अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली की सरहदों पर संभाला महिलाओं ने मोर्चा

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली की सरहदों पर संभाला महिलाओं ने मोर्चा

सयुंक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाले किसानों की कमान महिलाओं ने थामी।

मोर्चा ने इस दिन ‘महिला किसान दिवस” के तौर पर मनाने की अपील की थी। इस मौके पर हज़ारों की संख्या में महिला किसानों ने दिल्ली बोर्डर्स पर पहुंचकर मोदी सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया और नारी शक्ति का प्रदर्शन किया।

टीकरी बॉर्डर पर पंजाब से जहां हज़ारों महिलाएं सात मार्च की शाम ही पहुंच गई थीं, वहीं देश के अनेक हिस्सों से महिलाएं दिल्ली आईं।

हर तरह के वाहनों जैसे ट्रैक्टर, कार, जीप, टेम्पो, बस व रेलगाड़ियों से महिलाएं किसानी झंडे लहराती हुई केंद्र सरकार के तीन कॄषि कानूनो का विरोध करने दिल्ली के आसपास धरनों वाली जगह पहुंची।

मोर्चे ने बयान जारी कर कहा है कि किसान आंदोलन के सभी मंचों का संचालन महिलाओं द्वारा किया गया। मोर्चे के सभी प्रबंध महिलाओं द्वारा किये गए। इसके साथ ही मंच पर बोलने वाली सभी वक़्ता भी महिलाएं थी। गावों शहरों से आई छात्रा, नौजवान, बुजुर्ग महिलाओं से सयुंक्त किसान मोर्चा के मंचो से अपनी रखी।

टीकरी बॉर्डर पर भारी संख्या में महिला किसानों ने शक्ति का प्रदर्शन किया। मुख्य मंच पर बोलते हुए महिला किसानों ने तीन खेती कानूनो को डेथ वारंट करार दिया।

international womens day at Singhu Border

इस दौरान महिला किसानों ने मोदी सरकार को महिला विरोधी करार करते हुए कहा कि सिर्फ खेती सेक्टर मे महिलाओं की मांगो को दरकिनार किया गया है। पकोड़ा चौक पर महिलाओं की बड़ी कॉन्फेंस हुई जिसमें महिला किसानों सम्बधी सभी मुद्दों के बारे में विस्तारित चर्चा की गई। महिला किसानों के साथ साथ दिल्ली से प्रगतिशील महिला संगठनों की कार्यकर्ताओ ने बड़ी भागीदारी निभाई।

सिंघु मोर्चे पर महिलाओ ने मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि हम दिनों दिन मजबूत हो रहे हैं। सरकार को यह लगता है कि समय के साथ आंदोलन कमजोर होगा पर किसानों का हौंसला दिनों दिन मजबूत हो रहा है। जब जब जरूरत होगी तब तब किसान अपनी ताकत दिखाते रहेंगे पर तीन खेती कानून वापस न होने तक किसान वापस नहीं जाएंगे।

इस दौरान हरियाणा की महिलाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए। इसी तरह गाजीपुर बॉर्डर पर भी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व दिल्ली की महिलाओं ने बड़ी संख्या में पहुंचकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को ऐतिहासिक बना दिया।

टीकरी बॉर्डर से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रेस बयान जारी कर कहा गया है कि पंजाब के अंदर जुलाई से लेकर अब तक हुए आंदोलनों में महिलाओं की बहुत बड़ी भागीदारी रही है। महिलाओं की इस बड़ी तथा सक्रिय भागीदारी ने पंजाब से शुरू हुए इस संघर्ष को पहले देश भर में और बाद में दुनिया भर में उभारने तथा प्रचार करने में अहम भूमिका निभाई है। अपनी रोज़ाना की घरेलू कामकाज को निपटाकर कॉरपोरेट घरानों के कारोबारों को घेरने की कार्यवाही में बड़ी गिनती में जुड़ने वाली महिलाओं के जोशीले इकट्ठों ने किसानों के ग़ुस्से को पूरे संसार के सामने पेश किया है। उन्होंने इस संघर्ष को समाज के अंदर हक्को के संघर्ष के तौर पर स्थापित किया है।

बर्फ़ीली रातों में दिल्ली की दहलीज़ों पर सड़कों के ऊपर डटी हुई महिलाओं की तस्वीरों ने दुनिया भर के मेहनतकश लोगों के मनों में संघर्ष के समर्थन का बीज बोया है। महेंद्र कौर जैसी वृद्ध महिलाएं संघर्ष के चेहरों में शामिल रहीं हैं जिससे वह संघर्ष की अलग क़िस्म की ताक़त बनकर उभरी हैं।

नौजवान लड़कियों ने सोशल मीडिया से लेकर हर तरह से मोर्चा संभाला है। संघर्ष का समर्थन करने वाली आवाजों में भी नौजवान लड़कियों ने अग्रणी भूमिका निभाई है। दिशा रवि और नौदीप कौर जैसी संघर्ष समर्थक नौजवान लड़कियों की लंबी क़तार है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.