रामनगर किसान पंचायत का प्रचार भी नहीं करने दे रही उत्तराखंड पुलिस, प्रचार वाहन रोका
उत्तराखंड में किसानों के प्रचार वाहन को बुधवार को पुलिस ने लाउडस्पीकर की अनुमति न दिए जाने का हवाला देते हुए रोक दिया।
गौरतलब है कि 21 मार्च को रामनगर में किसान पंचायत का आयोजन किया गया है और इसके लिए दूर दराज़ के इलाक़ों में किसानों के बीच प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।
किसान संघर्ष समिति के नेता और कार्यक्रम के संयोजक ललित उप्रेरी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के प्रचार वाहन को सल्ट थाना प्रभारी ने चुनाव निषेधाज्ञा का बहाना बनाकर मौलिक हाल थाने पर रोक लिया।
उन्होंने बताया कि चुनाव अधिकारी की अनुमति लिखित में दिखाने व मास्क लगाने के लिए दबाव बनाने लगे। इसको लेकर किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं तथा पुलिस अधिकारियों काफी देर तक नोंक-झोंक भी हुई।
ललित उप्रेती ने कहा कि देश के किसान आन्दोलन से भाजपा सरकार बौखला गयी है और तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर आंदोलन की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि पूरे सल्ट क्षेत्र में चुनाव निषेधाज्ञा के बावजूद भी भाजपा सरकार के झंडे जगह-जगह लगे हैं और पुलिस इस पर कार्रवाई नहीं कर रही है। किसान आंदोलन का प्रचार करना उनका संवैधानिक अधिकार है उसे छीना नहीं जा सकता है।
मोर्चा ने सल्ट क्षेत्र के मौलेखाल, शशिखाल व भिक्यासैन आदि क्षेत्र में नुक्कड़ सभाओं के द्वारा जनता से 21 मार्च को रामनगर किसान पंचायत में शामिल होने का आह्वान किया।
किसान पंचायत में पहाड़ की खेती-किसानी को बचाने, जंगली जानवरों से सुरक्षा तथा पलायन का मुद्दा भी उठेगा।
प्रचार अभियान में मदन मेहता, नारायण सिंह, पीताम्बर, बीडी नैनवाल, राजवीर सिंह, राजेन्द्र सिंह, मुनीष कुमार आदि शामिल थे।
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बीजेपी शासित राज्यों में पुलिस का भगवाकरण हो चुका है। किसान आंदोलन के बढ़ते प्रभाव से भाजपा सरकार डरी हुई है, इसीलिए ऐसे हथकंडे अपना रही है। ऐसे हथकंडों से अब ये आंदोलन रुकने वाला नहीं है।