हरियाणाः आशा वर्कर्स ने किया 25 सितम्बर को जेल भरो आंदोलन का ऐलान
पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हड़ताल पर चल रही हरियाणा की आशा वर्कर्स ने 25 सितंबर को प्रदेश भर में जेल भरो आंदोलन चलाने का एलान किया है.
बीते रविवार को हरियाणा के रोहतक में आशा वर्कर्स यूनियन, हरियाणा की राज्य स्तरीय कन्वेंशन में इसका निर्णय लिया गया. इसके साथ ही कन्वेंशन में ये भी फैसला लिया गया कि आशा वर्कर्स 15 सितंबर को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत और 18 सितंबर को केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के घर के बाहर प्रदर्शन करेंगी.
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए आशा वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष सुरेखा ने कहा कि ” पिछले एक महीने से आशा वर्कर्स हड़ताल पर है लेकिन बेटी बचाओ-बेटी पढाओं का नारा देने इस सरकार के कान पर जु तक नही रेंग रही है. मुख्यमंत्री के पास इन 20 हज़ार आशा वर्कर्स की मांगों को सुनने का समय नही है.”
मालूम हो कि बीते 8 अगस्त से हरियाणा प्रदेश भर की आशा वर्कर्स न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये महीने और सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग करते हुए हड़ताल पर चली गई थीं.
आशा वर्कर्स को वर्तमान में 4,000 रुपये महीने वेतन मिलता है, जो इंसेंटिव के जोड़ने के बाद 7,000 रुपये से 9,000 रुपये तक हो जाता है.
आशा वर्कर्स यूनियन के नेताओं ने बताया कि “सरकार बार-बार 7-9 हज़ार(इंसेंटिव के साथ) रुपये मासिक को ज्यादा वेतन बता रही है जबकि आशा वर्कर्स से 70-80 हज़ार रुपये लेने वाले पक्के कर्मचारी की तरह काम लेती है. साथ ही 2018 के बाद से सरकार ने आशा वर्कर्स पर काम का बोझ भी लगातार बढ़ा दिया है. ऑनलाइन कार्यों के लिए आशा वर्कर्स को कोई अतिरिक्त भुगतान भी नही किया जाता है.”
कन्वेंशन के दौरान आशा कायकर्ताओं ने बताया कि ” कोरोना महामारी के दौरान WHO ने भी हमारे काम की तारीफ की. सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारने का काम हमारे कंधों पर है और सरकारी आंकड़े बताते है कि हम कितने बेहतर तरीके से अपना काम कर रहे हैं. अस्पतालों में कर्मचारियों की भारी कमी है और हमसे उनके भी काम लिए जाते हैं लेकिन हमारी मांगों को लेकर सरकार की बेरुखी के आगे हम झुकने वाले नही है.”
वही खबर है कि हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव को ये आदेश दिया है कि 13 सितंबर को वो आशा कार्यकर्ताओं से बात करे और उनकी मांगों पर संज्ञान लें.
देखने वाली बात होगी कि इस बातचीत का क्या नतीजा निकलता है और आगे आशा वर्कर्स यूनियन क्या रणनीति अपनाती हैं.
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