पेट्रोल और रसोई गैस के दामों पर मोदी को किसान मोर्चे की चिट्ठी

पेट्रोल और रसोई गैस के दामों पर मोदी को किसान मोर्चे की चिट्ठी

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग को लेकर दिल्ली के सीमा पर पिछले 100 दिनों से भी ज्यादा समय से धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने विभिन्न मांगों के बाबत प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।

किसानों ने पत्र में बढ़ती डीजल-पेट्रोल और एलपीजी की कीमतों, किसान विरोधी कानूनों सहित उद्योगों के निजीकरण जैसे मुद्दों का जिक्र किया।

इससे पहले देश भर के किसानों ने 15 मार्च को अपने जिला और उप-मंडल मुख्यालयों पर डीजल-पेट्रोल और घरेलू गैस की बढ़ती कीमतों, कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गांरटी के लिए एक कानून बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेताओं ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों और बढ़ती महंगाई ने देश की जनता पर चौतरफा हमला किया है।

anti Corporate day-1

किसान मोर्चा के मुताबिक एक तरफ सरकार बेतहाशा महंगाई बढ़ा रही हैं और दुसरी तरफ नये कानूनों के जरिए किसानों से खेत और मज़दूरों से उनका मेहनताना छीन कर उनको गुलाम बना देना चाहती है।

किसान मोर्चा और कई दूसरे संगठनों ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में ये मांग रखी की सरकार की जिन नीतियों की वजह से  सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण करेगी और भारतीय कृषि को कॉरपोरेट हाथो में देगी , उन नीतियों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

इसके साथ इन संगठनों ने प्रधानमंत्री से यह भी मांग रखी की डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों की वजह से आम जनता पर महंगाई की बुरी मार पड़ रही है इसलिए इनकी कीमतों को तुरंत कम किया जाना चाहिए।

मालूम हो कि केंद्रीय मज़दूर संघों और संयुक्त किसान मोर्चा ने भारतीय और विदेशी कॉरपोरेट्स को राष्ट्रीय संपत्तियों और प्राकृतिक संसाधनों को बेचने के केंद्र की भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ 15 मार्च को राष्ट्रव्यापी ‘निजीकरण विरोधी दिवस’ के रुप में मनाया।

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Abhinav Kumar

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