खत्म हुआ पंजाब सरकार और किसानों का आपसी द्वंद्व
किसानों और पंजाब सरकार के बीच पैदा हुआ आपसी द्वंद्व अब खत्म हो गया है। किसान और पंजाब सरकार के बीच सहमति बन गई है। सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान और किसान नेताओं की बैठक में 13 में से 12 मांगों पर सहमति बन गई है। किसानों ने मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर शुरू किये धरने को भी समाप्त कर दिया है। गेहूं पर 500 रुपये क्विंटल बोनस की मांग पर सहमति नहीं बन सकी है। पंजाब सरकार ने भरोसा दिया है कि इस मसले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे। मोहाली में किसानों के धरने पर पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल पहुंचे थे। उन्होंने किसानों से आग्रह किया था कि धरने की जरूरत नहीं है। मीटिंग में सीएम ने कहा कि कर्ज माफी नहीं, बल्कि कर्ज मुक्ति होगी। धान बुआई के शेड्यूल को दो जोन में बांट दिया गया है। इससे पहले ये चार जोन में बंटा था। सरहद और सेम वाली जगहों पर किसानों को जल्दी ही बुवाई करने का अवसर दिया जाएगा। किसान नेता जगजीत सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार ने हमारी मांगों को स्वीकार कर लिया है।
धान की बुवाई पर 1500 रुपये एकड़
पंजाब सरकार ने कैबिनेट की मीटिंग में महत्वपूर्ण फैसला लिया है। बैठक में कैबिनेट ने धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को 1500 रुपये प्रति एकड़ देने के फैसले को मंजूरी दी है। पानी की बचत के उद्देश्य से पंजाब सरकार धान की सीधी बुवाई को प्रोत्साहित कर रही है।
क्या हैं किसानों की प्रमुख मांगे
– धान की बुवाई के लिए 10 जून से पहले पूरे पंजाब में निर्विघ्न बिजली की सप्लाई दी जाए।
– गेहूं के झाड़ कम करने के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जाए।
– बासमती का एमएसपी 4500 रुपये दिया जाए।
– मूंगी, मक्का और बासमती की एमएसपी पर खरीद का नोटिफिकेशन जारी हो।
– सहकारी बैंकों और अन्य संस्थाओं द्वारा कर्जे पर वारंट और कुर्की बंद हो।
– पंचायती जमीनों पर कब्जा किये किसानों को नहीं हटाया जाए।
– किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ किये जाएं।
अनावश्यक और अनचाहा आंदोलन : भगवंत मान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों के प्रदर्शन को अनावश्यक और अनचाहा आंदोलन करार दिया। उन्होंने कहा कि किसान यूनियन को नारेबाजी के बजाए पंजाब के जल स्तर को बचाने में सरकार का सहयोग करना चाहिए। किसानों के साथ बातचीत के लिए सरकार हमेशा तैयार है। मैं खुद एक किसान का बेटा हूं। मुझे किसानों की जरूरतों की जानकारी है।
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