गुजरात: केबल ब्रिज हादसे में अब तक 140 अधिक लाशें बरामद, बढ़ सकती है मृतकों की संख्या

गुजरात: केबल ब्रिज हादसे में अब तक 140 अधिक लाशें बरामद, बढ़ सकती है मृतकों की संख्या

कल यानि रविवार, 30 अक्टूबर की  रात को गुजरात के मोरबी में  मच्छु  नदी पर बना केबल ब्रिज के टूट जाने से  करीब 400 लोग नदी में गिरे गये। जिनमें से  अब तक 140  से अधिक लोगों की मौत  की पुष्टि हो चुकी है  और लाशें निकाली जा चुकी है। लेकिन यह संख्या और भी  अधिक होने की आशंका है।

गौरतलब है कि हाल ही में  इस पुल की मरम्मत में 2 करोड़ रुपए खर्च किया गया था , इस ब्रिज को सात महीने के रिनोवेशन के बाद पांच दिन पहले ही दोबारा खोला गया था।   इस घटना की जो तस्वीरें और वीडियो  सामने आई हैं वो काफी विचलित करने वाली हैं।

हादसे के वक्त  इस ब्रिज पर करीब 500 लोग चढ़े हुए थे। NDRF के साथ   सेना और वायुसेना  को भी बचाव कार्य में लगाया गया है। इस बीच केंद्र सरकार ने  इस हादसे में घायल हुए  और मारे गये लोगों के लिए मुआवजे की घोषणा की है।

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लेकिन सोशल मीडिया  में  लोग  इस  हादसे को  ‘ एक्ट ऑफ़ गॉड नहीं, बल्कि एक्ट ऑफ़ फ्राड’ का नतीजा बता रहे हैं। गौरतलब है कि कोलकाता में पुल हादसे के बाद  पीएम मोदी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान इसी वाक्य  का प्रयोग करते हुए ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोला था।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस ब्रिज की क्षमता 100 लोगों की थी लेकिन रविवार को 400 टिकट बेचे गए थे। वयस्कों  के लिए 17  रूपये और बच्चों के लिए  12 रूपये प्रति टिकट  दाम था।

सबसे  बड़ी  बात  यह है कि इस पुल को बिना फिटनेस सर्टिफिकेट खोला गया था।  इस घटना के बारे  जानकारी देते हुए  इंडियन पीपल्स काउंसिल के प्रेसिडेंट तुषार परमार ने बताया कि,  ब्रिज पर क्षमता  से अधिक लोग एक साथ जमा हो गये थे।

पुल पर टाइल्स बनाने वाले फैक्ट्री के मजदूर  अधिक थे। मोरबी सिरामिक टाइल्स बनाने वाला देश का सबसे बड़ा केंद्र है, यहां की 90 फीसदी आबादी  फैक्ट्री वर्कर्स की है , जाहिर है  इस  हादसे में  उन्हीं की मौत सबसे अधिक हुई है।  वहां काम करने वालों को  अवकाश के दिन मनोरंजन का  यह एक केंद्र बना था।

तुषार परमार ने  आरोप लगाया है कि हादसे के तुरंत बाद तंत्र ने शवों को उठाने का काम भी नहीं किया।

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WU Team

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