भिलाई स्टील प्लांट में 4 ठेका मज़दूर झुलसे, यूनियन का आरोप- कराया जा रहा था ठेका मज़दूरों से काम

भिलाई स्टील प्लांट में 4 ठेका मज़दूर झुलसे, यूनियन का आरोप- कराया जा रहा था ठेका मज़दूरों से काम

छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट में 26 अप्रैल को एक भीषण दुर्घटना में चार ठेका मज़दूरों के झुलसने की घटना को मज़दूर संगठनों ने बेहद गंभीर बताया है और मैनेजमेंट पर कार्रवाई की मांग की है।

बताया जाता है कि चारों बुरी तरह झुलसे मज़दूर भिलाई स्टील प्लांट के ही अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से एक मज़दूर 100 प्रतिशत जला हुआ है और वेंटिलेटर पर है। जबकि बाकी एक 80, एक 60 और एक मज़दूर 40 प्रतिशत जल गया है।

इस मामले में औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य आयुक्त आशुतोष पांडे ने एक जीएम और एक असिस्टेंट मैनेजर को निलंबित किया है और एसएमएस-2 सीजीएम और एक्जीक्युटिव डायरेक्टर वर्क्स को कारण बताओ नोटिस दिया है।

लोकतांत्रिक इस्पात एवं इंजीनियरिंग मज़दूर यूनियन (लो.ई.ई.मू.) की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम के तीन सदस्यों  27 अप्रैल को दुर्घटना स्थल का दौरा किया. इस दौरान स्थल में कार्यरत कर्मियों से पूछताछ की गई जिसमें ऐसे तथ्य सामने आए जिसमें दावा किया जा रहा है कि मैनेजमेंट की ओर से घोर लापरवाही दिखती है।

यूनियन के महाचिव सुरेंद्र मोहंती ने बताया कि ज़मीन के अंदर बेसमेंट में काम के लिए अतिरिक्त एहतियात बरता जाता है और परमानेंट वर्करों से कराया जाता है। इसके लिए वर्क परमिट की ज़रूरत होती है।

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यह वह टनल है जहां चार ठेका श्रमिकों के द्वारा वाटर पाइप लाइन को वेल्डिंग के द्वारा जोड़ा जा रहा था। जहां आने-जाने एक संकरा रास्ता भर है और उसी पाइप लाइन से गैस फ्लेमिंग से जोरदार फ्लैश निकला और आग लग गई जिसे बुझाने के लिए 4 फ़ायर ब्रिगेड की गाड़ियां लगी।

‘मज़दूरों को छोड़ सुपरवाइज़र भाग गया था’

उन्होंने बताया कि जहां काम किया जाना था वहां ऑक्सीजन सिलेंडर थे जो आग को भड़काने में योगदान किया। इसकी जानकारी पहले से मज़दूरों को दी जानी थी लेकिन ऐसी कोई जानकारी काम से पहले नहीं दी गई।

 

फ़ैक्ट फाइंडिंग टीम ने पाया कि जब काम हो रहा था तो सुपरवाइज़र कार्यस्थल पर नहीं था और अनुभवहीन ठेका मज़दूरों पर पूरी ज़िम्मेदारी डाल दी गई थी।

इसमें साफ़ पता चला है कि प्रबंधन सुरक्षा को नज़र अन्दाज़ करते हुए इसी तरह ठेका मज़दूरों को असुरक्षित कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है. ऐसी ही कार्यपद्धति पूरी फ़ैक्ट्री में अपनाई जाती है।

सुरक्षा अधिकारी को कार्य क्षेत्र में नियुक्त करने के वजाय अन्य जगह पर नियुक्त करता है जिसकी वहाँ ज़रूरत नहीं रहती.

अस्थाई कर्मी में कार्य कुशलता का अभाव देखा गया. ड्यूटी लगाने से पहले किस प्रकार की दुर्घटना हो सकती है उसकी चर्चा करनी चाहिए , टीम ने पाया कि ऐसा नहीं किया जाता है.

फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम ने पाया कि बहुत संकरे जगह में कटिंग और वेल्डिंग के कार्य में घोर लापरवाही बरती गई जबकि उस जगह का तापमान बाहर के तापमान से ज़्यादा था. वहां हवा की कमी साफ़ साफ़ नज़र आ रही थी.

काम करने वाले मज़दूरों को पहले से ये तक नहीं पता था कि वहां क्या काम है.

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मुआवज़े पर प्रबंधन कर रहा टाल मटोल

इन सब घोर लापरवाहियों के चलते यूनियन ने एसएमएस-2 के  मुख्य महा प्रबंधक पर सख़्त कार्रवाई और संयंत्र निदेशक संकाय को तुरंत किसी और जगह ट्रांसफ़र किए जाने की मांग की है.

यूनियन ने पीड़ित मज़दूर के परिवार में से किसी एक व्यक्ति को तत्काल अनुकंपा नौकरी पर रखने की मांग की.

देवेंद्र सोनी के नेतृत्व में जाँच टीम में अभिशेष यादव और राजेश्वर साहू भी शामिल थे.

प्रबंधन ने मुआवज़े की बात करने के लिए मंगलवार को समय दिया था लेकिन व्यवस्तता बता कर बात चीत को टाल दिया गया। यूनियन का कहना है कि मैनेजमेंट ने कहा है कि जब मज़दूर ठीक हो जाएंगे तब मुआवज़े की बात की जाएगी।

यूनियन प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि इस घटना की एक विस्तृत प्रेस रिपोर्ट भी लोकल मीडिया में दी गई लेकिन इसे छापा नहीं गया।

भिलाई इस्पात प्लांट में लगभग 18000 से 19,000 स्थाई कर्मचारी हैं। जबकि यहां पर 20-22 हज़ार ठेका और कैजुअल मज़दूरों के काम कराया जाता है।

इस फ़ैक्ट्री में 10 सक्रिय यूनियनें हैं। लोकतांत्रिक इस्पात एवं इंजीनियरिंग मज़दूर यूनियन के 700 परमानेंट मज़दूर सदस्य हैं और इसके अलावा 600 ठेका मज़दूर भी सदस्य हैं और ये यूनियन ठेका मज़दूरों की समस्याओं को उठाती रहती है।

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Workers Unity Team

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