हरियाणा : बंगाली प्रवासी मज़दूर की लिचिंग के विरोध में ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन, परिजनों को मुआवज़ा देने की मांग
हरियाणा के चरखी दादरी में प्रवासी मुसलमान मज़दूर की पीट पीट कर हत्या के विरोध में मंगलवार को गुरुग्राम डीसी कार्यालय पर यूनियनों ने प्रदर्शन किया।
औद्योगिक शहरों में रोजगार की तलाश में आये प्रवासी मज़दूरों के साथ हो रही लगातार ऐसी घटनाओं के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने डीसी ऑफिस जाकर ज्ञापन दिया।
ट्रेड यूनियनों ने घटना की गहन जाँच और दोषियों को कठोर सजा देने की मांग के साथ ही प्रशासन से यह मांग की है कि इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ।
उन्होंने मांग की इस घटना की गहन जाँच की जाए। साथ ही दोषियों को कठोरतम सजा दी जाए।
साथ ही साबिर मलिक के परिवार को न्याय पाने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाए।
मृतक के परिवार को मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए ताकि उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके।
इससे पहले पश्चिम बंगाल में भी साबिर मलिक की बर्बर हत्या को लेकर ट्रेड यूनियनों ने पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन किया और ममता सरकार से मांग की कि वो हरियाणा की बीजेपी सरकार से इस बारे में आपत्ति दर्ज करें और इंसाफ़ दिलाने की मांग करें।
तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने इस मुद्दे पर बयान दिया था और भाजपा शासित राज्यों में कानून व्यवस्था की हालत पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि इस तरह की बर्बर हत्या धक्का पहुंचाने वाला है।
हालांकि इस संबंध में पुलिस ने अपराधियों को गिरफ़्तार कर लिया है, लेकिन जिस तरह हरियाणा में ऐसी घटनाओं के अपराधियों के साथ सरकारी उदारता बरतते हुए ज़मानत दे दी जाती है, जैसा अतीत में हुआ है, इस मामले में भी इंसाफ़ मिल पाएगा, कहना मुश्किल है।
फरीदाबाद में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने वाले बिट्टू बजरंगी को ज़मानत दे दी गई और जब वो जेल से बाहर आया तो उसका कट्टपंथी गिरोह ने फूल माले से स्वागत किया।
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क्या है पूरा मामला
बीते 27 अगस्त 2024 को हरियाणा के चरखी दादरी में कथित गौ-रक्षकों द्वारा पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के मियारबेरी गाँव के निवासी और प्रवासी मजदूर साबिर मलिक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
मालूम हो साबिर मलिक और उनके साथी असीरुद्दीन को खाली प्लास्टिक की बोतलें बेचने के बहाने बुलाया गया था, लेकिन बाद में उन पर गौमांस खाने का आरोप लगाते हुए बेरहमी से पीटा गया।
असीरुद्दीन किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहे, लेकिन साबिर को बंधवा गाँव ले जाया गया, जहाँ उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
इस क्रूरता ने प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और उनके जीवन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हाल के दिनों में हरियाणा से लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें कट्टरपंथी गौरक्षक संगठनों से खुद को जुड़ा बताने वाले गुंडा तत्वों ने मुसलमान युवाओं को निशाना बनाया है।
गुरुग्राम और मानेसर के ऑटोमोबाइल्स फैक्ट्रियों के आस-पास के बसावट में रहने वाले पश्चिम बंगाल ,बिहार और झारखण्ड के प्रवासी मज़दूरों को लगातार ऐसी असामाजिक ताकतों का सामना करना पड़ता है।
इससे पहले मारुति के मज़दूरों के साथ भी कोविड लॉकडाउन के समय निशाना बनाया गया था। फैक्ट्री के पास के गांव में रहने वाले प्रवासी मज़दूरों के साथ कोरोना फ़ैलाने का आरोप लगाकर मारपीट की गई थी।
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