गोरखपुर के 28 मजदूरों को ताज़ीकिस्तान में बनाया बंधक, वीडियो जारी कर लगाई गुहार

गोरखपुर के 28 मजदूरों को ताज़ीकिस्तान में बनाया बंधक, वीडियो जारी कर लगाई गुहार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से ताज़ीकिस्तान गए 28 प्रवासी मजदूरों को बंधक बना लिया गया है। इनकी एक विडियो भी सामने आई है। जिसमें अगुवा मज़दूर नेता अपनी समस्यों को बता रहे हैं और भारत सरकार से वतन वापसी की मांग कर रहे हैं।

साथ ही एक लिखित पत्र भी जारी किया गया, जिसमें बताया गया है कि तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे से करीब 100 किलोमीटर दूर TGEM कंपनी ने इन मजदूरों को बर्फीले पहाड़ों में बनाए जा रहे डैम पर सुरंग खोदने के लिए बुलाया था।

बंधक प्रवासी मज़दूरों ने भारत सरकार के विदेश मंत्रलय के नाम एक पत्र लिखकर सभी प्रवासी मज़दूरों को मुक्त करने की अपील की है।

ऐसा पहली बार नहीं जब मज़दूरों अपने आप को बंधक बनाने का वीडियो व्हाट्स ऐप के माध्यम से भारत भेजा हो। मज़दूरों द्वारा जारी वीडियो में बताया गया है कि तजाकिस्तान में मज़दूरों को बंधक बनाने का ऐसे ही लगभग 10 वीडिओ जारी कर चुके हैं। लेकिन हर बार मज़दूरों को निराशा ही हाथ लगी।

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मूलभूत सुविधाओं से हैं वंचित

वर्कर्स यूनिटी को व्हाट्स एप्प मैसेज के माध्यम से मिली जानकारी के मुताबिक बंधक बनाये गए प्रवासी मज़दूरों में से एक देवी प्रसाद ने अपने मौसेरे भाई वेद प्रकाश को इस बात की जानकारी दी है।

उन्होंने एक पत्र भी साझा किया है जिसमें मज़दूरों ने कंपनी पर भारतीय मूल के प्रवासी मज़दूरों को बंधक बनाने का आरोप लगाया गया है।

मज़दूरों द्वारा जारी किये गए पत्र में लिखा है कि यहां मज़दूरों को ठीक से खाना पानी भी नहीं दिया जा रहा है। साथ ही शौचालय की भी कोई वयवस्था नहीं है।

TGEM कंपनी में प्रवासी मज़दूरों से बड़ी बड़ी गाडियां चलवाने का काम करवाया जाता है। पत्र में मज़दूरों ने बताया है कि उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं हैं और ही उनका कोई इन्शुरन्स करवाया गया है। इसके अलावा अगर किसी गाड़ी में कोई खराबी आ जाती है तो उसमें खर्च होने वाले रुपयों का भुगतान मज़दूरों के वेतन में से कटौती कर के किया जा रहा है।

जब सभी मज़दूर प्रबंधन से मुल्क वापसी की बात करते हैं तो प्रबंधन साफ मुकर जाता है। प्रवासी मज़दूरों ने पत्र में लिखा है कि भारत वापस आने के लिए जब मज़दूर कंपनी प्रबंधन से बात करते हैं तो प्रबंधन के लोग कहते हैं कि आप एजेंट से बात करो। प्रवासी मज़दूरों का आरोप है कि एजेंट उनकी बात सुनने के राज़ी नहीं है।

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विदेश मंत्रालय से की अपील

इसके बाद परेशान मज़दूरों ने भारत के विदेश मंत्रालय को इस पत्र के माध्यम से अपील की है कि उनको तजाकिस्तान से जल्द से जल्द मुक्त कार्य कराया जाये।

दरअसल, गोरखपुर के न्यू ग्लोबल ऑफिस की ओर से सभी मज़दूरों को वीज़ा मुहैया कराया गया था। इसके लिए सभी मज़दूरों से 1,10,000 रुपए लिए गए थे।

वहीँ वेद प्रकाश ने सभी सक्षम अधिकारियों जैसे पीएमओ, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री, विदेश मंत्रालय को ट्वीट के द्वारा भी इस बात की जानकारी दी है।

गौरतलब है कि केवल भारत में ही मज़दूरों को बंधी नहीं बनाया जा रहा है बल्कि भारतीय मूल के प्रवासी मज़दूरों को भी बंधी बनाया जा रहा है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले भी अरब देशों में प्रवासी मज़दूरों को बंदी बनाया जाने के कई मामले आ चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एक और निष्ठुरता दिखाते हुए बंधुआ मजदूरों के हक में आवाज उठाने वाले याचिकाकर्ता को खरी खोटी सुनाते हुए देश में बंधुआ मज़दूर होने की बात से ही मना कर दिया था।

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत के जज हेमंत गुप्ता ने कहा कि देश में बंधुआ मजदूर के बहाने रैकेट (गिरोह) चलाया जा रहा है और ऐसे लोग इस बंधुआ मज़दूरी जैसी बात का फायदा उठा कर पैसा खा रहे हैं।

ये टिप्पणी सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता दिवगंत स्वामी अग्निवेश द्वारा सन 2012 में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कही गई। स्वामी अग्निवेश बंधुआ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक रहे हैं और सैकड़ों बंधुआ मजदूरों को छुड़ाया है।

(कॉपी: शशिकला सिंह)

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WU Team

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