे जल्द से जल्द पूरे नहीं किए गए, तो किसानों के पास आंदोलन फिर से शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने “मिशन उत्तर प्रदेश” जारी रखने की बात कही है और राज्य भर में भाजपा को दंडित करने और हराने के लिए अभियान चलाने की भी बात दोहराई है। मिशन के नए चरण की घोषणा 3 फरवरी को संवाददाता सम्मेलन के साथ की जाएगी।

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केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से 28-29 मार्च को दो दिवसीय आम हड़ताल को किसान मोर्चे ने अपना समर्थन दिया है। ये हड़ताल पहले फरवरी में 23-24 तारीख को होने वाली थी।

संयुक्त मोर्चे के अनुसार, भारत सरकार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 के साथ वर्तमान एमएसपी (घोषणा) व्यवस्था, और ऐसे एमएसपी की घोषणा के लिए उपयोग की जा रही लागत अवधारणा से संबंधित अपने झूठ के साथ कायम है। उपयोग की जा रही लागत अवधारणा उत्पादन की C2 लागत की अनदेखी करते हुए, A2 + पारिवारिक श्रम बनी हुई है, और किसानों को उनके वास्तविक अधिकार से वंचित करती है।

मोर्चे ने कहा है कि यह भी एक झूठा दावा है कि कमतर एमएसपी घोषित किए जाने के खोखले वादों के साथ फसल विविधीकरण हुआ है – किसानों को पता है कि ऐसा विविधीकरण वास्तव में संभव है, यदि तिलहन, बाजरा और दालों सहित सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाती है। यही एक प्रमुख कारण है कि एसकेएम कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी की भी मांग करता है।

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Workers Unity Team

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