जबतक केस वापस नहीं होते, तबतक किसान मोर्चा दिल्ली से नहीं जाएगाः एसकेएम

जबतक केस वापस नहीं होते, तबतक किसान मोर्चा दिल्ली से नहीं जाएगाः एसकेएम

शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की महत्वपूर्ण बैठक के बाद किसान नेताओं ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा है कि जबतक सरकार इस आंदोलन के दौरान हज़ारों किसानों पर लादे गए मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया नहीं शुरू करती और बाकी मांगों पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं करती, आंदोलन जारी रखा जाएगा। एसकेएम की अगली बैठक 7 दिसंबर 2021 को होगी।

एसकेएम की अगली बैठक अब 7 दिसंबर के लिए तय की गई है। अगले दो दिन का समय भारत सरकार को एसकेएम को जवाब देने और पांच सदस्यीय समिति के साथ काम करने के लिए दिया गया है।

इसके साथ ही एसकेएम ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने के लिए पांच मेंबरी कमेटी में अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह को नामित किया है। हालांकि ये कमेटी सरकार द्वारा एमएसपी को लेकर बनाई जाने वाली कमेटी नहीं है।

यह 5-सदस्यीय समिति साथ में राज्य स्तरीय टीमों पर भी निर्णय करेगी और लंबित मुद्दों पर राज्य सरकारों के साथ बातचीत करेगी।

बीकेयू एकता उगरहां के नेता जोगिंदर सिंह उगरहां ने प्रेस को बताया कि मोर्चे में फैसला लिया गया है कि जबतक सारे मुकदमे सरकार वापिस नहीं लेती है, किसानों का दिल्ली बॉर्डर पर लगा पक्का मोर्चा वापस नहीं जाएगा।

एक बयान जारी कर मोर्चे ने कहा है कि भारत सरकार से औपचारिक और संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त न होने तक किसान आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया गया है। यह कई भाजपा शासित और अन्य प्रदेशों में विरोध कर रहे किसानों और उनके समर्थकों पर लगाए गए सभी मुकदमों पर लागू होता है।

बयान के अनुसार, 19 नवंबर को 3 कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के तुरंत बाद, एसकेएम ने भारत के प्रधानमंत्री को 21 नवंबर को एक पत्र भेजा था। हालांकि भारत सरकार ने विरोध कर रहे किसानों द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों पर अनौपचारिक रूप से और अंशतः काम करना चुना है।

मोर्चे के अनुसार, “भारत के किसान संगठनों के पास अतीत से केवल मौखिक आश्वासन हासिल कर आंदोलन समाप्त करने का कड़वा अनुभव है, जब उन्होंने पाया कि सरकारें अपने मौखिक आश्वासनों से भी पीछे हट जाती हैं। हम प्रत्येक मुद्दे पर औपचारिक आश्वासन के बिना इस आंदोलन को समाप्त नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि इस आंदोलन के तहत किसानों और उनके समर्थकों के खिलाफ लगाए गए सभी मामलों को वापस लिया जाए और इस तरह का औपचारिक आश्वासन दिया जाए।”

उल्लेखनीय है कि किसानों की छह लंबित मांगें हैं – सभी किसानों को उनके द्वारा बेचे जाने वाले किसी भी कृषि उपज के लिए लाभकारी एमएसपी प्राप्त करने के लिए कानूनी अधिकार; विद्युत संशोधन विधेयक 2020/2021 को वापस लेना; दिल्ली वायु गुणवत्ता विनियमन आयोग के गठन से संबंधित कानून की धारा 15 को हटाना, और चल रहे संघर्ष में उत्पन्न हुए 3 मुद्दे – दिल्ली हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, सहित विभिन्न राज्यों में विरोध कर रहे किसानों और उनके समर्थकों पर लगाए गए मामलों को वापस लेना शामिल हैं।

आंदोलन के शहीदों, जिनकी संख्या अब लगभग 708 पहुँच गई है, उनके परिजनों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था, और उनके लिए एक स्मारक बनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर भूमि आवंटन और लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में न्याय के लिए अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी।

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Workers Unity Team

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