राकेश टिकैत को निशाना बनाने के कारण योगेंद्र यादव को किसान मोर्चे से निकाला गया?
लखीमपुर खीरी कार हमले में शामिल बीजेपी कार्यकर्ता के घर जाने और फिर विरोधाभासी बयान देने के चलते स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव को संयुक्त किसान मोर्चे ने एक महीने के लिए निकाल दिया है।
अब वो न तो संयुक्त मोर्चे की बैठक में शामिल हो सकते हैं और ना ही मोर्चे की तरफ़ से कोई आधिकारिक बयान दे सकते हैं। एक महीना पूरा होने के बाद उनकी वापसी पर पुनः विचार किया जाएगा।
संयुक्त मोर्चे से जुड़े एक किसान नेता ने नाम न ज़ाहिर करते हुए कहा कि योगेंद्र यादव ने बीजेपी कार्यकर्ता के घर जा कर लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों का अपमान किया है।
एक दिन पहले पंजाब के किसान संगठनों की सिंघू बार्डर पर मीटिंग हुई थी जिसमें योगेंद्र यादव पर किसान आंदोलन को कमज़ोर करने के आरोप लगे और उन्हें तत्काल मोर्चे से निलंबित करने की मांग रखी गई थी, जिसके बाद ये फैसला हुआ।
लखीमपुर खीरी के तिकुनियां में चार किसानों और एक पत्रकार समेत कुल नौ लोग मारे गए थे जिसमें एक बीजेपी कार्यकर्ता भी शामिल था।
संयुक्त किसान मोर्चा की कल हुई बैठक में श्री योगेन्द्र यादव (मोर्चा की नौ सदस्यीय समन्वय समिति के सदस्य) को लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मृतक भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिलने के कारण निलंबित करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय आंदोलन से जुड़े किसानों की आहत भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया था, जो पहले से ही बर्बर लखीमपुर खीरी हत्याकांड के अन्याय से जूझ रहे हैं। योगेंद्र यादव ने बैठक में बताया कि वह शोक संतप्त परिवार के पास संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए गए थे और वह अपने सिद्धान्तों और नीतियों के अनुरूप व्यक्तिगत स्तर पर लिए गए निर्णय को उचित मानते हैं । उन्होंने कहा कि किसानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उनका इरादा नहीं था । उन्होंने परिवार से मिलने के पहले एस के एम के सहयोगियों से परामर्श नहीं लेने के मुद्दे पर खेद भी प्रकट किया।- संयुक्त किसान मोर्चा का बयान
बीते 12 अक्टूबर को अंतिम अरदास के लिए तिकुनियां घटनास्थल के पास श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई थी जिसमें योगेंद्र यादव शामिल होने गए थे। इससे इतर वो बीजेपी कार्यकर्ता के घर, उनके परिजनों को संवेदना जताने भी पहुंच गए थे।
लेकिन बात इतनी ही नहीं थी उन्होंने फोटो ट्वीट करते हुए परोक्ष रूप से राकेश टिकैत पर निशाना भी साध दिया था।
ट्वीट में उन्होंने लिखा, “शहीद किसान श्रद्धांजलि सभा से वापिसी में बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर गए। परिवार ने हम पर गुस्सा नही किया। बस दुखी मन से सवाल पूछे: क्या हम किसान नहीं? हमारे बेटे का क्या कसूर था? आपके साथी ने एक्शन रिएक्शन वाली बात क्यों कही? उनके सवाल कान में गूंज रहे हैं!”
असल में आजतक न्यूज़ चैनल पर एंकर अंजना ओम कश्यप से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा था कि ‘बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या घटना के रिएक्शन में हुआ है।’
इसके बाद योगेंद्र यादव पर जब दबाव बढ़ा तो उन्होंने एक लेख (BJP कार्यकर्ता के परिवार से मैंने क्यों मुलाकात की?) लिख कर अपने इस काम को सही ठहराया।
इस लेख में उन्होंने एक जगह लिखा है, “कुछ लोगों ने तो यहां तक कह डाला कि मैंने शहीद किसानों का अपमान किया है। किसी के दुख में शामिल होने से हमारे साथियों की शहादत पर कैसे छींटा पड़ता है, मुझे समझ नहीं आता। हमारी राजनीति और आंदोलन एक गहरी तंगदिली का शिकार हैं।”
बहरहाल योगेंद्र यादव ने बीजेपी कार्यकर्ता के घर बिना मोर्चे से सलाह लिए जाने के लिए माफी नहीं मांगी है।
यह दूसरी बार है जब योगेंद्र यादव को किसान आंदोलन के अंदर से तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पहली बार उनकी आलोचना 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले पर झंडा फहराने की घटना पर बयान देने के लिए की गई।
26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा में सबसे पहले योगेंद्र यादव ने ही आनन फानन में बयान देकर कहा था कि ‘शर्म से चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।’
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