ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं
जहां एक तरफ पिछले कई सालों से ओल्ड पेंशन योजना की बहाली के लिए लगातार प्रदर्शन किये जा रहे हैं, वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री भगवतराव कराड ने कहा है कि पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है ।
एआईआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सवाल किया था कि क्या केंद्र सरकार भविष्य में अपने कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली कर सकती है?
कराड ने सोमवार को संसद में ओवैसी के सवाल के लिखित उत्तर में लोकसभा को बताया, पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
उनका कहना है कि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को निश्चित पेंशन मिलती है। पेंशन की राशि कर्मचारी के अंतिम वेतन की कुल राशि के 50 प्रतिशत के बराबर होती है। 2004 से एक नई पेंशन योजना भी लागू की गई है। इस नई पेंशन योजना में कर्मचारियों को उनके योगदान के अनुसार पेंशन मिलती है।
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भगवतराव कराड ने लिखित जानकारी दी कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड में पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू किया गया है। तीनों राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार और पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण को इस बारे में सूचित कर दिया है। पंजाब सरकार ने 18 नवंबर को राज्य कर्मचारियों के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है। 2022, जिसके अनुसार एनपीएस को ओपीएस में स्थानांतरित कर दिया गया है।
लोकसभा में एक लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार और PFRDA को प्रस्ताव भेजा है कि NPS के तहत सब्सक्राइबरों की संचित राशि संबंधित राज्य सरकारों को लौटा दी जाए। पंजाब सरकार से ऐसा कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।
इन राज्य सरकारों के प्रस्तावों का जवाब देते हुए PFRDA ने सूचित किया है कि PFRDA Act, 2013 में ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है, जिसकी सहायता से पहले से NPS के लिए सरकार के पास जमा योगदान को राज्य सरकारों के पास वापस जमा किया जा सके।
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ओल्ड पेंशन स्कीम पर उठते सवाल
ज्ञात हो कि कराड के इस जवाब से पहले कांग्रेस के चहेते और यूपीए शासन के दौरान योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने पुरानी पेंशन योजना को सबसे बड़ी रेवड़ी करार देते हुए कहा था कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की बात हो रही है, लेकिन कुछ खर्चों से छुटकारा पाने का कोई सुझाव नहीं है।
इतना ही नहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को भविष्य के करदाताओं पर बोझ बताया है। बेरी ने कहा था कि पुरानी पेंशन योजना के फिर शुरू होने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। मेरे विचार में यह चिंता का विषय है, क्योंकि इसका भार मौजूदा करदाताओं पर नहीं, बल्कि भावी करदाताओं और नागरिकों पर पड़ेगा।
वहीं 10 दिसंबर को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख में बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ओल्ड पेंशन स्कीम को ‘बोझ’ बताया है।
इस लेख में उन्होंने पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) बनाम नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) का जो तुलानत्मक विश्लेषण करने की कोशिश की है, वो कुछ और नहीं बीजेपी सरकारों को दो दशक पुरानी नीति का ही राग विराग है।
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गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो पहली कैबिनेट मीटिंग में हम कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल कर देंगे।
अब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है। अब देखने की बात यह है कि क्या सच में कांग्रेस अपने चुनावी वादों को पूरा करेगी ?
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